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Delhi Assembly Elections 202( Photo Credit : (सांकेतिक चित्र))
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे सभी चुनावी पार्टीयां अपने चुनाव प्रचार में और तेजी से जुट गई है. जहां एक तरफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) रोड और रैली कर रही है वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने इस बार चुनावी प्रचार का अलग तरीका निकाला है. 2019 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार-प्रसार के लिए बीजेपी ने रोड शोज और सभाओं की जगह छोटी-छोटी मीटिंग्स और पदयात्राएं करनी की रणनीति बनाई है.
अमित शाह गुरुवार की शाम को मटियाला और नांगलोई जाट विधानसभा क्षेत्र में पब्लिक मीटिंग्स को संबोधित करेंगे, जबकि उत्तम नगर में वह एक पदयात्रा में शामिल होंगे. बीजेपी का मानना है कि इस तरह से जनता तक उनकी बातें अच्छी तरह से पहुंच पाएगी. इसके लिए बीजेपी करीब-करीब 5 हजार मीटिंग्स करने का प्लान बना रही है.
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बीजेपी पार्टी सूत्रों ने बताया कि मंगलवार की रात को दिल्ली बीजेपी के पंत मार्ग स्थित प्रदेश कार्यालय में पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं की दो बैठकें हुईं, जिनमें जेपी नड्डा, अमित शाह, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बी.एल. संतोष, चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर, सह-प्रभारी हरदीप सिंह पुरी, चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक तरुण चुघ, प्रदेश अध्यक्ष अमित शाह, प्रदेश के महामंत्री कुलजीत सिंह चहल और राजेश भाटिया, दिल्ली के संगठन महामंत्री सिद्धार्थन, पार्टी के कुछ प्रमुख सांसद और अन्य वरिष्ठ पदधिकारी शामिल हुए. इन मीटिंग्स में एक तरफ जहां दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए जारी किए जाने वाले घोषणा पत्र को लेकर चर्चा हुई, वहीं चुनाव प्रचार की रणनीति भी तय की गई.
वहीं ये भी बताया जा रहा है कि बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और पूर्व अध्यक्ष अमित शाह दिल्ली के 70 विधानसभाओं सीटों में खुद जाकर मीटिंग्स और पदयात्राएं करेंगे. इन सभाओं में एक तरफ जहां दिल्ली सरकार के दावों की असलियत जनता को बताने के साथ-साथ यह बताया जाएगा कि केंद्र सरकार की योजनाएं दिल्ली में लागू नहीं करने की वजह से लोगों को कितना नुकसान उठाना पड़ रहा है. वहीं सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर भी लोगों को यह समझाने की कोशिश की जाएगी कि इस मुद्दे पर उनके बीच भ्रम फैलाया जा रहा है.
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बता दें कि दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 11 फरवरी को नतीजे आएंगे. गौरतलब है कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी 'आप' ने सबको चौंकाते हुए 54.3 फीसदी वोट शेयर हासिल किए थे. मत प्रतिशत के मामले में बीजेपी 32.3 फीसदी वोट के साथ दूसरे नंबर पर रही तो कांग्रेस का वोट शेयर 9.7 फीसदी पर आ गया था.