Tamil Nadu Assembly Election : जानिए कोलाथूर विधानसभा सीट का हाल, MK स्टालिन लड़ रहे है चुनाव
कोलाथूर विधानसभा सीट तमिल नाडु की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है. साल 2016 में इस सीट से द्रविड़ मुनेत्र कषगम ने जीत दर्ज की थी. कोलाथूर विधानसभा सीट तमिल नाडुके चेन्नई जिले में आती है.
चेन्नई :
कोलाथूर विधानसभा सीट तमिल नाडु की महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है. साल 2016 में इस सीट से द्रविड़ मुनेत्र कषगम ने जीत दर्ज की थी. कोलाथूर विधानसभा सीट तमिल नाडुके चेन्नई जिले में आती है. 2016 में कोलाथूर में कुल 55.42 प्रतिशत वोट पड़े थे. 2016 में द्रविड़ मुनेत्र कषगम से M.k.stalin ने अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम के J.c.d.prabhakar को 37730 वोटों के मार्जिन से हराया था. कोलाथूर विधानसभा सीट चेन्नई उत्तर के अंतर्गत आती है. इस संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं कलानिथि वीरस्वामी, जो द्रविदा मुनेत्रा कज़ागम से हैं. उन्होंने देसिया मुरपोक्कू द्रविदा कज़ागमके आर मोहनराज को 461518 से हराया था.
तमिलनाडु (Tamil Nadu) में इस बार का विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) पहले के चुनावों से बिल्कुल अलग होने वाला है. दरअसल इस बार के विधानसभा चुनावों में तमिलनाडु के दो मुख्य चेहरे ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIDMK) की जयललिता (Jayalalithaa) और द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (DMK) के एम. करुणानिधि (M. Karunanidhi) मौजूद नहीं हैं.
तमिलनाडु के इतिहास में एम के स्टालिन एक मात्र नेता हैं जिनके पास उप-मुख्यमंत्री का पद रहा है. साल 2009 मे जब उन्हें उप मुख्यमंत्री बनाया गया तो उनके चाहने वालों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, क्योंकि एम के स्टालिन हमेशा से जनता से जुड़े रहे हैं, चाहे वह ‘ओरातची साबाई’ कार्यक्रम के जरिए लोगों के बीच जाना हो या फिर ‘नामाकुनामे’, एम के स्टालिन हमेशा से ऐसे कार्यक्रम करते रहे हैं जिससे वह जनता के बीच जाते रहें और उनसे मिलते रहें. स्टालिन की यही बातें उन्हें जनता के बीच बहुत लोकप्रिय बना देती हैं.
एम. के. स्टालिन करुणानिधि के तीसरे नंबर के बेटे थे, स्टालिन से बड़े करुणानिधि के दो और भाई थे, एम. के. मुत्थु और एम.के. अलागिरी. इन तीनो भाइयों में हमेशा से पार्टी और पिता का उत्तराधिकारी बनने को लेकर जंग छिड़ी ही रहती थी. लेकिन 2013 में करुणानिधि ने एम.के. स्टालिन को अपना भविष्य चुना और घोषणा की कि मेरे बाद पार्टी की कमान एम के स्टालिन संभालेंगे. इसके बाद एम. के. मुत्थु और एम.के. अलागिरी को पार्टी से निकाल दिया गया और पूरी पार्टी में स्टालिन का एकक्षत्र राज चलने लगा. अब करुणानिधि के निधन के बाद एम के स्टालिन पहली बार कोई चुनाव अकेले लड़ने वाले हैं, यह चुनाव उनके लिए बेहद खास होने वाला है. इस चुनाव में DMK जीतेगी या AIDMK यह तो 2 मई को ही पता चलेगा.
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