मध्य प्रदेश चुनावः क्या शिवराज सिंह चौहान की मुश्किलें बढ़ाएगा कंप्यूटर बाबा का संत समागम
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भी आरोपों में घिरती जा रही है. पहले तो विपक्षी दल ही नर्मदा के अवैध उत्खनन के आरोप लगाया करते थे लेकिन अब संत समाज भी लामबंद हो गया है. ग्वालियर में कंप्यूटर बाबा ने संत समागम में शिवराज सरकार के खिलाफ मन की बात छेड़ दी है .
ग्वालियर:
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भी आरोपों में घिरती जा रही है. पहले तो विपक्षी दल ही नर्मदा के अवैध उत्खनन के आरोप लगाया करते थे लेकिन अब संत समाज भी लामबंद हो गया है. ग्वालियर में कंप्यूटर बाबा ने संत समागम में शिवराज सरकार के खिलाफ मन की बात छेड़ दी है . हालांकि बीजेपी का कहना है कि जो कंप्यूटर बाबा सरकार के खिलाफ खड़े हो गए हैं उन्हें कांग्रेस ने हैक कर लिया है.
कभी शिवराज के मंत्री थे कंप्यूटर बाबा
कंप्यूटर बाबा कभी शिवराज की सरकार में दर्जा प्राप्त मंत्री थे. उन्होंने नर्मदा में हो रहे अवैध उत्खनन को रोकने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहा तो सीएम ने उन्हें मंत्री का दर्जा दे दिया. बाबा अभी महज 5 महीने ही अपने पद पर रह पाए थे कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया और सरकार के खिलाफ संत समाज को इकट्ठा कर लिया. 30 अक्टूबर को ग्वालियर में कोटेश्वर मंदिर के पास संत समागम में कंप्यूटर बाबा ने अपने मन की बात कहने के लिए लगभग दो हजार से ज्यादा संतो को आमंत्रित किया. हालांकि सब तो अपने मन की बात नहीं कह पाए लेकिन जितने भी संत बोले उन्होंने शिवराज सरकार पर जमकर जमकर निशाना साधा.
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कंप्यूटर बाबा ने सीएम शिवराज पर आरोप लगाया की नर्मदा में शिवराज सिंह के रिश्तेदार और उन्हीं के ठेकेदार अवैध उत्खनन कर रहे हैं जब उसे रोकने के लिए कदम उठाया तो सीएम ने मना कर दिया और कहा कि चुनाव का समय है अभी नहीं रोक सकते. इसलिए कंप्यूटर बाबा नाराज हो गए और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. हालांकि बीजेपी प्रवक्ता राजेश सोलंकी का कहना है कि जिनको सरकार ने मंत्री का दर्जा दिया वह अपनी जिम्मेदारी छोड़कर भाग गए क्योंकि उन्हें कांग्रेस ने हैक कर लिया है और कांग्रेस पार्टी अब अपने अनुसार उनका की बोर्ड चला रही है.
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मुद्दा केवल नर्मदा के अवैध उत्खनन तक ही नहीं रहा बल्कि व्यापम घोटाला, भ्रष्टाचार और साधु संतों के आश्रम पर सरकारी अधिकारियों के आधिपत्य की नाराजगी तक पहुंच गया. जिसे लेकर कंप्यूटर बाबा ने मुहिम छेड़ दी है. ग्वालियर में हुए इस संत समागम में ज्यादातर मध्य प्रदेश के संत ही थे और वह भी नर्मदा किनारों पर रहने वालों की संख्या सबसे ज्यादा थी इनके अलावा कोई महाराष्ट्र से आया था तो कोई उत्तराखंड से. ग्वालियर में संतोष के मन की बात बात केवल शिवराज तक ही नहीं बल्कि मोदी तक पहुंच गई है.
संतों का कहना है की नर्मदा से लेकर गंगा और यमुना में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है मोदी जी यमुना का एक गिलास पानी पीकर दिखाएं तो हमारी पवित्र नदियों की बदहाल सूरत समझ में आ जाएगी. कांग्रेस के क्षेत्रीय नेता भी संत समाज के आंदोलन से उत्साहित नजर आ रहे हैं. सरकार भले ही कंप्यूटर बाबा और कांग्रेस की मिली भगत बताएं लेकिन यह बात सही है कि जिस साधु और संत समाज में बीजेपी के पक्ष में नारा लगाकर सरकार बनवाई उसकी नाराजगी का असर चुनाव में असर कर सकता है.
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