राजस्थान विधानसभा चुनाव : इन 11 VVIP सीटों पर रहेगी सबकी नजर
कांग्रेस को राजस्थान की सत्ता आसानी से मिल जाने की उम्मीद है. हालांकि चुनाव प्रचार के अंतिम चरणों में बीजेपी (BJP) ने लोगों को अपने पक्ष में लाने की भरपूर कोशिश की थी.
जयपुर:
राजस्थान विधानसभा चुनाव में सभी Exit Poll कांग्रेस की वापसी की संभावना जता रहे हैं. खुद कांग्रेस को भी राजस्थान की सत्ता आसानी से मिल जाने की उम्मीद है. हालांकि चुनाव प्रचार के अंतिम चरणों में बीजेपी (BJP) ने लोगों को अपने पक्ष में लाने की भरपूर कोशिश की थी. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचार के अंतिम दिन प्रदेश में दो रैलियां करके बीजेपी के पक्ष में लहर पैदा करने की कोशिश की थी. दूसरी ओर, कांग्रेस को पूरी उम्मीद है कि इस बार भी राजस्थान की जनता 5 साल में सरकार बदलने की रवायत पर कायम रहेगी और उसे आसानी से सत्ता में वापसी का मौका मिलेगा. राजस्थान में इस बार भी जनता ने अपने मताधिकार का भरपूर प्रयोग किया, लेकिन पिछले चुनाव का रिकॉर्ड नहीं टूट पाया. इस पर 74.09% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया तो 2013 में 75% से अधिक मतदान हुआ था. लिहाजा इस बार मतदान का प्रतिशत 1.59 कम रह गया. रिजल्ट चाहे जो भी जो, इस बार कुछ सीटें आकर्षण का केंद्र रहेंगी. आइए जानते हैं राजस्थान की 11 सीटों के बारे में, जो VVIP सीट मानी जा रही हैं:
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1. झालरापाटन : यह प्रदेश की सबसे हॉट सीट (Hot Seat) मानी जा रही है. यह मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का चुनाव क्षेत्र है. कांग्रेस ने अपनी रणनीति से इस सीट पर मुकाबला और रोचक बना दिया है. कांग्रेस ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह को प्रत्याशी बना दिया है. मानवेंद्र सिंह चुनाव घोषित होने के बाद बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. कांग्रेस के दांव से बीजेपी के रणनीतिकार भी अंतिम समय में सकते में आ गए थे.
2. टोंक : यहां से कांग्रेस ने अंतिम समय में प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को उम्मीदवार बनाया. बताया जा रहा था कि सचिन पायलट टोंक से टिकट मिलने से नाखुश थे. हालांकि उन्होंने कभी इस बात को जाहिर नहीं किया. बीजेपी ने भी अंतिम समय में टोंक से युनूस खान को बतौर उम्मीदवार खड़ा करके जता दिया था कि वह भी दबाव में आने वाली नहीं है. युनूस खान प्रदेश में बीजेपी के एकमात्र अल्पसंख्यक प्रत्याशी हैं. यहां भी मुकाबला रोचक होने के आसार हैं. हालांकि कांग्रेस सचिन पायलट के चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त हैं. अगर कांग्रेस चुनाव जीतती है तो सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं.
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3. सरदारपुरा : यह सीट पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की परंपरागत सीट मानी जाती है. कांग्रेस ने अशोक गहलोत को मैदान में उतारा है. हालांकि अशोक गहलोत के चुनाव लड़ने को लेकर सचिन पायलट खेमे में नाराजगी है, लेकिन पार्टी का मानना था कि प्रदेश के सभी बड़े नेता चुनाव मैदान में उतरेंगे तो कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश जाएगा. इसी बिना पर अशोक गहलोत को मैदान में उतारा गया. उनके चुनाव मैदान में होने से उनके अनुभवों और लोकप्रियता का लाभ भी पार्टी को मिल सकता है. दूसरी ओर बीजेपी ने अशोक गहलोत के मुकाबले बीजेपी के शंभु सिंह चेतासर को खड़ा किया है. चेतासर को बीजेपी ने राज्यमंत्री का दर्जा दिया था.
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4. सांगानेश : यह सीट बीजेपी के लिए सिरदर्द बन सकती है, क्योंकि यहां से बीजेपी छोड़कर भारत वाहिनी पार्टी का गठन करने वाले घनश्याम तिवारी मैदान में हैं. बीजेपी ने यहां से अशोक लोहाटी तो कांग्रेस से पुष्पेंद भारद्वाज को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस को उम्मीद है कि घनश्याम तिवारी बीजेपी का वोट काटेंगे और पुष्पेंद्र भारद्वाज को एकतरफा बढ़त हासिल हो जाएगी. वहीं दूसरी ओर, बीजेपी भी घनश्याम तिवारी से यही उम्मीद लगाए बैठे है. घनश्याम तिवारी ने चुनाव से पहले उपेक्षा का आरोप लगाते हुए बीजेपी से किनारा कर लिया था और नई पार्टी बनाई थी.
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5. नौखा : यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामेश्वर डूडी चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि सरकार विरोधी लहर में रामेश्वर डूडी की नैया आसानी से पार हो जाएगी, लेकिन बीजेपी ने बिहारी बिश्नाई को मैदान में उतारा है. क्षेत्र में बिश्नाई समाज की धाक होने के कारण बीजेपी को यहां जीत का पूरा भरोसा है.
6. नाथद्वारा : कांग्रेस के दिग्गज नेता सीपी जोशी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले चुनाव में सीपी जोशी महज एक वोट से हार गए थे. इस बार शायद उन्हें अपनी कसक पूरी करने का मौका मिलेगा. माना जा रहा है कि कांग्रेस के जीतने पर मुख्यमंत्री पद के लिए गहलोत और पायलट खेमे में रार मची तो सीपी जोशी को मौका मिल सकता है. सीपी जोशी को राहुल गांधी का बहुत करीबी माना जाता है और कई राज्यों के वे प्रभारी महासचिव रह चुके हैं. उनके खिलाफ बीजेपी ने महेश प्रताप को चुनाव मैदान में उतारा है.
7. दिघ कुम्हेर : कांग्रेस ने यहां से विश्वेंद्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. रजवाड़े से ताल्लुक रखने वाले विश्वेंद्र सिंह और कांग्रेस को उम्मीद है कि वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी से यहां बेड़ा आसानी से पार हो जाएगा. वहीं बीजेपी ने शैलेश सिंह मैदान में उतारा है.
8. बीकानेर पश्चिम : कांग्रेस ने यहां बीडी कल्ला को प्रत्याशी बनाया है. इस चुनाव में बीडी कल्ला को लेकर काफी विवाद भी सामने आए थे. उनके कुछ वीडियो काफी वायरल (VIRAL) हुए थे. बीजेपी ने उनके खिलाफ गोपाल जोशी को उम्मीदवार बनाया है. बीजेपी नेताओं को उम्मीद है कि कल्ला की विवादित छवि के चलते गोपाल जोशी के जीतने का रास्ता साफ हो सकता है.
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9. अंता (बारां) : कांग्रेस ने यहां से प्रदेश के दिग्गज नेता प्रमोद जैन भाया को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी से राज्य सरकार में मंत्री प्रभुलाल सैनी मैदान में हैं. यहां दिग्गज मंत्री और दिग्गज नेता में मुकाबला होने के कारण यह सीट रोचक हो गई है.
10. पोखरण : मतदाताओं ने यहां सबसे अधिक जोश दिखाया और पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा 87.39 प्रतिशत मतदान यहां दर्ज किया गया. यहां से संत प्रताप पूरी बीजेपी की ओर से चुनाव मैदान में हैं. भारी संख्या में हुए मतदान की वजह से यह सीट चर्चा में बनी हुई है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यहां बीजेपी के खिलाफ लोग बहुत नाराज थे इसलिए वोट देने के लिए भारी संख्या में निकलकर सामने आए. वहीं बीजेपी का तर्क है कि भारी संख्या में मतदान बीजेपी के पक्ष में होता है. यहां से कांग्रेस के सालेह मोहम्मद चुनाव लड़ रहे हैं.
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11. बाड़मेर : यह सीट इसलिए खास है कि बीजेपी यहां से सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी को चुनाव लड़ा रही है. सांसद होते हुए भी सोनाराम चौधरी को चुनाव लड़ाना राजनीतिक पंडितों को हैरान कर रहा है. कर्नल सोनाराम चौधरी यहां से दिग्गज नेता हैं और उनके खिलाफ कांग्रेस ने मेवाराम जैन को चुनाव मैदान में उतारा है.
12. उदयपुर : यहां से गृह मंत्री गुलाबचंद्र कटारिया चुनाव लड़ रहे हैं और कांग्रेस ने दिग्गज नेत्री गिरिजा व्यास को यहां से उतारकर मुकाबला और रोचक बना दिया है. गुलाबचंद्र कटारिया बीजेपी के दिग्गज नेता हैं और वसुंधरा सरकार में नंबर दो के मंत्री हैं. दूसरी ओर गिरिजा व्यास कांग्रेस की दिग्गज नेत्री रही हैं और गांधी परिवार की वह करीबी हैं.
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