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मंदी (Economic Slowdown) की मार: जानिए क्‍यों यह पार्टी (Political Party) नहीं लड़ पाएगी चुनाव (Assembly Election)!

हालांकि पार्टी के अधिकांश नेताओं का मत था कि चुनाव मैदान में उतरा जाए. इन नेताओं का तर्क है कि अगर चुनाव मैदान में नहीं उतरा गया तो पार्टी की ताकत प्रभावित होगी.

Updated on: 18 Sep 2019, 09:18 AM

नई दिल्‍ली:

देश की अर्थव्‍यवस्‍था में सुस्‍ती के चलते एक राजनीतिक दल ने विधानसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया है. पार्टी का कहना है कि देश के मौजूदा हालात में अगर हमने उम्‍मीदवार उतारे तो चुनाव का खर्च देना मुश्‍किल हो जाएगा. हालांकि पार्टी के अधिकांश नेताओं का मत था कि चुनाव मैदान में उतरा जाए. इन नेताओं का तर्क है कि अगर चुनाव मैदान में नहीं उतरा गया तो पार्टी की ताकत प्रभावित होगी.

  • BMC चुनाव 2017 में MSN का प्रदर्शन - 227 सीटों पर लड़ी, सिर्फ 7 जीती
  • 2014 विधानसभा चुनाव- सिर्फ जुन्नर विधानसभा सीट से शरद सोनवने जीते. अब वो भी पार्टी छोड़ गए.
  • 2014 लोकसभा चुनाव- 18 उम्मीदवार उतारे, एक सीट पर भी जीत नहीं.

हम बात कर रहे हैं राज ठाकरे की पार्टी महाराष्‍ट्र नवनिर्माण सेना की. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राज ठाकरे ने खुद ही पार्टी नेताओं से चुनाव न लड़ने का सुझाव दिया है. पार्टी नेताओं की बैठक में राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा कि देश की आर्थिक हालत खराब है, लिहाजा अपने पास पैसे संभाल कर रखें और सोच-समझकर खर्च करें. ऐसी हालत में चुनाव न लड़ें तो ज्‍यादा अच्‍छा है. सूत्रों के अनुसार बैठक में राज ठाकरे ने कहा कि पार्टी ने चुनाव मैदान में उम्मीदवार उतारे तो फंड देना मुश्किल हो जाएगा.

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बताया यह भी जा रहा है कि राज ठाकरे की इस बात का कुछ पार्टी नेताओं ने समर्थन किया, लेकिन अधिकांश नेता इसके विरोध में बोले. विरोध करने वाले नेताओं का कहना था कि चुनाव न लड़ने से पार्टी की हालत जहां मजबूत है, वहां भी कमजोर हो जाएगी और इससे पार्टी की छवि पर भी असर पड़ेगा. यह भी कहा जा रहा है कि अभी फाइनल फैसला नहीं हुआ है.

बता दें कि MNS ने लोकसभा चुनाव में भी उम्मीदवार नहीं उतारे थे, लेकिन राज ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी (NCP) के पक्ष में जमकर प्रचार किया था.