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दिलीप घोष: RSS से BJP में हुई एंट्री, लगातार 7 बार के विधायक को हराकर रचा इतिहास

कई सालों तक आरएसएस में सेवाएं देने के बाद उन्होंने साल 2014 में राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.

Updated on: 25 Mar 2021, 03:46 PM

highlights

  • 1 अगस्त 1964 को पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर में जन्मे थे दिलीप घोष
  • स्कूल शिक्षा के बाद आरएसएस के साथ जुड़ गए थे दिलीप
  • साल 2014 में बीजेपी में शामिल हो गए थे दिलीप

नई दिल्ली:

इस साल भारत के 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं. पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. 5 जगहों पर हो रहे चुनावों में पश्चिम बंगाल का चुनाव सबसे बड़ा माना जा रहा है क्योंकि यहां पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सीधी टक्कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है. कभी बंगाल में राज करने वाली कम्यूनिस्ट पार्टी का इस बार कोई खास जलवा देखने को नहीं मिल रहा है, लिहाजा इस बार सभी की नजरें टीएमसी और बीजेपी पर ही टिकी हुई हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में बीजेपी नेता दिलीप घोष एक बड़ा चेहरा हैं. दिलीप घोष पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष हैं. आइए जानते हैं, कैसा रहा दिलीप घोष का राजनीतिक सफर.

जीवनी
दिलीप घोष, पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े बीजेपी नेताओं में से एक हैं. दिलीप का जन्म 1 अगस्त 1964 को पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम भोलानाथ घोष था, उनके परिवार में उनके अलावा तीन और भाई हैं. पढ़ाई पूरी करने के बाद दिलीप घोष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ जुड़ गए. जिसके बाद वे राजनीति में आए और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए.

राजनीतिक सफर
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद दिलीप घोष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के साथ जुड़ गए. आरएसएस में उन्होंने एक प्रचारक के तौर पर सेवाएं दीं. कई सालों तक आरएसएस में सेवाएं देने के बाद उन्होंने साल 2014 में राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. बीजेपी में आते ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें पश्चिम बंगाल की एक बड़ी जिम्मेदारी सौंप दी. पार्टी ने दिलीप घोष को पश्चिम बंगाल का बीजेपी महासचिव नियुक्त कर दिया. इसके एक साल बाद ही उन्हें पश्चिम बंगाल बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. साल 2016 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उन्होंने खड़गपुर सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और लगातार 7 बार से विधायक बने आ रहे कांग्रेस के ज्ञानसिंह सोहनपाल को हराकर इतिहास रच दिया.