हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में कांग्रेस अपना पुराना फॉर्मूला अपना सकती है. बीजेपी को दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस दुष्यंत चौटाला से समझौता कर सकती है. हालांकि यह देखना होगा कि जेजेपी की विधानसभा में कितनी हैसियत आ पाती है. बीजेपी को राज्य में बहुमत न मिल पाने की स्थिति में कांग्रेस हरियाणा में कर्नाटक फार्मूला पेश कर सकती है. कर्नाटक में पिछले साल की शुरुआत में कांग्रेस ने कुमारस्वामी की पार्टी जनता दल सेक्युलर से समझौता किया था. हालांकि अब कुमारस्वामी सरकार गिर गई है और वहां भी बीजेपी ने सरकार बना ली है.
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कर्नाटक में 2018 में 224 सीटों पर हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 80 और जेडीएस को 37 सीट मिले थे. बीजेपी को 104 सीट हासिल हुई थी. चुनाव में दो निर्दलीय और एक केपीजेपी का प्रत्याशी भी चुनाव जीता था. वहां सरकार बनाने के लिए 113 विधायक चाहिए होते हैं. त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में कांग्रेस ने जनता दल सेक्युलर के नेता कुमारस्वामी समझौता किया. बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस ने कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद ऑफर किया, जिसे कुमारस्वामी ने स्वीकार कर लिया और उनके नेतृत्व में वहां कांग्रेस-जनता दल सेक्युलर गठबंधन की सरकार बन गई थी.
इस तरह कर्नाटक में कांग्रेस ने अधिक सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी को सरकार बनाने से रोक दिया था. बताया जा रहा है कि कांग्रेस हरियाणा में अब यही फॉर्मूला अपना सकती है. पार्टी ने अभी जेजेपी के नेता को डिप्टी सीएम का पद ऑफर कर दिया है और अगर दुष्यंत चौटाला नहीं मानें तो कांग्रेस उन्हें सीएम पद भी दे सकती है, ताकि बीजेपी राज्य में दोबारा सरकार न बना पाए. दुष्यंत चौटाला को सीएम पद ऑफर करने के बाद कांग्रेस डिप्टी सीएम का पद अपने पास रख सकती है.
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हरियाणा में अभी तक के जो रूझान हैं, उसके मुताबिक बीजेपी 41, कांग्रेस 29 तो जननायक जनता पार्टी यानी जेजेपी ने 12 सीटों पर लीड बना रखी है. इसके अलावा 5 निर्दलीय भी चुनाव में आगे हैं. इस लिहाज से कांग्रेस कर्नाटक फार्मूला अपनाकर बीजेपी को सरकार बनाने से रोक सकती है.
Source : सुनील मिश्र