उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव: कैसे बनेगा मुलायम का ''महागठबंधन'
रथ यात्रा पर रवाना होने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफ कर दिया कि उन्हें गठबंधन से कोई परहेज नहीं है।
New Delhi:
रथ यात्रा पर रवाना होने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साफ कर दिया कि उन्हें गठबंधन से कोई परहेज नहीं है। अखिलेश ने कहा, 'नेताजी ही किसी भी गठबंधन और महागठबंधन के बारे में फैसला लेंगे।'
कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दिल्ली में मुलायम सिंह यादव के साथ मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उत्तर प्रदेश में बिहार की तर्ज पर ही महागठबंधन की अटकलें तेज हो गई थी।
कांग्रेस पहले ही उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी है। वहीं सपा अखिलेश के चेहरे के साथ चुनाव प्रचार की शुरूआत कर चुकी है। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस की तरफ से गठबंधन की पहल और अखिलेश की हामी के बाद यह बात साफ हो गई है कि उत्तर प्रदेश में चुनाव पूर्व गठबंधन की जमीन धीरे ही सही लेकिन तैयार होने लगी है।
अखिलेश ने हालांकि मुलायम और प्रशांत किशोर की मुलाकात की जानकारी होने से इनकार किया था लेकिन एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया था।
कुछ दिनों पहले ही सामने आए इंटरव्यू में अखिलेश ने कहा था, 'हम सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए गठबंधन बना सकते हैं।' मुलायम चाहते हैं कि गठबंधन को महागठबंधन की शक्ल दी जाये। इसके लिये उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आरएएलडी सुप्रीमो अजित सिंह से संपर्क किया।
मुलायम सिंह के निर्देश पर शिवपाल यादव ने दिल्ली में जेडीयू के नेताओं से मुलाकात की थी। हालांकि मीडिया के पूछे जाने पर शिवपाल यादव ने इससे इनकार करते हुए कहा कि वह समाजवादी पार्टी के सिल्वर जुबली समारोह में जेडीयू के नेताओं को आमंत्रण देने आए थे।
सवाल यह है कि सत्ताधारी पार्टी जो अभूतपूर्व बहुमत से जीत के आई थी, उसे अचानक सहयोगियों की ज़रूरत क्यों पड़ने लगी? क्या समाजवादी पार्टी को अपनी दरकती जमीन का एहसास हो चुका है और उसे लगता है कि वह पिछले विधानसभा चुनाव का प्रदर्शन 2017 में नहीं दोहरा पाएगी?
पिछले लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद सपा बीजेपी को अपना मुख्य प्रतिद्वंदी मानकर चल रही है। यही वजह रही कि विकास रथ यात्रा को हरी झंडी के दौरान मुलायम सिंह और अखिलेश यादव ने बीजेपी को ही निशाने पर रखा।
सपा हर लिहाज से विधानसभा चुनाव को सपा बनाम बीजेपी बनाए रखना चाहती है। लेकिन ऐसी सूरत में धर्मनिरपेक्ष दलों और इससे जुड़े वोट को बिखरने से रोकना होगा।
बिहार में महागठबंधन बनाकर ऐसा किया जा चुका है। लेकिन नीतीश कुमार और राष्ट्रीय लोक दल ने फिलहाल सपा वाले गठबंधन को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं।लेकिन जितनी पार्टियों उतने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार।
संभावित गठबंधन में हर पार्टी का अपना मुख्यमंत्री का उम्मीदवार है। कांग्रेस की शीला दीक्षित तो सपा अखिलेश के चेहरे के साथ चुनाव लड़ रही है। ऐसे में टकराव की गुंजाइश भी बढ़ जाती है और गठबंधन का एक सूत्र में बंधे रहने का सपना भी बिखर सकता है।
अखिलेश यादव के ''गठबंधन या महागठबंधन'' को लेकर तैयार होने के बाद यह बात तय हो गई है कि गठबंधन को लेकर की जाने वाली मुलायम और शिवपाल की पहल पर उन्हें ऐतराज नहीं होगा लेकिन गठबंधन की शक्ल और सूरत कैसी होगी, के बारे में कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी।
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