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jayant chaudhry ( Photo Credit : social media)
Jayant Choudhary: जयंत चौधरी ने NDA में शामिल होने को लेकर हामी भर दी है. उन्होंने इशारों-इशारों में भाजपा गठबंधन में जाने का मन बनाया लिया है. मोदी सरकार ने शुक्रवार को RLD चीफ जयंत चौधरी के दादा और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया है. सरकार की इस घोषणा के बाद जयंत बेहद भावुक हो उठे. उन्होंने पीएम मोदी का तहे दिल से शुक्रिया किया. इस दौरान जब उनसे भाजपा गठबंधन में शामिल होने की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा,'अब में किस मुंह से इनकार करूं.'
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मैं पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति का आभार जताता हूं: जयंत
मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा,'आज देश के लिए एक बड़ा दिन है. ये काफी भावुक होने वाला पल है. मैं पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति का आभार जताता हूं. देश उनका आभार अदा करता है. पीएम मोदी देश की नब्ज को पूरी तरह से समझते हैं. सरकार कमेरा वर्ग, किसान और मजदूरों का सम्मान कर रही है. यह करने की क्षमता हर सरकार में नहीं होता है. उन्हें आज मेरे पिता अजीत सिंह की याद आ रही है. मैं कितनी सीटें हासिल करूंगा, इस बात पर ध्यान न दें.' उन्होंने कहा, 'अब मैं किस मुंह से इनकार करूं. मैं अपना कुछ डिलीट नहीं करूंगा. जैसी राजनीतिक परिस्थिति है. वे अपनी बात को आगे रखेंगे.'
आरएलडी 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली है
इस बयान के बाद आरएलडी का भाजपा गठबंधन आना तय माना जा रहा है. ऐसा बताया जा रहा है कि आरएलडी 2 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली है, ये दो सीटें बागपत और बिजनोर होंगी. इसके साथ जयंत चौधरी की पार्टी RLD को एक राज्यसभा सीट भी दी जाने वाली है. दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन का ऐलान दो से तीन दिनों में हो सकता है.
आपको बता दें कि विपक्षी दल लगातार दावा कर रहा है कि जयंत चौधरी और उनकी पार्टी RLD 'इंडिया' ब्लॉक का हिस्सा हैं. वे आम चुनाव में मिलकर लड़ेंगे. मगर इस मामले में जयंत ने चुप्पी साध रखी है. उन्होंने अभी तक दोनों दरवाजे खोल रखे हैं.
लोकसभा की कुल 27 सीटें मौजूद हैं
पश्चिमी यूपी को जाट, किसान और मुस्लिम बहुल माना जाता है. यहां लोकसभा की कुल 27 सीटें मौजूद हैं. 2019 के चुनाव में भाजपा ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं 8 सीटों पर विपक्षी गठबंधन ने कब्जा जमाया था. सपा और बसपा के पास 4-4 सीटें आई थीं. मगर आरएलडी को एक भी सीट नहीं मिली थी. जयंत को पश्चिमी यूपी में जाट समाज का साथ नहीं मिला था. 2014 के चुनाव में भी जयंत को निराशा हाथ लगी. उन्हें एक भी सीट नहीं मिली थी.
Source : News Nation Bureau