लोकप्रियता के मामले में सुरेश खन्ना का कोई तोड़ नहीं, 32 सालों से लगातार जीत रहे
भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में सक्रिय खन्ना पंजाबी खत्री मूल के नेता हैं. साल 1989 में पहली बार चुनाव जीतने के बाद सुरेश खन्ना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
नई दिल्ली:
शाहजहांपुर की राजनीति में सबसे सक्रिय और चर्चित नाम सुरेश खन्ना (Suresh Khanna) का है. योगी सरकार में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बाद तीसरी नबंर पर आने वाले कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना की राजनीति भी उतनी ही दिलचस्प है. उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति और धर्म काफी अहम माना जाता है. चुनावी समीकरण और जीत-हार के मायने इसी से तय हो पाते हैं, लेकिन कई नेता इससे अपवाद माने जाते हैं. इस सूची में सबसे आगे सुरेश खन्ना का नाम रखा जाता है. भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में सक्रिय खन्ना पंजाबी खत्री मूल के नेता हैं. साल 1989 में पहली बार चुनाव जीतने के बाद सुरेश खन्ना ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनकी जीत का सिलसिला आज तक नहीं टूटा.
शाहजहांपुर में 1953 में सुरेश खन्ना का जन्म हुआ. उन्होंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की. उनका रूझान छात्र जीवन के समय से ही राजनीति में रहा है. वे भगवान हनुमान में अटूट आस्था रखते हैं. इन्होंने आज तक शादी नहीं की. भाई के परिवार के साथ रहते हैं.
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सुरेश खन्ना ने पहला चुनाव लोकदल के टिकट पर लड़ा था, मगर सफल नहीं हुए. बाद में भाजपा का दामन थाम लिया और 1989 में पहली बार विधायक चुने गए. इसके बाद 1991, 1993, 1996, 2002, 2007, 2012 और 2017 के चुनाव में शाहजहांपुर की जनता सुरेश खन्ना को ही चुनती रही.
8 बार के विधायक सुरेश खन्ना की लोकप्रियता का राज, उनका व्यवहार और स्वभाव है. यही सुरेश खन्ना की व्यक्तित्व के खास पहलू हैं. खन्ना पर किसी भी लहर का असर नहीं पड़ता है, उन्हें हर वर्ग से वोट मिलता रहा है. वह भाजपा के ऐसे नेता हैं, जिन्हें अल्पसंख्यक भी वोट देते हैं.
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