Vinay Shankar Tiwari, Swami Prasad Maurya, Dharam Singh Saini (Photo Credit: News Nation)
नई दिल्ली:
आईपीएल (Indian Premier League) का मौसम आ रहा है. चुनावी त्योहार आज अपने अंजाम पर पहुंच गया. ऐसे में यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) की घोषणा जब हुई थी, तो कई कथित 'बड़े' नेताओं ने पाला बदल लिया था. ऐसे नेताओं ने ये सोचकर दल-बदल किये थे कि वो आगे बढ़कर मौके पर चौका मार देंगे. लेकिन आज जब चुनावी नतीजे आए, तो यूपी की जनता उन्हें स्टंप आउट कर चुकी थी. ऐसे ही कुछ नेताओं की लिस्ट हम बता रहे हैं, जो दल-बदल करके जीत हासिल करने का सपना देख रहे थे, लेकिन उनके स्टंप आउट होते ही उनकी पार्टियां भी जरूरी लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकीं और बुरी तरह से मैच गवां बैठी.
पूर्वांचल में राजनीतिक ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले हरीशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी बसपा छोड़कर सपा से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें बीजेपी प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा. उन्हें उस सीट से हार झेलनी पड़ी, जो उनकी 'खानदानी' सीट यानि होम ग्राउंड था. फिर अपने होम ग्राउंड पर हार मिलना किसी सदमे से कम तो नहीं ही होता न? विनय शंकर तिवारी आज के नतीजों के बाद किस मानसिक अवस्था में होंगे, इसका जवाब तो वही दे सकते हैं.
ओबीसी समुदाय के कद्दावर नेता व सपा प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्य को कुशीनगर की फाजिलनगर सीट पर, बीजेपी प्रत्याशी सुरेंद्र कुशवाहा के हाथों करारी मात खानी पड़ी. स्वामी प्रसाद इस बार अपनी परंपरागत सीट पडरौना छोड़कर, फाजिलनगर सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन पार्टी और सीट बदलना काम नहीं आया. स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी अपनी हार स्वीकारते हुए कहा कि चुनाव हारे हैं हिम्मत नहीं.
यूपी के सहारनपुर जिले की नकुड़ विधानसभा सीट पर, कांटे की टक्कर में बीजेपी के मुकेश चौधरी ने धर्म सिंह सैनी को हरा दिया. नकुड़ सीट पर बीजेपी को 1,03,771 वोट मिले, जबकि सपा को 103616 वोट मिले हैं. इस तरह से बहुत मामूली वोटों से धर्म सिंह सैनी को हार का मुंह देखना पड़ा है. हालांकि, सैनी कई चरणों की मतगणना तक लगातर बढ़त बनाए हुए थे. लेकिन,आखिर में धर्म सिंह सैनी को नकुड़ सीट पर बाजी हारनी पड़ी.
श्रावस्ती विधानसभा सीट से विधायक मोहम्मद असलम राइनी, बसपा छोड़कर सपा का दामन थामकर चुनावी मैदान में उतरे थे, पर जीत नहीं सके. उन्हें बीजेपी प्रत्याशी राम फरेन के हाथों करारी मात खानी पड़ी है. लगता है जनता ने यहां बॉलिंग का काम संभाल लिया था और जिस तरह से ये बसपा छोड़ कर सपा का टिकट लेकर पारी की आखिरी गेंद पर नॉन-स्ट्राइक पर चले गए थे, वहीं पर जनता ने इन्हें आगे निकलते ही मांकडिंग कर विकेट गिरा दिया. अब तो आईसीसी ने भी इसे आउट करने का अच्छा तरीका बता दिया है. फिर, भाई... जनता तो जनता है. वो मौका नहीं देना चाहेगी तो फिर पवैलियन लौटा ही देगी.
आजमगढ़ के मुबारकबाद सीट पर दो बार के विधायक रहे शाह आलम गुड्डू जमाली, चुनाव से ठीक पहले बसपा छोड़कर सपा में गए, लेकिन टिकट नहीं मिला तो ओवैसी की AIMIM का दामन थामकर चुनाव में कूद पड़े. इसके बाद भी वो चुनाव नहीं जीत सके. उन्हें सपा प्रत्याशी अखिलेश यादव के हाथों करारी मात खानी पड़ी है.