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ऐसे ही मराठा क्षत्रप नहीं हैं शरद पवार, महाराष्‍ट्र के शतरंज की सियासी बाजी एक झटके में पलट दी

इस पूरी सियासी शतरंज में मराठा क्षत्रप कहे जाने वाले शरद पवार (Maratha Kshatrap Sharad Pawar) पावरफुल होकर सामने आए हैं और उन्‍होंने फिर सिद्ध कर दिया कि वे ही महाराष्‍ट्र के असली नेता हैं.

Updated on: 26 Nov 2019, 04:02 PM

New Delhi:

Maharashtra Govt Formation : पिछले कई दिनों से चली आ रही महाराष्‍ट्र की राजनीति (Maharashtra political ploy) का अब लगभग पटाक्षेप हो गया लगता है. महाराष्‍ट्र के उप मुख्‍यमंत्री रहे अजित पवार (Ajit Pawar resignation) ने पहले अपने पद से इस्‍तीफा दिया, उसके कुछ ही देर बाद मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis resignation) ने भी मीडिया के सामने आकर अपने इस्‍तीफे का ऐलान कर दिया है. अब महाराष्‍ट्र में शिवसेना-कांग्रेस और एनसीपी (Shiv sena, congress, NCP) की सरकार में कोई रोढ़ा नहीं रह गया है. शिवसेना के बड़े नेता संजय राउत (Sanjay Raut) ने साफ कर दिया है कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Shiv Sena Chief Uddhav thackeray) ही महाराष्‍ट्र के अगले मुख्‍यमंत्री होंगे और वे पांच साल तक मुख्‍यमंत्री रहेंगे. इस पूरी सियासी शतरंज में मराठा क्षत्रप कहे जाने वाले शरद पवार (Maratha Kshatrap Sharad Pawar) पावरफुल होकर सामने आए हैं और उन्‍होंने फिर सिद्ध कर दिया कि वे ही महाराष्‍ट्र के असली नेता हैं. 

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महाराष्‍ट्र के बड़े नेता और राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar)के अपने ही भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) ने जिस तरह की राजनीतिक बिसात बिछाई और एक झटके में शरद पवार को छोड़कर भाजपा की गोद में जा बैठे. और आनन फानन में भाजपा ने महाराष्‍ट्र में सरकार बनाई, उससे शरद पवार की प्रतिष्‍ठा पर भी सवाल उठने शुरू हो गए थे. दबी जुबान से कहा तो यह भी जा रहा था कि कहीं अजित पवार शरद पवार के ही इशारे पर तो भाजपा के साथ जाकर नहीं मिल गए. दो दिन तक चले सियासी संग्राम में अजित पवार पर तो सवाल उठे ही, साथ ही शरद पवार भी आशंका के दायरे में आ गए थे. लेकिन सारी उलझनों को झेलते हुए. जब शरद पवार खुद सामने आए तो एक ही झटके में एनसीपी के जो विधायक सुबह अजित पवार के साथ खड़े दिख रहे थे, शाम होते होते शरद पवार के एक इशारे पर अजित पवार को छोड़कर शरद पवार के पीछे आकर खड़े हो गए. जो अजित पवार काफिला लेकर उप मुख्‍यमंत्री बने थे, वे देखते ही देखते अकेले रह गए. उनके बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ खड़े होकर राजनीतिक लड़ाई ही नहीं, अदालती लड़ाई तक उनके साथ खड़े रहे और जरूरी मार्गदर्शन करते रहे. जब मंगलवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अगले दिन यानी 27 नवंबर को शाम पांच बजे तक विधानसभा में फ्लोर टेस्‍ट होगा, उसका सीध प्रसारण भी किया जाएगा, उसके बाद भाजपा के घोड़े खुल गए और भाजपा को लगने लगा कि अब सरकार को बचा पाना मुश्‍किल ही नहीं, नामुमिकन हो जाएगा.

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इससे पहले सोमवार शाम को होटल हयात में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने जो शक्‍ति प्रदर्शन किया, उससे ही लगने लगा था कि यह जंग भाजपा के कर्नाटक, पुणे और मणिपुर की तरह आसान नहीं होने वाला. इसी के बाद से भाजपा ने हथियार डालने शुरू कर दिए थे, उसके बाद सुप्रीम कोर्ट को जो आदेश आया, उसके बाद तो सब कुछ खत्‍म हो गया. पिछले तीन दिन से चली आ रही सियासी जंग में एक बार फिर सबसे बड़े हीरो के तौर पर तो शरद पवार ही सामने आए हैं.

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महाराष्‍ट्र में शरद पवार का लोहा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मानते रहे हैं, हालांकि पिछले दिनों जब महाराष्‍ट्र में विधानसभा चुनाव का प्रचार हो रहा था तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ओर इशारा किया था कि शरद पवार के घर में ही अनबन चल रही है और बड़ा विस्‍फोट हो सकता है, इसी का फायदा उठाने की कोशिश आखिरकार भाजपा ने की भी थी. यह दांव काम भी आया, लेकिन तीन दिन में ही शरद पवार ने ऐसी बाजी खेली की भाजपा चारो खाने चित्‍त हो गई और पहले उप मुख्‍यमंत्री अजित पवार ने इस्‍तीफा दिया और उसके बाद देवेंद्र फडणवीस ने भी अपने इस्‍तीफे का ऐलान कर दिया.

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41 साल पहले शरद पवार (Sharad Pawar) ने 38 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के मुख्‍यमंत्री का तमगा अपने नाम कर लिया था. कम उम्र में ही उन्‍होंने सियासत की सारी कलाबाजियां सीख ली थीं और तब से महाराष्‍ट्र (Maharashtra) की राजनीति का सिरमौर बने हुए हैं. महाराष्‍ट्र की राजनीति को समझनी हो तो शायद ही कोई राजनीतिशास्‍त्री शरद पवार की अनदेखी करने की भूल कर पाएगा. आज कालचक्र घुमा है और शरद पवार के साथ वहीं हुआ है, जो उन्‍होंने 41 साल पहले मुख्‍यमंत्री वसंतदादा पाटिल (Vasant Dada Patil) के साथ किया था. पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल की पत्नी शालिनी पाटिल (Shalini Patil) का कहना है कि समय का पहिया घूमा है और अजित पवार (Ajit Pawar) का कदम 41 साल पहले शरद पवार द्वारा उठाए गए कदमों का एक सबक है. लेकिन इससे पहले की कालचक्र पूरी तरह से घूम पाए, सारी चीजें शरद पवार ने अपने हाथों में कर ली.