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दिल्ली चुनाव: सत्ता की कुर्सी पाने के लिए पार्टियों को बनाना होगा ये समीकरण

सत्ता की कुर्सी तक पहुंचने के लिए किसी भी पार्टी की राह आसान नहीं है. सभी पार्टियों के लिए कुछ समीकरण पाना जरूरी है जिससे वह अपनी जीत की राह आसान कर पाएंगी.

Updated on: 08 Feb 2020, 05:00 PM

highlights

  • 2015 चुनाव में आप को 54.6%, बीजेपी को 32.8% जबकि कांग्रेस को 9.7% वोट मिले थे
  • 2017 के निकाय चुनाव में बीजेपी को 36.1% , आप को 26.2% और कांग्रेस को 21.1% वोट मिले थे
  • 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 56.9%, कांग्रेस को 22.6% और आप को 18.2% वोट मिले थे

नई दिल्ली:

इस बार सत्ता की चाभी किस पार्टी के हाथ लगेगी यह अभी कहना मुश्किल है. किस पार्टी को कितनी मेहनत करनी होगी यह साफ तौर पर इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन की पार्टी इसे कैसे देखती है. पिछले विधानसभा चुनाव को देखते हुए इस बार बीजेपी को जीत के लिए काफी पसीना बहाना पड़ेगा. पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

2015 चुनाव के लिहाज से
2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 54.6% वोट मिले थे. उस चुनाव में बीजेपी को 32.8% और कांग्रेस को केवल 9.7% वोट मिले थे. अगर बीजेपी को चुनाव में जीत दर्ज करनी है तो उसे कम से कम 10.9 फीसद वोट ज्यादा लाने होंगे. या इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर बीजेपी को दो दशक का सूखा खत्म करना है तो उसे कम से कम 10.9 फीसद वोटरों को अपने साथ और जोड़ना होगा. यह तय माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी के मतदाता पाला बदलेंगे, लेकिन यब वोट किसके खाते में जाएंगे यह मतदान के नतीजे ही बता पाएंगे.

निकाय चुनाव में बीजेपी को हुआ था फायदा
2017 के निकाय चुनाव में बीजेपी को काफी फायदा हुआ था. बीजेपी उस चुनाव में 36.1% वोट हासिल कर आप (26.2%) और कांग्रेस (21.1%) से आगे निकली थी. इस आंकड़ों के अनुसार बीजेपी को केवल 5% मतदाताओं को रिझाना होगा.

लोकसभा चुनाव के लिहाज से
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सभी सात सीटों पर कब्जा किया था. पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली के 56.9% मतदाताओं ने बीजेपी का समर्थन किया था. कांग्रेस को केवल 22.6% वोट और आप को 18.2% वोट मिले थे. अगर कांग्रेस और आप के वोट को जोड़ भी लिया जाए तो भी बीजेपी को लोकसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों से अधिक वोट मिले थे.

नए मतदाताओं कर सकते हैं करिश्मा
इस बार वोट शिफ्टिंग इसलिए भी आसान मानी जा रही है क्योंकि इस बार नए वोटर बड़ी संख्या में सामने आए हैं. 2015 से 2019 के बीच मतदाताओं की तादाद 1 करोड़ 33 लाख 10 हजार से बढ़कर 1 करोड़ 43 लाख 30 हजार हो गई है. इस दौरान करीब 10.2% फीसद नए वोटर जुड़े हैं. 2019 से ही अब तक 3 लाख 70 हजार वोटर और बढ़ चुके हैं और अब तादाद 1 करोड़ 47 लाख तक पहुंच चुकी है.