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Chhattisgarh Exit Poll 2018: चावल वाले बाबा की राह इस बार कठिन, ये बन सकते हैं CM

न्यूज नेशन के एग्जिट पोल (exit poll 2018) के अनुमान के मुताबिक 15 सालों से सत्ता पर काबिज बीजेपी के रमन सिंह के हाथों से सत्ता छिन सकती है

Updated on: 07 Dec 2018, 07:22 PM

नई दिल्‍ली:

छत्तीसगढ़ में दो चरणों में हुई वोटिंग के बाद अब लोगों को उस फैसले का इंतजार है जिससे पता चलेगा कि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह जीत का चौका लगाएंगे या फिर कांग्रेस का 15 सालों का वनवास खत्म होगा. दो चरण में हुई वोटिंग के बाद आज छत्तीसगढ़ का पलड़ा किसकी तरफ झुकेगा और किस पार्टी को जीत मिल सकती है इस पर न्यूज नेशन ने सबसे बड़े सैंपल साइज के साथ बड़ा एग्जिट पोल किया है. न्यूज नेशन के एग्जिट पोल (exit poll 2018) के अनुमान के मुताबिक 15 सालों से सत्ता पर काबिज बीजेपी के रमन सिंह के हाथों से सत्ता छिन सकती है और कांग्रेस 15 सालों बाद राज्य में सरकार बना सकती है.

छत्‍तीसगढ़ में मुख्‍यमंत्री डॉ रमन सिंह इस बार राह मुश्‍किल है न्यूज नेशन के एग्जिट पोल (exit poll 2018)के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को जहां 38-42 सीटें मिल सकती है वहीं कांग्रेस को 40-44 सीटें मिलने का अनुमान है जबकि अजित जोगी की पार्टी को 4 से 8 सीटें मिलने की उम्मीद है. इस तरह अजित जोगी राज्य में किंग न सही लेकिन किंग मेकर की भूमिका में आ सकते हैंं. नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव, प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष भूपेश बघेल और पूर्व मुख्‍यमंत्री अजीत जोगी भी अब CM की कतार में हैं. अब देखना ये होगा इनमें से छत्‍तीसगढ़ का किंग (exit poll 2018) कौन बनेगा. किसके सिर पर सीएम का ताज सजेगा. आइये देखें इन दिग्‍गजों की पूरी प्रोफाइल..

डॉ रमन सिंह क्‍या चौथी बार संभालेंगे राज्‍य की बागडोर (exit poll 2018)

अगर बीजेपी इस बार भी जीत (exit poll 2018) हासिल करती है तो इसमें कोई शक नहीं कि चावल वाले बाबा यानी डॉ रमन सिंह के हाथों में ही छत्‍तीसगढ़ (exit poll 2018) की सत्‍ता होगी. BJP के पास मुख्‍यमंत्री डॉ रमन सिंह के अलावा और कोई ऐसा चेहरा नहीं है जो मुख्‍यमंत्री बन सके.

चावल वाले बाबा के नाम से मशहूर डॉक्टर रमन सिंह चौथी बार (exit poll 2018) प्रदेश की बागडोर संभल सकते हैं. वर्ष 2000 में राज्य के वजूद में आने के बाद रमन सिंह 7 दिसंबर 2003 को छत्तीसगढ़ के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे. रमन के नेतृत्व में बीजेपी 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव जीत चुकी है. रमन सिंह राजनांदगांव से तीसरी बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं.

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15 अक्तूबर, 1952 को कवर्धा में जन्मे रमन सिंह की पढ़ाई कवर्धा में हुई. उनके पिता वकील थे. रमन ने 1975 में बीएएमएस की उपाधि प्राप्त की. अपने कस्बे में आयुर्वेदिक चिकित्सक के तौर पर कैरियर शुरू किया. बहुत कम फीस लेने के कारण वे गरीबों के डॉक्टर के रूप में पर लोकप्रिय हुए.

सियासी सफर 

डॉ रमन सिंह ने 1976 में भारतीय जनसंघ के साथ एक युवा नेता के तौर पर राजनीतिक पारी शुरू की. 1983 में कवर्धा (कबीरधाम) नगरपालिका में पार्षद बने. वर्ष 1990 और 1993 में मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे. 1999 में राजनांदगांव से सांसद बने .

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1999 से 2003 तक केंद्र की अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री रहे. 2003 में छत्तीसगढ़ के CM बने. उनके बेटे अभिषेक सिंह पिता की विरासत संभल रहे हैं और वह राजनांदगांव से सांसद हैं.

डॉ रमन सिंह का काम

लोकसुराज अभियान के तहत डॉ रमन सिंह ने गांव गांव जाकर लोगों की समस्या सुनकर उसका मौके पर निदान करने के लिए अभियान शुरू किया. नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बच्चों की शिक्षा के लिए विशेष योजनाएं शुरू कीं और राज्य में मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू करने का भी काम किया. रमन सिंह के कार्यकाल के दौरान 2005-06 के मुकाबले 2017-18 में कुपोषण का स्तर 52% से घटकर 37% पर आया और 95% घरों तक बिजली पहुंची.

रेडियो पर गोठ

PM नरेंद्र मोदी के मन की बात की तर्ज पर डॉ रमन सिंह मासिक रेडियो वार्ता गोठ के जरिये जनता से रूबरू होकर देश-प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों, सामयिक घटनाओं और अपने विचार साझा करते हैं. वह सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और प्रश्नोत्तरी के जरिये भी लोगों के सवालों का जवाब देते हैं. ट्विटर पर भी उनकी सक्रियता देखने को मिलती है.

अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव उर्फ़ टीएस बाबा का पलड़ा भारी

अब बात करते हैं दूसरी स्‍थिति की. अगर जनादेश (exit poll 2018) कांग्रेस के पक्ष में जाता है तो मुख्‍यमंत्री पद के लिए सरगुजा के राजा टीएस सिंहदेव की दावेदारी प्रबल है. 

छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव उर्फ़ टीएस बाबा को कांग्रेस से मुख्यमंत्री (exit poll 2018) पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा है. TS बाबा ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में रमन सरकार खिलाफ लगातार आक्रामक रहे. TS बाबा 6 फीट लंबे हैं और उनकी छवि एक मृदुभाषी नेता के रूप में है.वह रक्सेल 117वें उत्तराधिकारी हैं. सरगुजा के राजपरिवार से आने वाले TS सिंहदेव छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर प्रत्याशी हैं.

सियासी सफर

2008 से TS बाबा विधानसभा में अंबिकापुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उनकी माता देवेंद्र कुमारी मध्य प्रदेश की सिंचाई मंत्री रह चुकी हैं. पिता MS सिंहदेव मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी थे.

खासियत

इस बार उन्होंने न केवल कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार करने के लिए पूरे राज्य की जनता से राय लेने का अभियान चलाया बल्कि 80 फीसद प्रत्याशी उनकी पसंद के उतारे गए. उनकी उम्र 66 साल की है और उनमे गज़ब की फुर्ती भी दिखती है. अपने विरोधियों को शालीनता से जवाब देने की खूबी रखने वाले टीएस बाबा की पकड़ दंतेवाड़ा से लेकर अंबिकापुर के हर वर्ग में है. 

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क्रिकेट खेलना और फिल्में देखना TS बाबा का प्रिय शौक है. दुबले पतले लम्बी काया के सिंहदेव खादी का कुर्ता पायजामा पहनते हैं. वह कभी साइकिल तो कभी जीप चलाते नज़र आते हैं. कभी कभी वह अपने निजी हेलीकॉप्टर में उड़ान भरते भी दिख जाते हैं.

क्‍या अजीत जोगी बनेंगे किंग मेकर (exit poll 2018)

छत्‍तीसगढ़ की 90 सीटों में से कम से कम 30 पर अजीत जोगी की जनता कांग्रेस का अच्‍छा-खासा प्रभाव है. इसमें से अगर (exit poll 2018) जोगी-माया का जादू चला तो निश्‍चित तौर पर अजीत जोगी किंग मेकर की भूमिका में होंगे. अगर स्‍थिति कर्नाटक जैसी हुई तो अजीत जोगी मुख्‍यमंत्री बन सकते हैं.

राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी सिविल सेवा छोड़कर राजनीति में आये थे. दो साल पहले जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी बनाने वाले जोगी इस बार बसपा और सीपीएम के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में हैं. 15 साल से सत्ता से बाहर रहने वाले अजीत जोगी ठेठ छत्तीसगढ़ी बोलते हैं. छत्तीसगढ़ के आदिवासी नेता के तौर पर पहचान रखने वाले जोगी के राज्य के हर जिले में समर्थक हैं.

सियासी सफर

29 अप्रैल 1946 को बिलासपुर के पेंड्रा में जन्मे अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. वे पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए. मध्य प्रदेश कैडर के आईएस रहते हुए वे तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की पहल पर राजनीति में आए.

जोगी ने मरवाही विधानसभा से कांग्रेस के टिकट पर पिछला चुनाव जीता था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संपर्क में आने के बाद कांग्रेस में जोगी का कद इतना बढ़ गया कि मध्य प्रदेश के बंटवारे के बाद उन्हें वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ का पहला मुख्यमंत्री बना दिया गया. उनका तीन साल का प्रशासनिक कार्यकाल अच्छा नहीं रहा. 2003 में कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सत्ता से बाहर हो गई.

2016 में अलग पार्टी बनाई

राज्यसभा का उम्मीदवार नहीं बनाए जाने से नाराज होकर जोगी ने 2016 में अपनी अलग पार्टी बना ली. सत्ता से बाहर होने के बाद अजीत जोगी, पत्नी रेणु जोगी और बेटे अमित जोगी कांग्रेस में ही रहे. बाद में बेटे भी उनके साथ आ गए और पत्नी रेणु भी जनता कांग्रेस में शामिल हो गईं.

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मुख्यमंत्री रहते हुए जोगी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. बड़े पैमाने पर निजी विश्वविद्यालयों को मान्यता देने से उनकी छवि खराब हुई. सीडी मामले में जोगी का नाम आने पर कांग्रेस पार्टी ने नोटिस जारी किया था. उसके बाद जोगी ने पार्टी छोड़ दी. बीजेपी ने जोगी की जाति का मामला भी उठाया था. आरोप है कि उन्होंने गलत प्रमाणपत्र बनवाकर खुद को आदिवासी घोषित किया. हालांकि ये आरोप सिद्ध नहीं हुआ.

पूरा परिवार राजनीति में

अजीत जोगी की पत्नी रेणु जोगी कांग्रेस से कोटा से विधायक हैं. बेटे अमित जोगी जनता कांग्रेस में आ गए हैं, तो बहु ऋचा जोगी हाल में बसपा में शामिल हो चुकी हैं. इस चुनाव में कांग्रेस भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में जोगी किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं.

प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष भूपेश बघेल भी कतार में 

कांग्रेस की सरकार बनने की स्‍िथति में प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष भूपेश बघेल भी CM पद के दावेदार हैं

भूपेश बघेल पिछले चार साल से छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. वह पाटन सीट से वर्तमान में विधायक हैं. राज्य (exit poll 2018) में अपनी जमीनी पकड़ के कारण बघेल राजनीति में बड़ी पहचान बनाने में सफल रहे. सीडी कांड की वजह से सुर्खियों में रहे भूपेश बघेल को जेल जाना पड़ा, लेकिन उन्होंने जमानत लेने से इनकार कर दिया था.

सियासी सफर 
जब छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था तो भूपेश ने राजनीति की पारी यूथ कांग्रेस के साथ शुरू की थी. 1980 के दशक में दुर्ग जिले के रहने वाले भूपेश यहां के यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने. 2000 में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तो वह पाटन से विधायक चुने गए. और वह जोगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बने.

2003 में भूपेश को विपक्ष का उपनेता बनाया गया. अक्तूबर 2014 से वह कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष हैं. 2008 के चुनाव में 9343 वोट से बीजेपी के विजय बघेल से जीते थे. 2013 में पाटन से ही एकबार फिर चुनाव लड़े और 7842 वोटों से बीजेपी के विजय बघेल को फिर शिकस्त दी.

बघेल सर्वाधिक वोटरों वाले ओबीसी वर्ग से आते हैं और वह 1993 से छत्तीसगढ़ मनवा कुर्मी क्षत्रिय समाज के संरक्षक हैं. सामाजिक सुधारों के पक्षधर बघेल खर्चीली शादियों के विरोधी हैं और वह कम पैसे में शादी को बढ़ावा देते हैं. इसके लिए वह सामूहिक विवाह का आयोजन करते हैं.