हरियाणा में देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल की वंशबेल ठोक रही है ताल

राज्य में एक समय तीन लाल -देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल- का शासन था और राज्य अब इस 90 विधानसभा सीटों के चुनाव में इन वंशों की तीसरी या चौथी पीढ़ी को चुनाव लड़ते देखेगा

राज्य में एक समय तीन लाल -देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल- का शासन था और राज्य अब इस 90 विधानसभा सीटों के चुनाव में इन वंशों की तीसरी या चौथी पीढ़ी को चुनाव लड़ते देखेगा

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Drigraj Madheshia
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हरियाणा में देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल की वंशबेल ठोक रही है ताल

प्रतीकात्‍मक चित्र( Photo Credit : Twitter)

हरियाणा विधानसभा (Haryana Election 2019) चुनाव में इस बार भी विरासत सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है. राज्य में एक समय तीन लाल -देवी लाल, बंसी लाल और भजन लाल- का शासन था और राज्य अब इस 90 विधानसभा सीटों के चुनाव में इन वंशों की तीसरी या चौथी पीढ़ी को चुनाव लड़ते देखेगा. राज्य में 21 अक्टूबर को मतदान होना है. 'लाल' वंश के 10 सदस्य इस बार चुनाव मैदान में हैं.

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चार बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे और दो बार केंद्रीय मंत्री रहे बंसीलाल के परिवार के तीन सदस्य और तीन बार मुख्यमंत्री रहे भजन लाल के दो पुत्र भी इस बार चुनावी मैदान में हैं. परिवार द्वारा शासित स्थानीय राजनीति समूह इंडियन नेशनल लोकदल(INLD) की स्थापना करने वाले पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के पांच रिश्तेदार चुनाव लड़ रहे हैं. बंसी लाल की बहू किरण चौधरी इस बार भी परिवार की सुरक्षित सीट तोशाम से चौथी बार चुनाव जीतना चाहती हैं.

किरण चौधरी के जेठ और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) के पूर्व अध्यक्ष रणबीर महेंद्र बधरा से चुनाव मैदान में हैं. वह 2014 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा के 29 वर्षीय सुखविंदर सिंह से हार गए थे.

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दिवंगत बंसीलाल के परिवार से चुनाव मैदान में एक अन्य सदस्य उनके दामाद और पूर्व विधायक सोमवीर सिंह शेरान हैं, जो लोहारू से चुनाव लड़ रहे हैं. बंसी लाल राज्य के चार बार मुख्यमंत्री रहे. वह पहली बार 1968 में और अंतिम बार 1996 से 1999 तक राज्य के मुख्यंत्री थे. उन्होंने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी भजन लाल और देवी लाल को हराकर विशेष ख्याति अर्जित की थी. बंसी लाल के वंशज कांग्रेस उम्मीदवारों के रूप में लड़कर अपने परिवार की विरासत को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.

विधायक कुलदीप बिश्नोई को दोबारा आदमपुर से और उनके बड़े भाई व हरियाणा विधानसभा (Haryana Election 2019) के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन को पंचकुला से टिकट दिया गया है. गुरुग्राम में प्रमुख व्यापारिक स्थल पर स्थित बिश्नोई के 150 करोड़ रुपये मूल्य के होटल को आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति के रूप में जब्त कर लिया है. दोनों कांग्रेसी उम्मीदवार हैं.

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बिश्नोई के बेटे भव्य ने मई में कभी परिवार का मजबूत गढ़ माने जाने वाले हिसार संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी. चंद्रमोहन ने 2008 में अपने प्यार के लिए राजनीति छोड़ दी थी. उन्होंने पंजाब में पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल से शादी करने के लिए इस्लाम अपना लिया था और अपना नाम बदलकर चांद मोहम्मद रख लिया था.

हांसी की विधायक और कुलदीप बिश्नोई की पत्नी रेणुका बिश्नोई को कांग्रेस ने इस बार टिकट नहीं दिया क्योंकि उन्होंने ही चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जाहिर की थी. वहीं एकमात्र निवर्तमान विधायक हैं, जिन्हें टिकट नहीं दिया गया. फतेहाबाद बाद से भाजपा उम्मीवार दुरा राम भी भजनलाल परिवार से ताल्लुक रखते हैं. वह 21 सितंबर को चुनाव की घोषणा के दिन भाजपा में शामिल हो गए थे.

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पूर्व उपप्रधानमंत्री देवी लाल के परिवार के पांच सदस्य चुनाव मैदान में हैं. उनके बेटे रंजीत सिंह को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने सिरसा जिले के रानिया से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन भरा. इंडियन नेशनल लोक दल(आईएनएलडी) की अगुवाई कर रहे ओ.पी चौटाला ने देवी लाल के पोते अभय सिंह चौटाला को सिरसा के एलनाबाद सीट से चुनाव मैदान में उतारा है.

आईएनएलडी से टूटकर बनी जननायक जनता पार्टी(जेजेपी) की अगुवाई देवीलाल के दूसरे पोते अजय चौटाले कर रहे हैं. जेजेपी ने परिवार के दो सदस्यों-अजय के पुत्र दुष्यंत चौटाला को जिंद के उचाना कलां से और उनकी पत्नी नैना चौटाला को भिवानी जिले के बधरा से चुनाव मैदान में खड़ा किया गया है.

भाजपा ने देवी लाल के पोते आदित्य देवी लाल को सिरसा के देबवाली से टिकट दिया है. अजय चौटाला और चार बार के मुख्यमंत्री व देवी लाल के पुत्र ओम प्रकाश चौटाला शिक्षक भर्ती परीक्षा घोटाला मामले में दोषी साबित होने के बाद तिहाड़ जेल में 10 वर्ष की सजा काट रहे हैं.

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भजन लाल गैर-जाट नेता थे, जबकि देवी लाल को जाटों का नेता माना जाता था, और ग्रामीण जनता का उन्हें अपार समर्थन हासिल था. दो बार मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के भूपिंदर सिंह हुड्डा रोहतक में गढ़ी सांपला-किलोई क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं. वह अविभाजित पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी रणबीर सिंह के बेटे हैं.

पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी और निवर्तमान भाजपा विधायक प्रेमलता एक अन्य जाट नेता जेजेपी के दुष्यंत चौटाला के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. सिंह राज्य के जाट नेता सर छोटु राम के पोते हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में, उन्होंने दुष्यंत को 7,480 मतों से हराया था.

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हिसार लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले उचाना कलां का बीरेंद्र सिंह ने 1977 से पांच बार प्रतिनिधित्व किया है. स्वतंत्रता सेनानी राजा राव तुला राम के वंशज केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की अहीर समुदाय में अच्छी पकड़ है. वह इस चुनाव में अपनी बेटी आरती राव के लिए टिकट चाह रहे थे, लेकिन भाजपा ने उनकी बेटी को टिकट नहीं दिया.

Source : आईएएनएस

      
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