Delhi Assembly Polls: BJP की पहली लिस्ट में एक भी मुस्लिम नहीं, नई दिल्ली सीट पर सस्पेंस

इस लिस्ट में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार का नाम नहीं है. सबका साथ सबका विकास का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी अक्सर राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपने इस नारे से किनारा करती हुई दिखाई देती है.

इस लिस्ट में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार का नाम नहीं है. सबका साथ सबका विकास का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी अक्सर राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपने इस नारे से किनारा करती हुई दिखाई देती है.

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Ravindra Singh
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Delhi Assembly Polls: BJP की पहली लिस्ट में एक भी मुस्लिम नहीं, नई दिल्ली सीट पर सस्पेंस

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी( Photo Credit : न्यूज स्टेट)

दिल्ली विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है सभी राजनीतिक पार्टियों ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली विधानसभा के लिए अपनी 57 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार का नाम नहीं है. सबका साथ सबका विकास का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी अक्सर राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपने इस नारे से किनारा करती हुई दिखाई देती है. आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सूची में किसी भी मुस्लिम चेहरे को टिकट नहीं दिया हो. इसके पहले मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने महज एक मुस्लिम उम्मीदवार को ही टिकट दिया था. वहीं अभी तक बीजेपी ने नई दिल्ली सीट पर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इस सीट से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी हैं.

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भारतीय जनता पार्टी की रणनीति को देखे तो उनकी रणनीति दिल्ली विधानसभा चुनाव में साफ तौर पर दिखाई दे रही है. बीजेपी दिल्ली विधानसभा में हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है. ऐसा भी नहीं है कि बीजेपी में मुस्लिम फेस की कमी है. अगर पार्टी में हम केंद्रीय नेतृत्व की बात करें तो इनमें से कई बड़े मुस्लिम चेहरे लोगों की जेहन में आते हैं. इस पार्टी में एम जे अकबर, मुख़्तार अब्बास नकवी, शहनवाज हुसैन जैसे बड़े चेहरे हैं. ऐसा नहीं है कि बीजेपी ने यह पहली बार किया हो कि किसी भी मुस्लिम कैंडिडेट को चुनावी मैदान में उतारने से किनारा किया हो. आइये आपको बताते हैं कुछ और राज्यों में भी बीजेपी ऐसा प्रयोग कर चुकी है.

एमपी में महज एक मुस्लिम BJP का उम्मीदवार
साल 2018 में हुए मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से भारतीय जनता पार्टी ने महज एक मुस्लिम उम्मीदवार के तौर पर फातिमा रसूल सिद्दीकी को टिकट दिया था. मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फातिमा को भोपाल उत्तर से प्रत्याशी घोषित किया गया था. वहीं 2018 में ही राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी ने यही खेल खेला था और 200 विधानसभा सीटों वाले राज्य के विधानसभा चुनाव में महज एक उम्मीदवार ही मैदान में उतारा था.

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राजस्थान में महज एक मुस्लिम BJP का उम्मीदवार
आपको बता दें कि राजस्थान में 200 विधानसभा सीटें हैं इनमें से बीजेपी ने महज एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा था वो भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के भारी दबाव के बाद. टोंक विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी ने काबीना मंत्री युनूस खान को चुनाव में उतारा था. आपको बता दें कि यह टिकट भी बीजेपी ने तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे ने भारी दबाव बनाया था. युनुस खान को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का खास सिपहसालार माना जाता था. बीजेपी हिन्दुत्व कार्ड के चलते राज्यों के विधानसभा चुनावों में एक भी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट नहीं देने के पक्ष में होती है. राजस्थान में भी खान के टिकट को लेकर कई दिनों तक गहमा-गहमी चली थी. हालांकि खान को इस सीट से सचिन पायलट से शिकस्त खानी पड़ी थी.

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यूपी विधानसभा चुनाव में एक भी मुस्लिम को BJP ने नहीं दिया था टिकट
साल 2017 में हुए देश के सबसे बड़े सूबे में भी भारतीय जनता पार्टी की यही रणनीति थी. बीजेपी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के लिए दो चरणों में घोषित 403 उम्मीदवारों की सूची में एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया था. आपको बता दें कि देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में 19 फीसदी मुस्लिम आबादी है. अगर हम साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ऐतिहासिक विजय की बात करें तो इस ऐतिहासिक जीत में भी मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हाथ रहा था. इस चुनाव में लगभग 8 फीसदी मुस्लिम वोट बीजेपी को मिले थे. आपको बता दें कि बीजेपी ने देश के लगभग सभी बड़े प्रदेशों के सभी जिलों में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का गठन किया है और मुस्लिम बहुल विधानसभाओं में यह प्रकोष्ठ बेहद तत्परता से काम कर रहे हैं.

दिल्ली में लगभग 12 फीसदी मुस्लिम वोटर
दिल्ली की आबादी में लगभग 12 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. दिल्ली की 70 में कुल 8 विधानसभा सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं को निर्णायक माना जाता है. इनमें से सीलमपुर, ओखला, बल्लीमारान, मुस्तफाबाद, चांदनी चौक, किराड़ी, बाबरपुर और मटिया महल सीटें शामिल हैं. इन विधानसभा क्षेत्रों में 35 से 60 फीसदी तक मुस्लिम मतदाता हैं. साथ ही त्रिलोकपुरी और सीमापुरी की सीट पर भी मुस्लिम वोटर काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं. दिल्ली में मुस्लिम वोटर्स काफी सुनियोजित तरीके से वोटिंग करते हैं.

2015 में मुस्लिम वोटरों का हुआ कांग्रेस से मोहभंग
आपको बता दें कि दिल्ली में कांग्रेस के परंपरागत वोटर कहे जाने वाले मुस्लिम वोटरों का साल 2015 में कांग्रेस पार्टी से मोहभंग हो गया और ये वोटर आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से आ जुड़े. आपको बता दें कि इसका नतीजा रहा कि साल 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीटों पर कांग्रेस के दिग्गजों को करारी मात दी. इसके बाद दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने सभी मुस्लिम बहुल इलाकों में अपनी जीत का परचम फहराया था. हालांकि सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली फतह के बाद अपनी सरकार में एक मुस्लिम नेता को मंत्री भी बनाया था.

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