उत्तर प्रदेश कांग्रेस की दिग्गज नेता रह चुकी रीता बहुगुणा जोशी आज कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो जाएंगी। उनकी नाराज़गी की वजह यूपी कांग्रेस में हुए हालिया फेरबदल में कोई जिम्मेदारी ना मिलने को बताया जा रहा है।
रीता उन्हीं विजय बहुगुणा की की बड़ी बहन हैं, जिन्होंने हाल ही में उत्तराखंड कांग्रेस को तगड़ा झटका दिया था। इनकी कहानी भी इनके पिता हेमवंती नंदन बहुगुणा, जो कांग्रेस में रहते हुए केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे, की विरासत दिख रही है। हेमवंती नंदन बहुगुणा ने भी कई बार कांग्रेस का हाथ पकड़ा और मौक़ा मिलते ही हाथ झटकने में भी पीछे नहीं रहे।
आइये जानते हैं क्या रहा है रीता बहुगुणा जोशी की राजनीति का सफ़र:
1. 22 जुलाई 1949 को आगरा में जन्मीं रीता बहुगुणा जोशी ने इतिहास में एम.ए. और पीएचडी की है। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में बतौर प्रोफ़ेसर काम किया।
2. 1995 से 2000 तक इलाहबाद की मेयर रहीं। उन्हें समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद से मेयर बनाया। कार्यकाल ख़त्म होते ही उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन छोड़ दिया।
3. वो राष्ट्रीय महिला आयोग की उपाध्यक्ष भी रहीं। इसके बाद उन्होंने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी की कमान भी संभाली। इसके बाद उन्होंने दो बार लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
4. 2012 में उन्होंने लखनऊ कैंट से विधानसभा चुनाव जीता। 2014 में उन्होंने लखनऊ सीट से लोकसभा चुनाव में अपना भाग्य आजमाया लेकिन एक बार फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
5. 2009 में रीता को बसपा अध्यक्ष मायावती के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने की वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा।
रीता बहुगुणा का राजनीतिक सफर इन्हीं उठापटक और दलबदल भरा हुआ रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा में उनका सफर कब तक चलता है।
Source : News Nation Bureau