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Kerala Election: कौन हैं पीसी चाको, जिन्होंने कांग्रेस में मचा दी खलबली

साल 1980 में पीसी चाको (PC Chacko) पहली बार पिरावम से केरल विधानसभा के लिए चुने गए और ई. के. नायर की सरकार में मंत्री बनाए गए. वे 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

Updated on: 20 Mar 2021, 03:10 PM

highlights

  • पीसी चाको ने कांग्रेस छोड़कर एनसीपी ज्वाइन की
  • 1980 में पहली बार विधानसभा पहुंचे
  • गांधी परिवार को प्रथम परिवार कहा था

नई दिल्ली:

केरल में विधानसभा चुनाव होना है. वाम गठबंधन सत्ता में है. वाम दल फिर से सत्ता में लौटेगा या कांग्रेस (Congress) को मौका मिलेगा, इसे लेकर पूरे देश की नजर केरल (Kerala) पर बनी हुई है. कांग्रेस (Congress) के लिए यह प्रतिष्ठा का विषय है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) यहीं से सांसद हैं. राज्य में बीजेपी (BJP) बहुत बड़ी भूमिका निभाने की स्थिति में नहीं है, लेकिन पार्टी की रणनीति कांग्रेस को पीछे कर खुद को विपक्ष के तौर पर खड़ा करने की है. हालांकि कांग्रेस को उस वक्त तगड़ा झटका लगा जब पीसी चाको (PC Chacko) ने पार्टी को अलविदा कह दिया.

केरल विधानसभा चुनाव (Kerala Assembly Elections) से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी (Congress Party) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) को उनके दो बड़े नेताओं ने झटका दे दिया है. कांग्रेस पार्टी को पीसी चाको (PC Chacko) ने झटका दिया तो वहीं बीजेपी को पीसी थॉमस (PC Thomas) ने. इन दोनों नेताओं के दल बदल ने केरल में सियासी गर्मी बढ़ा दी है. राजनीतिक पंडित अब इनके दल बदल के फायदे और नुकसान देख रहे हैं, वहीं राजनीतिक पार्टियां भी चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़ने वाले इन नेताओं से परेशान है. 

कौन हैं पीसी चाको

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केरल विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले पीसी चाको (PC Chacko) का जन्म केरल के कोट्टायम जिले में हुआ. चाको केरला स्टूडेंट यूनियन के जरिए राजनीति में सक्रिय हुए. साल 1980 में पीसी चाको (PC Chacko) पहली बार पिरावम से केरल विधानसभा के लिए चुने गए और ई. के. नायर की सरकार में मंत्री बनाए गए. वे 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहते हुए वे हमेशा पार्टी का बचाव करते रहे हैं. 

गांधी परिवार को प्रथम परिवार कहा था

चाको का गांधी परिवार से मोहभंग हो गया लगता है. 2 साल पहले तक वे गांधी परिवारो को 'भारत का प्रथम परिवार' बता रहे थे. चाको ने तब कहा था कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत के पहले परिवार के बारे में नकरात्‍मक राय है. वह सच में भारत का पहला परिवार है. भारत उनका आभारी है. भारत आज जो है वो पंडित जवाहरलाल नेहरू की योजना और नेतृत्‍व की वजह से है'.

ऐसा रहा अब तक का सफर

पीसी चाको करीब पांच दशक से कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे थे. वे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शामिल रहे. वह कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. चाको 2009 से लेकर 2014 तक केरल के थ्रिसूर से सांसद भी रहे. केरल चुनाव से पहले चाको का कांग्रेस छोड़ना पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. एनसीपी में उनकी भूमिका क्या होगी, इसे लेकर अभी कोई जानकारी सामने नहीं आयी है. कांग्रेस के लिए केरल से बहुत अच्छी खबरें नहीं आ रहीं. 2 दिनों पहले ही टिकट ना मिलने से नाराज केरल महिला कांग्रेस अध्यक्ष लथिका सुभाष ने इस्तीफा दे दिया था.

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अब पीसी चाको शरद पवार की पार्टी NCP में शामिल हो गए हैं. इस दौरान उन्होंने ट्वीट कर कहा मैं आज औपचारिक रूप से NCP में शामिल हो रहा हूं. NCP केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट का हिस्सा है. एक बार फिर मैं NCP के एक हिस्से के रूप में LDF में वापस आ गया हूं. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में जो कुछ भी हो रहा है, उस पर चर्चा जरूरी है. इसीलिए मैं पवार साहब से मिलने वाला हूं. मैं सीताराम येचुरी और गुलाब नबी आजाद से मिलने वाला हूं. मैं आज औपचारिक रूप से एनसीपी में शामिल हो रहा हूं. एनसीपी केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा का हिस्सा है.

पिछले चुनाव की स्थिति

2016 के चुनाव में सीपीएम ने 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. 58 में उन्हें जीत मिली थी. सीपीआई को 27 में से 19 सीटों पर जीत हासिल हुई. जेडीएस को 5 में से 3 सीटों पर जीत मिली. एनसीपी को चार में से दो सीटें मिलीं. केरल कांग्रेस बी, कांग्रेस सेक्युलर, आरएसपी लेनिनिस्ट, नेशनल सेक्युलर कॉन्फ्रेंस, सीएमपी को एक-एक सीट मिली. आईएनएल और जनाधिपत्य केरल कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली.

कांग्रेस 87 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. उसे 22 सीटें मिली थीं. मुस्लिम लीग को 24 में से 18 सीटें मिलीं. केरल कांग्रेस मणि गुट को 15 में से छह सीटें मिलीं. केरल कांग्रेस जैकब गुट को एक सीट मिली. जनता दल यूनाइडेट और आरएसपी को एक भी सीट नहीं मिली. बीजेपी ने 98 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे. लेकिन जीत एक सीट पर ही मिली.