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भवानीपुर सीट से बीजेपी की प्रियंका टिबरीवाल लड़ेंगी ममता के खिलाफ चुनाव

पश्चिम बंगाल उपचुनाव में भवानीपुर सीट से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुकाबला कौन करेगा, इस पर सस्पेंस खत्म हो गया है. बीजेपी ने इस सीट पर वकील प्रियंका टिबरीवाल के नाम की घोषणा कर दी है.

Updated on: 10 Sep 2021, 12:58 PM

कोलकाता:

पश्चिम बंगाल उपचुनाव में भवानीपुर सीट से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुकाबला कौन करेगा, इस पर सस्पेंस खत्म हो गया है. बीजेपी ने इस सीट पर वकील प्रियंका टिबरीवाल के नाम की घोषणा कर दी है. टिबरीवाल भाजपा नेता बाबुल सुप्रियो की कानूनी सलाहकार रह चुकी हैं, सुप्रियो के सलाह के बाद ही वह अगस्त 2014 में भाजपा में शामिल हुई थीं. प्रियंका टिबरेवाल चुनाव बाद हिंसा के मामले में लगातार अदालत में ममता सरकार को घेरती रही हैं. वहीं बीजेपी ने पार्टी ने समसेरगंज सीट से मिलन घोष और जंगीपुर सीट से सुजीत दास को उम्मीदवार बनाया है.

कौन हैं प्रियंका टिबरीवाल  
प्रियंका टिबरेवाल का जन्म सात जुलाई 1981 को कोलकाता में हुआ था. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा वेलैंड गॉल्डस्मिथ स्कूल से पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. उसके बाद, उन्होंने 2007 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के अधीनस्थ हाजरा लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री हासिल कीं. उन्होंने थाईलैंड अनुमान विश्वविद्यालय से एमबीए भी किया है. साल 2015 में, उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार के रूप में वार्ड संख्या 58 (एंटली) से कोलकाता नगर परिषद का चुनाव लड़ा, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के स्वपन समदार से हार गई थीं. बीजेपी में अपने छह साल के कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्यों को संभाला और अगस्त 2020 में, उन्हें पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) का उपाध्यक्ष बनाया गया. इस साल उन्होंने इंटाली से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन टीएमसी के स्वर्ण कमल साहा से 58,257 मतों के अंतर से हार गईं.

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चुनाव आयोग ने 30 सितंबर को पश्चिम बंगाल की तीन विधानसभा सीटों-भवानीपुर, जंगीपुर और समसेरगंज में उपचुनाव कराने की घोषणा की. टीएमसी ने 294 सदस्यीय पश्चिम बंगाल विधानसभा में 213 सीटों पर जीत हासिल करते हुए भारी जीत दर्ज की. बीजेपी चुनाव हार गई लेकिन 77 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी.

यह उपचुनाव ममता बनर्जी की साख और सीएम पद पर बने रहने के लिए बेहद अहम है. मई में आए विधानसभा चुनाव के नतीजों में उन्हें नंदीग्राम सीट पर हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद भी वह सीएम बनी थीं. ऐसे में उनके लिए सीएम बनने के 6 महीने के भीतर विधायक बनना जरूरी है. इसलिए भवानीपुर का चुनाव ममता बनर्जी के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.