टिकट बंटवारे से असंतुष्ट BJP कार्यकर्ता, हरियाणा में पोस्टर लगाकर निकाल रहे भड़ास
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अंदरखाने घमासान मचा है. टिकट वितरण से असंतुष्ट पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से पोस्टर लगाकर भड़ास निकाली जा रही है.
नई दिल्ली:
हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुछ सीटों पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अंदरखाने घमासान मचा है. टिकट वितरण से असंतुष्ट पार्टी कार्यकर्ताओं की ओर से पोस्टर लगाकर भड़ास निकाली जा रही है. रेवाड़ी विधानसभा क्षेत्र में कुछ ऐसा ही हाल है.
रेवाड़ी के मॉडल टाउन स्थित स्वर्ण जयंती पार्क के पास भगवा रंग में लगी एक होर्डिग चर्चा का विषय है, जिसमें दीन दयाल उपाध्याय की पॉलिटिकल डायरी के पृष्ठ 151 पर प्रकाशित 11 दिसंबर 1961 के कथन का हवाला देते हुए लिखा है, 'कोई भी प्रत्याशी केवल इसलिए आपका मत पाने का दावा नहीं कर सकता कि वह अच्छे दल की ओर से खड़ा है, दल के हाईकमान ने ऐसे व्यक्ति को टिकट देते समय पक्षपात किया होगा, अत: ऐसी गलती को सुधारना मतदाता का कर्तव्य है. निवेदक- रेवाड़ी विधानसभा की जनता.'
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सूत्र बता रहे हैं कि इस सीट पर टिकट पाने में कई दिग्गज लगे थे. गुरुग्राम से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी को टिकट दिलाने में जुटे थे. मगर पार्टी से बेटी को टिकट नहीं मिला तो फिर उन्होंने अपने करीबी सुनील मूसेपुर का नाम आगे बढ़ाया था. राव इंद्रजीत की पैरवी के बाद पार्टी ने सुनील को टिकट दिया. इसको लेकर टिकट के अन्य दावेदारों के समर्थक नाराज हो उठे.
रेवाड़ी में प्रत्याशी चयन को लेकर चली आ रही नाराजगी बीते गुरुवार को सार्वजनिक हुई, जब रेवाड़ी में अरविंद यादव के कार्यालय पर आयोजित बैठक में राव इंद्रजीत प्रत्याशी के पक्ष में समर्थन मांगने पहुंचे थे. इस दौरान अरविंद के समर्थकों ने चुनाव मैदान में उतारे गए प्रत्याशी को लेकर सवालों की झड़ी लगा दी. जिस पर राव इंद्रजीत ने कहा कि शीर्ष नेतृत्व ने प्रत्याशी तय किया है. इस बीच अरविंद यादव के समर्थकों ने नारेबाजी शुरू कर दी थी. इसके बाद केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को बैठक छोड़कर जाना पड़ा.
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इस मसले पर BJP के प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद यादव ने कहा, 'मैं तीन दशक से ज्यादा समय से संगठन के लिए जी-जान लगाकर काम कर रहा हूं. भाजपा के लिए जी रहा हूं और मरूंगा तो भाजपा का झंडा ही मेरा कफन होगा. बैठक में राव इंद्रजीत के सामने आम कार्यकर्ताओं ने अपनी भावनाएं जाहिर कीं, मगर वह बैठक छोड़कर चले गए. वरिष्ठ नेताओं को कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए
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