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Delhi Assembly Election: मटिया महल सीट पर आज तक नहीं खुला बीजेपी-कांग्रेस का खाता

Delhi Assembly Election: दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव के लिए 8 फरवरी को मतदान होना है. सभी राजनीतिक दलों के बीच राष्ट्रीय राजधानी में दमखम दिखाने की होड़ लगी है.

Updated on: 13 Jan 2020, 06:41 AM

नई दिल्ली:

Delhi Assembly Election: दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव के लिए 8 फरवरी को मतदान होना है. सभी राजनीतिक दलों के बीच राष्ट्रीय राजधानी में दमखम दिखाने की होड़ लगी है. इस बार मटिया महल विधानसभा क्षेत्र पर सभी की नजरें टिकी होंगी, जोकि कांग्रेस के बागी और फिलहाल सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के नेता शोएब इकबाल का गढ़ माना जाता है. इस विधानसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस का चुनावी रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है. मटिया महल विधानसभा दिल्ली के उन विधानसभा क्षेत्रों में शुमार है, जहां आज तक बीजेपी और कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई. इस सीट पर देश की सबसे बड़ी इन दोनों पार्टियों की पकड़ कभी नहीं रही.

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2015 में आम आदमी पार्टी ने किया कब्जा

मटिया महल विधानसभा चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र में पड़ती है. यह सीट सेंट्रल दिल्ली जिले के अंतर्गत आता है. 2015 में इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 1,15,936 थी, जिनमें से 61,714 पुरुष और 54,212 महिला वोटर्स और 10 मतदाता थर्ड जेंडर के थे. यहां पिछले विधानसभा चुनाव में कुल 69.3 वोटिंग हुई थी. आम आदमी पार्टी की आंधी में 2015 विधानसभा चुनावों में इकबाल का किला ढह गया था और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. आम आदमी पार्टी के आसिम अहमद खान ने इकबाल को 26,096 मतों के अंतर हराया था. इससे पहले वो यहां से 1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 में विधायक चुने गए थे.

2013 के चुनाव में इस सीट पर शोएब इकबाल ने जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के मिर्जा जावेद अली को 2,891 वोटों से हराया था. 2008 में यहां लोक जनशक्ति पार्टी की जीत हुई. लोजपा के इकबाल ने कांग्रेस के महमूद जिया को मात दी थी. 2003 में जेडीएस के खाते में यह सीट आई. इस बार भी कांग्रेस को हार मिली. 1998 और 1993 में जनता दल ने इस सीट पर कब्जा किया.

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हर बार अलग-अलग पार्टी ही चुनाव जीती

नवंबर 1993 में दिल्ली की पहली विधानसभा का गठन हुआ था. जब से अब तक अलग-अलग पार्टियों का इस सीट पर कब्जा रहा है. हालांकि जनता दल ने लगातार दो चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की. मगर इस क्षेत्र की जनता ने बीजेपी और कांग्रेस को एक बार फिर विधानसभा का नेतृत्व करने का मौका नहीं दिया. कांग्रेस लगभग हर चुनाव में दूसरे स्थान पर आती रही है. जबकि बीजेपी इस सीट पर पिछले 6 विधानसभा चुनाव में महज एक बार 1993 में दूसरे नंबर पर आ सकी है.

गौरतलब है कि 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा के 8 फरवरी को चुनाव होने हैं. जबकि 11 फरवरी को मतगणना होगी. पिछले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की 70 में से 67 सीटों पर आप की जीत हुई थी. बीजेपी को सिर्फ तीन सीटें मिलीं थीं, जबकि कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था.