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राहुल की किसान यात्रा: क्या 'देवरिया से दिल्ली' यात्रा से हाथ आएगा लखनऊ?

'कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ...समर्थन मूल्य का करो हिसाब' के नारे के साथ काँग्रेस ने उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव प्रचार का बिगुल फूंक दिया है।

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ashish bhardwaj
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राहुल की किसान यात्रा: क्या 'देवरिया से दिल्ली' यात्रा से हाथ आएगा लखनऊ?
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काँग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी के नेतृत्व में पिछले एक महीने से चली आ रही 'देवरिया से दिल्ली' किसान यात्रा आज समाप्त होने जा रही है। 'कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ...समर्थन मूल्य का करो हिसाब' के नारे और वादों के साथ चले इस यात्रा से काँग्रेस ने उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव प्रचार का बिगुल फूंक दिया है।

राहुल के नए रणनीतिकार प्रशांत किशोर परदे के पीछे से इस यात्रा को मैनेज कर रहे हैं। माना जाता है कि काँग्रेस का मुख्य चुनावी नारा '27 साल-यूपी बेहाल' भी प्रशांत किशोर के ही दिमाग की उपज है।

मालूम हो कि पिछले 27 सालों से काँग्रेस उत्तर प्रदेश की कुर्सी से दूर है और इस बार के चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद लगाए बैठी है।

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6 सितंबर को यात्रा देवरिया में शुरू हुई और पहले ही दिन से चर्चा में आ गई हालांकि इसकी वजह सकारात्मक नहीं थी। हुआ यूं था कि खाट सभा ख़त्म होते ही मौजूद श्रोताओं ने खाटों की लूट लीं। सोशल मीडिया ने इस घटना को हाथों-हाथ लिया।

इस यात्रा के दौरान युवाओं की अच्छी-खासी भागीदारी देखने को मिली। कई जगहों पर भारी जनसमर्थन भी देखने को मिला जबकि ऐसी ख़बरें भी आईं कि एकाध जगहों पर लोगों की संख्या बेहद काम देख राहुल सभा को बीच में छोड़ कर आगे बढ़ गए।

किसान यात्रा में काँग्रेस ने जिन मुद्दों को उठाया है, उससे इसे लोकप्रिय समर्थन मिलने की उम्मीद है। प्रदेश के तकरीबन 70 लाख किसान क़र्ज़ में डूबे हुए हैं। क़र्ज़ माफ़ कर देने का काँग्रेसी वादा किसानों को पार्टी के करीब ला सकता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य को तय करने की मांग भी किसानों को भायेगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है। वहीँ शहरी मध्यवर्गीय लोगों को ये मुद्दा भा सकता है कि उनके बिजली के बिल आधे हो जाएंगे।

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एक वक़्त काँग्रेस के गढ़ रहे उत्तर प्रदेश में पार्टी किसी भी तरह अपने ग्राफ को ऊपर करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। जनता से जुड़े सवालों के अलावा अन्य कार्ड खेलने से भी कांग्रेस को कोई परहेज़ नहीं दिख रहा। आपको बता दें कि इस यात्रा के दौरान राहुल गाँधी 14 मंदिरों में गए। कांग्रेस अपने ऊपर लगे 'हिंदू विरोधी' तमगे को हटाने की की सचेत कोशिश में जुटी है।

इसके अलावा राहुल तीन मस्जिदों, छः दरगाहों और एक गिरिजाघर में भी गए। काँग्रेस हिंदू वोटों के साथ-साथ अपनी पारम्परिक सेकुलर छवि को भी भुनाने में लगी हुई है।

इस यात्रा के दौरान राहुल ने भाजपा पर सबसे कड़े प्रहार किये। अन्य मौकों पर उन्होंने प्रदेश की बदहाली के लिए सपा और बसपा को दोषी ठहराया और वादा किया कि अगर काँग्रेस सत्ता में आती है तो प्रदेश का कायाकल्प हो जाएगा।

Source : आशीष भारद्वाज

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