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बढ़ी लोकसभा-विधानसभा चुनावी खर्च सीमा, अब खर्च कर सकेंगे इतना धन

अब संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशी 95 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे. इससे पहले वह 70 लाख रुपये खर्च कर सकते थे. इसके साथ ही विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की खर्च सीमा 40 लाख रुपये कर दी गई है.

Updated on: 07 Jan 2022, 11:28 AM

highlights

  • नई खर्च सीमा आने वाले चुनावों से ही लागू
  • लोकसभा प्रत्याशी खर्च कर सकेंगे 90 लाख
  • विधानसभा चुनाव में खर्च सीमा हुई 40 लाख 

नई दिल्ली:

विभिन्न राजनीतिक दलों संग बैठक करने के बाद निर्वाचन आयोग जल्द ही पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव तारीखों की घोषणा कर सकता है. गौरतलब है कि सभी राजनीतिक पार्टियों ने कोरोना संक्रमण और तीसरी लहर के आगाज के बावजूद चुनाव टालने से परहेज करने को कहा था. ऐसे में आने वाले किसी भी दिन केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से तारीखों का ऐलान किया जा सकता है. आयोग से बातचीत के बाद आसन्न विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में राजनीतिक पारा भी हर गुजरते दिन के साथ चढ़ता जा रहा है. ऐसे में चुनावों की तारीखों के ऐलान से पहले चुनाव आय़ोग ने एक बड़ा कदम उठाते हुए विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की चुनावी खर्च सीमा बढ़ा दी है. 

यह होगी नई चुनावी खर्च सीमा
केंद्रीय निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता की ओर से किए गए ट्वीट के मुताबिक अब विधानसभा और लोकसभा उम्मीदवारों की चुनावी क्षेत्रों में खर्च की जाने वाली धनराशि को बढ़ा दिया गया है. चुनाव आयोग के वक्तव्य के मुताबिक यह नई खर्च सीमा आने वाले चुनावों से ही लागू हो जाएगी. नई खर्च सीमा के तहत अब संसदीय क्षेत्रों में प्रत्याशी 95 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे. इससे पहले वह 70 लाख रुपये खर्च कर सकते थे. इसके साथ ही विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की खर्च सीमा 40 लाख रुपये कर दी गई है. पहले यह खर्च सीमा 28 लाख रुपये हुआ करती थी.

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समिति की रिपोर्ट के आधार पर फैसला
जानकारी के मुताबिक चुनावी खर्च सीमा में आखिरी बार बड़ा बदलाव 2014 में किया गया था. फिर 2020 में तत्कालीन खर्च सीमा में 10 फीसदी की वृद्धि की गई. इसके साथ ही केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त ने एक समिति का गठन किया था, जिसे खर्च के विभिन्न मद और महंगाई के आधार पर अपनी रिपोर्ट देनी थी. इस समिति को यह भी देखना था कि चुनाव प्रचार के बदलते रंग-ढंग में खर्च किस तरह बढ़ा है. विशेषकर वर्चुअल चुनाव प्रचार को लेकर भी समिति को अपनी रिपोर्ट देनी थी. 

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खर्च सीमा में इसे बनाया गया आधार
केंद्रीय चुनाव आयोग के मुताबिक समिति ने विभिन्न राजनीतिक दलों की खर्च सीमा बढ़ाए जाने की मांग के साथ महंगाई और मतदाताओं की संख्या में वृद्धि के आधार पर चुनावी खर्च सीमा बढ़ाए जाने की अनुशंसा की. आंकड़ों के मुताबिक 2014 से 2021 के बीच मतदाताओं की संख्या 834 मिलियन से बढ़कर 936 मिलियन तक हो गई है. इसके अलावा महंगाई में भी बीते एक साल में सूचकांक के आधार 32.07 फीसदी का इजाफा हुआ है. गौरतलब है इस साल की पहली छमाही में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर, गोवा, पंजाब में चुनाव होने हैं, जबकि साल के अंत तक हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होंगे.