दिल्ली के चुनावी अखाड़े में अपने बलबूते उतरेगी JDU, मगर डगर नहीं आसान

दिल्ली में चुनावी बिगुल बज चुका है. राष्ट्रीय राजधानी का कौन होगा 'सरताज', इसके लिए चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही जद्दोजगह भी शुरू हो चुकी है.

दिल्ली में चुनावी बिगुल बज चुका है. राष्ट्रीय राजधानी का कौन होगा 'सरताज', इसके लिए चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही जद्दोजगह भी शुरू हो चुकी है.

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Dalchand Kumar
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दिल्ली के चुनावी अखाड़े में अपने बलबूते उतरेगी JDU, मगर डगर नहीं आसान

दिल्ली के चुनावी अखाड़े में अपने बलबूते उतरेगी जेडीयू, डगर बड़ी कठिन( Photo Credit : फाइल फोटो)

दिल्ली में चुनावी बिगुल बज चुका है. राष्ट्रीय राजधानी का कौन होगा 'सरताज', इसके लिए चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही जद्दोजगह भी शुरू हो चुकी है. सभी राजनीतिक दल पूरी शिद्दत से चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं. कड़ाके की ठंड में दिल्ली का सियासी मौसम गर्म हो चुका है. इस बार जहां राजधानी में हाड़ कंपा देने वाली ठंड ने 118 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया तो वहीं पार्टियां अपने-अपने रिकॉर्ड बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. बिहार में भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन में सत्तारुढ़ जनता दल यूनाईटेड (जेडीयू) पार्टी भी दिल्ली के दंगल में अपने बलबूते पर उतरने जा रही है. पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली प्रदेश इकाई के अनुरोध पर राज्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है. जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री संजय झा ने इसकी जानकारी दी.

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संजय झा कहते हैं कि पार्टी नेतृत्व ने दिल्ली विधानसभा चुनाव पूरे दमखम से लड़ने का फैसला किया है. झा का कहना है कि पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली प्रदेश इकाई के अनुरोध पर राज्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है. हालांकि दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जेडीयू नेतृत्व ने अभी यह तय नहीं किया है कि पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, मगर इतना तय है कि पार्टी इस चुनाव में अकेले लड़ेगी.

उनका यहां तक कहना है कि दिल्ली में काफी अधिक संख्या में पूर्वांचली मतदाताओं के हितों को सालों से अनदेखा किया जा रहा है और इस कमी को जेडीयू ही दूर कर सकती है. इसके मद्देनजर पार्टी पूरे दमखम से चुनाव लड़ेगी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी चुनाव प्रचार में सक्रिय हिस्सेदारी करेंगे. संजय झा कहते हैं कि सीटों के निर्धारण और उम्मीदवारों के चयन के लिए शुक्रवार को वह दिल्ली प्रदेश इकाई के साथ बैठक कर जेडीयू की चुनावी रणनीति को अंतिम रूप देंगे.

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दिल्ली की चुनावी लड़ाई में भले ही जेडीयू ने अकेले बाजी मारने का फैसला कर लिया हो, मगर यहां उसके लिए मुकाबला इतना भी आसान नहीं है. क्योंकि हाल ही में झारखंड के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने बीजेपी से हाथ नहीं मिलाया था, जिसका हर्जाना भी उसे चुकाना पड़ा. जब बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में जेडीयू का खाता तक नहीं खुल पाया था. तो क्या वहां से हजारों किलोमीटर दूर दिल्ली में वह अपने लिए यह सीट पर बचा पाएगी. वो भी जब तब दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी फिर से सत्ता में वापसी की पुरजोर कोशिश में जुटी है.

इतना ही नहीं यहां 10 साल से सत्ता से बाहर चल रही भारतीय जनता पार्टी भी चुनावी चौसर पर मोहरे बिछाए बैठी और दिल्ली की कु्र्सी हासिल करने के सपने देख रही है. कांग्रेस भी प्रतिष्ठा भी एक बार यहां दांव पर है, क्योंकि पिछले चुनाव में देश की सबसे पुरानी पार्टी एक सीट तक जीत पाई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिहार में बीजेपी के समर्थन से सरकार चला रही जेडीयू के लिए दिल्ली की डगर आसान होगी. हालांकि 8 फरवरी को इसका फैसला हो जाएगा. बता दें कि 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा के चुनाव 8 फरवरी को होने वाले हैं, जबकि मतगणना 11 फरवरी को होगी.

Source : dalchand

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