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मिजोरम चुनाव 2018: क्या कांग्रेस बचा पाएगी पूर्वोत्तर का एकमात्र गढ़?

पिछले दो सालों में असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में कांग्रेस ने सत्ता गंवाई है. गौरतलब है कि मेघालय में सबसे ज्यादा 20 सीटें लाने के बाद भी कांग्रेस सरकार बना पाई थी.

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saketanand gyan
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मिजोरम चुनाव 2018: क्या कांग्रेस बचा पाएगी पूर्वोत्तर का एकमात्र गढ़?

मिजोरम के मुख्यमंत्री ललथनहवला

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मिजोरम विधानसभा चुनाव 2018 के लिए 28 नवंबर को एक चरण में मतदान होने हैं. उत्तर-पूर्व में मिजोरम एकमात्र राज्य है जहां अब कांग्रेस सत्ता में है. 11 लाख की आबादी वाले इस छोटे राज्य में विधानसभा की 40 सीटें हैं और कांग्रेस 2008 से यहां सत्तारूढ़ पार्टी है. कांग्रेस के लिए यह विधानसभा चुनाव काफी अहम इसलिए माना जा रहा है कि पिछले 2 सालों तक उत्तर-पूर्व में पार्टी का दबदबा कायम था लेकिन अब सिर्फ इसी राज्य से आस बची है. ललथनहवला के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार तीसरी जीत पर नजर बनाई हुई है. कांग्रेस 1987 में राज्य को पूर्ण दर्जा मिलने के बाद से 1998 से 2008 के बीच के वर्षों को छोड़कर सत्ता में रही है.

मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि इस बार कांग्रेस 37 सीटों पर जीत दर्ज करेगी, जो कि 2013 के चुनाव में कांग्रेस को मिली सीटों से तीन सीट अधिक है. क्षेत्रीय पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) कांग्रेस के लिए मुसीबत बन सकती है क्योंकि इस बार मुकाबला कड़ा दिख रहा है. उत्तर-पूर्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पिछले 3 सालों में बने प्रभुत्व के बाद कांग्रेस की स्थिति डगमगा सकती है. साथ ही मेघालय और अन्य जगहों पर चुनाव बाद हुए गठजोड़ के उदाहरण भी अलग समीकरण बना सकते हैं.

पूर्वोत्तर के सात में से छह राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या तो अकेली पूर्ण बहुमत वाली पार्टी के तौर पर या गठबंधन के साथ सत्ता में काबिज है. मिजोरम में भी बीजेपी और आरएसएस का प्रभाव लगातार बढ़ा है. इसी महीने के शुरुआत में विधानसभा के अध्‍यक्ष और कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता हिफेई ने बीजेपी की सदस्‍यता ग्रहण कर ली थी.

जानिए पिछले दो विधानसभा का हाल

2013 विधानसभा चुनाव: पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 40 में से 34 सीटें हासिल की थी. इसी चुनाव में 10 विधानसभा सीटों पर भारत में पहली बार वीवीपीएटी (वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल) मशीनों का उपयोग हुआ था.

कांग्रेस को कुल 44.6 फीसदी वोट मिले थे वहीं 5 सीटें जीतने वाली मिजो नेशनल फ्रंट को 28.7 फीसदी वोट हासिल हुई थी. पिछले चुनाव में बीजेपी की मौजूदगी न के बराबर थी और सिर्फ 0.4 फीसदी वोट मिली थी. राज्य की एक सीट मिजोरम पीपल्स कांफ्रेंस के पास गई थी.

2008 विधानसभा चुनाव: राज्य में 5 बार मुख्यमंत्री रह चुके ललथनहवला के नेतृत्व में कांग्रेस ने 10 साल के बाद दोबारा वापसी की थी. कांग्रेस को कुल 32 सीटें मिली थी वहीं मिजो नेशनल फ्रंट 3 सीटों पर सिमट गई थी.

इसके अलावा मिजोरम पीपल्स कांफ्रेंस और जोराम नेशनलिस्ट पार्टी के पास दो-दो सीटें और मारालैंड डेमोक्रेटिक पार्टी को 1 सीट मिली थी. इससे पहले 1998 और 2003 के विधानसभा चुनावों में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार बनी थी.

पूर्वोत्तर से कांग्रेस का हुआ है सफाया

पिछले दो सालों में असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में कांग्रेस ने सत्ता गंवाई है. गौरतलब है कि मेघालय में सबसे ज्यादा 20 सीटें लाने के बाद भी कांग्रेस सरकार बना पाई थी. 2 सीटें हासिल करने वाली बीजेपी ने नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी) (20 सीटें) और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी.

मिजोरम केंद्रशासित प्रदेश से 1987 में भारत का 23वां राज्य बना था. 1972 में असम से अलग होकर बने मिजोरम में बीजेपी आज तक सत्ता में नहीं आ पाई है. इसलिए बीजेपी उत्तर-पूर्व को समेटने की कोशिश कर रही है. बीजेपी सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. हालांकि क्षेत्रीय पार्टियों के साथ पहले काम कर चुकी है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड के मुख्यमंत्रियों ने अपने उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया था.

मुख्यमंत्री ललथनहवला को है आस

ललथनहावला ने कहा था, 'बीजेपी की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति से मिजोरम की जनता प्रभावित नहीं होगी. वे भगवा शासन में पड़ोसी राज्यों की तबाही देख रहे हैं. इसलिए सरकार के उस मॉडल को नहीं लाना चाहते हैं.'

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 उन्होंने कहा, 'कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है. लोग यहां कांग्रेस के शासन में खुश हैं. मिजोरम देश में सबसे तीव्र विकास करने वाले देशों में शुमार है और राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) राष्ट्रीय औसत से अधिक है. यहां बुनियादी ढांचा है और नौकरी है. मिजोरम पूवरेत्तर का एकमात्र प्रदेश है जहां शांति है.'

दो सीटों से लड़ रहे हैं मुख्यमंत्री

ललथनहवला विधानसभा चुनाव में अपने गृह क्षेत्र सरछिप और म्यामां सीमा पर स्थित चम्फाई दक्षिण से चुनाव लड़ रह रहे हैं. ललथनहवला के मुकाबले सरछिप सीट से जोराम पीपुल्स मूवमेंट (जोपीमू) के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार लालदुहोमा, मिजो नेशनल फ्रंट के उम्मीदवार सी लालरामजाउवा और पीपुल्स रिप्रजेंटेशन फार आइडेंटिटी एंड स्टेटस आफ मिजोरम के अध्यक्ष वानलालरूआता हैं.

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चम्फाई दक्षिण सीट से मुख्यमंत्री का मुकाबला मिजो नेशनल फ्रंट के टी जे ललनुंतलुआंगा तथा जोपीमु के सी लालरेमलिआना के साथ है. ये दोनों उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं.

पिछले बार से 67 उम्मीदवार अधिक

बुधवार को होने वाले विधानसभा चुनाव में कुल 209 उम्मीदवार मैदान में हैं, जो 2013 के मुकाबले 67 ज्यादा हैं. 209 उम्मीदवारों में से 15 महिलाएं हैं. 2013 में केवल छह महिला उम्मीदवार मैदान में थीं, जिसमें से किसी ने भी जीत हासिल नहीं की थी.

राज्य में 7,68,181 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने वाले हैं. मिजोरम की मतदाता सूची में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. कुल महिला मतदाताओं की संख्या 3,93,685 है, जबकि पुरुष 3,74,496 हैं.

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Source : News Nation Bureau

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