Election Results 2017: मोदी के नोटबंदी पर आज आएगा जनादेश
कालेधन पर रोक लगाने के लिये नवंबर में नोटबंदी के फैसले के बाद विपक्ष ने सड़क से लेकर ससंद तक विरोध और हंगामा किया।
नई दिल्ली:
नोटबंदी के बाद पहली बार हो रहे विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। ये एक ऐसा फैसला था जिसे जनता हो या राजनीतिक दल सभी ने अपने-अपने हिसाब से देखा है। देखना ये हैं कि पांच राज्यों में खासकर उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जिताकर नोटबंदी पर जनता मुहर लगाती है या नहीं।
कालेधन पर रोक लगाने के लिये नवंबर में नोटबंदी के फैसले के बाद विपक्ष ने सड़क से लेकर ससंद तक विरोध और हंगामा किया। राजनीतिक दलों के साथ ही मतदाताओं के मन में भी ये एक बड़ा मुद्दा रहा।
बीजेपी और एनडीए को छोड़ सभी विपक्षी दलों ने नोटबंदी का विरोध किया और जनता की परेशानी को सामने रख चुनावों में बीजेपी को शिकस्त देने की रणनीति बनाई। नोटबंदी का असर समाज के सभी तबके पर पड़ा है और लोगों में इसको लेकर उम्मीद और आशंका दोनों रही है। हालांकि नोटबंदी के बाद हुए सभी निकाय चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है।
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विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में सभी राजनीतिक दलों ने इसे मुद्दा बनाया है। बीजेपी ने जहां इस कालाधन और आतंकवोद पर रोक लगाने का कदम बता रहे हैं, वहीं कांग्रेस इसे आर्थिक आतंकवाद और पागलपन करार दे रही है। समाजवादी पार्टी ने भी चुनाव में इसे लोगों को लाइन में खडा करने का कदम करार दिया।
निकाय चुनावों मे बीजेपी को मिली सफलता को विपक्ष ने खारज करते हुए कहा कि असली परीक्षा विधानसभा चुनावों में होगी।
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महाराष्ट्र में हुए स्थानीय चुनावों में बीजेपी को भारी सफलता मिली है। बीएमसी में पार्टी ने रिकॉर्ड प्रदर्शन किया। बीजेपी से अलग चुनावी मैदान में उतरी शिवसेना ने नोटबंदी को लेकर बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला। लेकिन जो नतीजे आए वो बीजेपी के लिए उत्साहित करने वाली थी। 84 सीटों के साथ शिवसेना सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन बीजेपी ने 82 सीटों पर जीत हासिल की। पिछली बार उसने 31 सीटें ही जीती थीं। इसका श्रेय बीजेपी नोटबंदी को ही देती है।
गुजरात में पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा है। इसके साथ ही चंडीगढ़ में 20 साल बाद बहुमत मिला। कोई जनाधार न होने के बावजूद ओडिशा में भी झंडे गाड़े। इसके अलावा राजस्थान में भी पार्टी को फायदा मिला है। कई जगहों पर विधानसभा और लोकसभा के लिये हुए उपचुनाव में भी नहीं नोटबंदी का असर नहीं दिखा है।
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महाराष्ट्र के बाद भाजपा नेताओं का भी हौसला बढ़ा है और वे भी अब इस मुद्दे को उठाने लगे हैं। सो, अब उत्तर प्रदेश समेत दूसरे राज्यों के विधानसभा का चुनाव नोटबंदी पर जनमत संग्रह की तरह हो गया है।
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