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Bihar Assembly Election 2020: इसबार सिकटा विधानसभा सीट पर कौन होगा काबिज

बिहार का सिकटा विधानसभा सीट पश्चिम चंपारण जिले में आता है. सिकटा विधानसभा सीट पर जेडीयू (और भाकपा (माले) के बीच  कड़ी टक्कर होगी. जेडीयू ने जहां मौजूदा विधायक खुर्शीद अहमद को टिकट दिया है, वहीं भाकपा (माले) की ओर से वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता चुनावी मैदान में उतरे हैं. 

Updated on: 07 Nov 2020, 01:32 PM

सिकटा:

बिहार विधान सभा चुनाव का विगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने इलेक्शन की तारीखों का ऐलान कर दिया है. सियासी पार्टियों ने अपने-अपने समीकरण सेट करने में चुनावी रणनीति बनाना शुरु कर दिया हैं. इस बार बिहार में 28 अक्टूबर को पहले चरण के लिए मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर और सात नवंबर को तीसरे चरण की वोटिंग होगी. इस बार 10 नवंबर को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे. बिहार चुनाव से पहले हम आपको सिकटा विधानसभा क्षेत्र के बारे में बताने जा रहे हैं.

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जानें सिकटा विधानसभा सीट का चुनावी समीकरण-

बिहार का सिकटा विधानसभा सीट पश्चिम चंपारण जिले में आता है. सिकटा विधानसभा सीट पर जेडीयू (और भाकपा (माले) के बीच  कड़ी टक्कर होगी. जेडीयू ने जहां मौजूदा विधायक खुर्शीद अहमद को टिकट दिया है, वहीं भाकपा (माले) की ओर से वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता चुनावी मैदान में उतरे हैं. 

साल 2009 में परिसीमन हुआ था. परिसीमन से पहले  सिकटी विधानसभा किशनगंज लोकसभा में शामिल था, लेकिन अब वह अररिया लोकसभा में आ गया है. पहले सिकटी विधानसभा क्षेत्र में सिकटी और कुर्साकांटा प्रखंड के अलावा किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड की सभी पंचायतें आती थी लेकिन अब सिकटी और कुर्साकांटा किशनगंज से अलग होकर अररिया में शामिल हो गया है.

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साल 2015 विधानसभा चुनाव में खुर्शीद ने बीजेपी के दिलीप वर्मा को 2,835 वोटों से मात दी थी. दिलीप वर्मा इस सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं. वहीं खुर्शीद दूसरी बार सिकटा से विधायक चुने गए थे.

1962 को छोड़ दें तो 1990 से पहले यहां पर 1977 तक कांग्रेस का दबदबा रहा है. इस सीट से कांग्रेस ने पांच बार चुनाव जीत हासिल की है. वहीं 1962 में स्वतंत्र पार्टी ने चुनाव जीता था. 1980 में जनता पार्टी (जेपी) और 1985 में जनता पार्टी ने चुनाव में जीत हासिल की थी. साल 1990 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी फैयाजुल आजम ने जीत हासिल की थी. लेकिन 1991 के उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी दिलीप वर्मा ने जीत दर्ज की.

1995 में चंपारण विकास पार्टी, 2000 भारतीय जनता पार्टी, फरवरी 2005 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर और 2010 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दिलीप चुनाव जीतने में सफल होते रहे.