Goa Assembly Election 2022 : गोवा के चुनावी मुद्दे और सियासी समीकरण

आइए, गोवा विधानसभा चुनाव से जुड़े प्रमुख मुद्दे, राजनीतिक समीकरण, मुख्यमंत्री पद के दावेदार, राज्य की सांस्कृतिक -भौगोलिक विशेषताएं और आबादी का अनुपात वगैरह को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.

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Keshav Kumar
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गोवा विधानसभा चुनाव 2022( Photo Credit : News Nation)

इस साल पहली छमाही में देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. 10 मार्च को सभी राज्यों में मतगणना होगी. पश्चिम तटीय राज्य गोवा में एक ही चरण में 14 फरवरी को मतदान होगा. इसके लिए 21 जनवरी को अधिसूचना जारी कर दी जाएगी. 28 जनवरी तक नामांकन होंगे और नामांकन की जांच 29 जनवरी को होगी. 31 जनवरी तक उम्मीदवारों को अपना नाम वापस लेने का समय मिलेगा. 4 फरवरी 2022 को वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है.   गोवा में पिछली बार चार फरवरी को मतदान हुआ था और 11 मार्च 2017 को मतगणना हुई थी.

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गोवा में चुनाव प्रचार अभियान में स्थानीय से ज्यादा बाहरी चेहरों का जोर रहेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल प्रचार के दौरान छाए रहने वाले चेहरे साबित होंगे. आइए, गोवा विधानसभा चुनाव से जुड़े प्रमुख मुद्दे, राजनीतिक समीकरण, मुख्यमंत्री पद के दावेदार, राज्य की सांस्कृतिक -भौगोलिक विशेषताएं और आबादी का अनुपात वगैरह को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं.

मौजूदा स्थिति

गोवा राज्य में 40 विधानसभा सीट हैं. फिलहाल गोवा में बीजेपी की सरकार है. उसके पास गठबंधन समेत 25 विधायक हैं और एक निर्दलीय का समर्थन है. हाल ही में बीजेपी के दो विधायकों कार्लोज अल्मेडिया और एलिना सालदना ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. 

जनसंख्या का अनुपात

साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, गोवा एक हिंदू बहुल राज्य है. राज्य में करीब 66.08 प्रतिशत यानी 963,877 लाख हिंदू हैं. गोवा के दोनों जिलों नॉर्थ गोवा और साउथ गोवा में हिंदू बहुल आबादी है. 15 लाख की आबादी वाले गोवा में 8.33 प्रतिशत यानी 1.22 लाख आबादी मुस्लिमों की है. हिंदुओं के बाद सबसे ज्यादा तादाद राज्य में ईसाइयों की है. राज्य में करीब 25.10 प्रतिशत यानी 3.66 लाख ईसाई रहते हैं. ऐसे में गोवा में हिंदुओं के बाद सत्ता में सबसे ज्यादा दबदबा ईसाइयों का है.

गोवा ऐसा राज्य है, जहां महज 0.04 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति रहती है. यहां 0.10 प्रतिशत सिख और 0.08 प्रतिशत बौद्ध और जैन समुदाय के लोग रहते हैं. अन्य धर्मों को मानने वाले लोग सिर्फ 0.02 प्रतिशत हैं. प्रवासी या गोवा के बाहर के निवासियों की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है. एक तरह से यह गोवा की मूल आबादी के बराबर ही है. कुछ इलाकों में यह ज्यादा भी है. 

प्रमुख चुनावी मुद्दे

खनन का मुद्दा - पहले राज्य की अर्थव्यवस्था में लौह अयस्क के खनन की हिस्सेदारी करीब 75 फीसदी तक थी.  साल 2012 से पहले राज्य की अर्थव्यवस्था में इसकी हिस्सेदारी पर्यटन से भी ज्यादा थी. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य में दस साल से खनन बंद है. इसलिए राज्य भर में खासकर दक्षिण गोवा में चुनाव का सबसे बड़ा मुद्दा खनन है. इस चुनाव में सभी पार्टियां सत्ता में आने पर इसे दोबारा शुरू कराने का वादा कर रही हैं. राज्य में नई आई आम आदमी पार्टी ने तो सत्ता में आने के छह महीने के भीतर इसे दोबारा शुरू कराने का वादा किया है.
  
बेरोजगारी का मुद्दा - राज्य के युवाओं में देश के बाकी प्रदेश की तरह रोजगार की कमी एक बड़ा मुद्दा है. कोरोना वायरस महामारी की वजह से पर्यटन पर पड़े बुरे असर ने इसे बढ़ाने का काम किया है. पिछले 10 साल से बंद पड़े खनन कारोबार ने भी इसे बढ़ाया है. 

भ्रष्टाचार का मुद्दा - गोवा में भ्रष्टाचार भी बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है. विपक्ष राज्य में आक्रामक तरीके से भ्रष्टाचार को मुद्दा बना रहा है. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तो गोवा को पहली बार भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देने का वादा किया है.

नशा और जुआ का मुद्दा - गोवा में समुद्र तटों पर विलासिता के साधनों पर ड्रग्स और जुआ को लेकर पिछली सरकारों ने काफी सख्ती की है. इसको लेकर भी कई इलाकों में यह बड़ा मुद्दा है. 

इसके अलावे कई स्थानीय मुद्दों के साथ विकास की बात सभी राजनीतिक दल कर रहे हैं. कुछ दलों ने कोंकणी भाषा और संस्कृति का राग भी चुनाव से पहले छेड़ा है.

मुख्यमंत्री पद का संघर्ष

सत्तारुढ़ बीजेपी की ओर से मौजूदा मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत आगामी चुनाव में भी मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे. हालांकि, पार्टी की ओर से विश्वजीत राणे भी लोकप्रिय चेहरा हैं. बीजेपी ने हाल ही में कई राज्यों में मुख्यमंत्री बदले हैं.  

साल 2007 से 2012 तक गोवा के मुख्यमंत्री रहे दिगंबर कामत इस बार भी कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा हो सकते हैं. कांग्रेस ने दिसंबर में ही आठ सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए थे. इनमें कामत का नाम भी शामिल है.

वहीं, राज्य में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही आम आदमी पार्टी ने फिलहाल गोवा में मुख्यमंत्री पद के चेहरे का ऐलान नहीं किया है. अब तक आए कुछ चुनाव पूर्व सर्वे में इस पार्टी को गोवा में कुछ सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.

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पिछली बार का परिणाम

साल 2017 विधानसभा चुनाव में राज्य में 83 फीसदी वोटिंग हुई थी. 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गोवा की 40 सीटों में से कांग्रेस और बीजेपी ने 36-36 सीटों पर चुनाव लड़ा था. इनमें से कांग्रेस को 17 तो बीजेपी को 13 सीटों पर जीत मिली थीं. वहीं गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) ने चार सीटों पर चुनाव लड़कर तीन सीटों पर जीत का परचम फहराया था. इसके अलावा महाराष्ट्रवादी गोमान्तक पार्टी (एमजीपी) ने 34 सीटों पर चुनाव लड़ा था, हालांकि उसे सिर्फ तीन सीटों पर ही जीत मिली थी. इसके अलावा 3 सीटें निर्दलीय प्रत्याशियों के खाते में और एक सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के खाते में गई थी. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को उस चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी.

HIGHLIGHTS

  • साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक गोवा एक हिंदू बहुल राज्य 
  • गोवा में हिंदुओं के बाद सत्ता में सबसे ज्यादा दबदबा ईसाइयों का है
  • प्रवासी या गोवा के बाहर के निवासियों की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत AAM Admi Party उप-चुनाव-2022 Goa assembly election 2022 बीजेपी congress cm pramod sawant कांग्रेस BJP Political Issues Valentines day आम आदमी पार्टी assembly-elections-2022 tmc
      
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