यूपी विधानसभा चुनाव 2017: क्या हो अगर चुनाव आयोग साइकिल न अखिलेश को दे न मुलायम को

इससे पहले शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त की अगुवाई में आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और इस मामले पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

इससे पहले शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त की अगुवाई में आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और इस मामले पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

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abhiranjan kumar
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यूपी विधानसभा चुनाव 2017: क्या हो अगर चुनाव आयोग साइकिल न अखिलेश को दे न मुलायम को

मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी (फाइल फोटो)

समाजवादी पार्टी के अंदर चुनाव चिह्न 'साइकिल' को लेकर मचे घमासान पर चुनाव आयोग आज अंतिम फैसला ले सकता है। संभावना जताई जा रही है कि आयोग सपा के चुनाव चिन्‍ह ‘साइकिल’ को जब्त कर सकता है।

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चुनाव चिन्‍ह ‘साइकिल’ के लिए अखिलेश और मुलायम का खेमा अपनी दावेदारी पेश कर रहा है। अगर आयोग ‘साइकिल’ को जब्त करता है तो दोनों को अलग-अलग चुनाव चिह्न दिये जाने की संभावना है। 

दोनों दोनों ही गुट चुनाव चिन्ह साइकिल पर अपना दावा पेश कर चुके हैं। दोनों ने ही दावा किया है कि ज्यादातर विधायक, सांसद और पार्टी के प्रतिनिधि उनके साथ हैं।

हालांकि पार्टी के नैशनल प्रेसिडेंट के पद से हटाए जाने के बाद मुलायम ने अपने पक्ष में बहुमत जुटाने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई। वहीं अखिलेश को करीब 200 से अधिक विधायकों का समर्थन मिला।

ऐसा बताया जा रहा है कि चुनाव चिह्न के जब्त किए जाने की आशंका को देखते हुए मुलायम सिंह ने नरम रूख अख्तियार करते हुए चुनाव आयोग में साइकिल चुनाव चिह्न को लेकर कोई दावेदारी वापस ले ली है।

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इससे पहले शुक्रवार को मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी की अगुवाई में आयोग ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनी थीं और इस मामले पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

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शुक्रवार को हुई सुनवाई के बाद जानकारी देते हुए वकील गौरी ने कहा, 'मुलायम जी ने कहा कि शुरुआत से ही वह पार्टी के वैधानिक अध्यक्ष हैं, इसलिए कोई भी व्यक्ति अवैधानिक रूप से सम्मेलन बुलाकर उन्हें उनके पद से नहीं हटा सकता है।'

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आयोग के समक्ष सुनवाई के दौरान मुलायम के साथ उनके भाई शिवपाल यादव, आशु मलिक और संजय सेठ भी मौजूद थे। निर्वाचन आयोग में शुक्रवार को सुनवाई करीब चार घंटे तक चली थी।

Source : News Nation Bureau

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