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Delhi Assembly election 2020: इस बार आरके पुरम से इन उम्मीदवारों के बीच है मुकाबला

इस बार आरके पुरम विधानसभा सीट पर बीजेपी से अनील शर्मा आम आदमी पार्टी से प्रमिला टोकस के बीच मुकाबला है.

Updated on: 08 Feb 2020, 03:33 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2020) का बिगुल बज चुका है, ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टीयां जोर-शोर से चुनावी प्रचार में जुट चुकी हैं. दिल्ली की सल्तनत पर बैठने के लिए हर पार्टी कमर कस कर चुनावी मैदान में उतर गई है और जनता तमाम लुभावने वादें कर रही है. हालांकि अब ये चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा की देश की राजधानी की सत्ता पर दोबारा आम आदमी पार्टी (AAP) की वापसी होगी या फिर बीजेपी और कांग्रेस बैठेगी. बता दें कि दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर 8 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 11 फरवरी को नतीजे आएंगे.  इस बार आरके पुरम विधानसभा सीट पर बीजेपी से अनील शर्मा आम आदमी पार्टी से प्रमिला टोकस के बीच मुकाबला है.

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जानें आर के पुरम सीट का हाल-

आर के पुरम विधानसभा क्षेत्र में 3 वार्ड है आरके पुरम, वसंत विहार ,और मुनिरका साथ ही 4 गांव है मुनिरका गांव, वसंत गांव मोहम्मदपुर गांव और मोती बाग गांव जिसे मोची गांव के नाम से भी जाना जाता है. इसके साथ ही 22 छोटे बड़े झुग्गी बस्ती और अनाधिकृत कॉलोनियां हैं और वसंत विहार आनंद निकेतन जैसे दो पॉश कॉलोनी भी है. लिहाजा आर के पुरम विधानसभा क्षेत्र के हर इलाके में अलग-अलग मुद्दे और आम लोगों की अलग-अलग राय और शिकायतें हैं.

आरके पुरम विधानसभा क्षेत्र में लगभग 1लाख 56 हज़ार के मतदाता हैं जिसमें पूर्वांचल और उत्तराखंड के लोगों का बहुमत है. हालांकि आर के पुरम विधानसभा क्षेत्र को जाट निर्णायक भूमिका में होते हैं लेकिन जाटों की संख्या बाकियों से कम है. आर के पुरम विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा पूर्वांचल और उत्तराखंड के लोग अनाधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी बस्तियों में रहते हैं लिहाजा आरके पुरम की राजनीति में इनका दबदबा है, यही वजह है कि सभी राजनीतिक पार्टियां इस इलाके में अपनी पूरी जोर लगाए बैठे हैं.

फिलहाल आर के पुरम विधानसभा क्षेत्र आम आदमी पार्टी के कब्जे में है प्रमिला टोकस विधायिका है, उनसे पहले सिर्फ 10 महीने के लिए बीजेपी से विधायक अनिल शर्मा हुए थे. उसके पहले 15 वर्षों तक आर के पुरम विधानसभा सीट कांग्रेस के कब्जे में था. इसके बावजूद यहां लड़ाई आम आदमी पार्टी और बीजेपी में ही होती हुई दिखाई दे रही है कांग्रेस तीसरे पायदान के लिए ही संघर्ष करती नजर आ रही है.

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दावेदारों की अगर बात करें तो बीजेपी के तीन प्रमुख दावेदार नजर आ रहे हैं पहला अनिल शर्मा , दूसरा राधेश्याम शर्मा और पूर्व विधायिका बरखा सिंह तो वहीं AAP की प्रमिला टोकस वर्तमान विधायक का है. उनकी अपनी दावेदारी है तो कांग्रेस से भी कई दावेदार हैं लेकिन जानकारों की माने तो कांग्रेस को कोई भी यहां मजबूत प्रत्याशी नहीं मिल रहा है. कांग्रेस की हालत तो यहां ऐसी है कि चुनावी माहौल में भी उसके कार्यालय पर ताला ही जड़ा मिला,कार्यकर्ताओं की बात तो अलग ही है.

झुग्गी बस्तियों और अनाधिकृत कॉलोनियों पर सबकी निगाह टिकी हुई है वैसे आर के पुरम विधानसभा क्षेत्र में 22 से ज्यादा इस तरह की कॉलोनी या हैं जिसमें नेहरू एकता कॉलोनी जेपी कॉलोनी रविदास कैंप हनुमान कैंप सरस्वती कैंप केडी कैंप,अम्बेडकर बस्ती जैसे अनाधिकृत कॉलोनियों में सबसे ज्यादा वोटर रहते हैं.

अगर अनाधिकृत कॉलोनियों की बात करें तो यहां बिजली पानी को लेकर केजरीवाल से कोई शिकायत नहीं अलबत्ता साफ-सफाई और नाली की समस्या को लेकर एमसीडी से जरूर शिकायत लोगों की है. वैसे जहां झुग्गी वहीं मकान कि मोदी सरकार के ऐलान के बाद स्थिति यहां बदली हुई नजर आ रही है और लोग मोदी के वादे पर भरोसा भी जता रहे हैं लेकिन लगे हाथ केजरीवाल की तारीफ करने से भी पीछे नहीं रहते. 

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आर के पुरम में सभी इलाकों में अलग-अलग मुद्दे हैं बसंत विहार मुनिरका एनक्लेव जैसे पॉश इलाकों में लोग राष्ट्रवाद की बात करते हैं तो वही गांव में बिजली सड़क पानी सीवर झुग्गी बस्ती में पक्का मकान पीने की पानी सफाई स्कूल और स्वास्थ्य की मांग लोग करते नजर आए.

आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस मोहल्ला क्लीनिक को लेकर अरविंद केजरीवाल इतना दावा करते हैं वह आर के पुरम विधानसभा क्षेत्र में मात्र एक बनाया गया है वो भी मुनिरका गांव में जहां बहुत कम लोग ही पहुंच पाते हैं. बावजूद इसके मोहल्ला क्लीनिक को लेकर मुनिरका के लोग कि राय मिली-जुली है मौजूदा विधायक के खिलाफ सबसे ज्यादा रोष उनके अपने ही गांव मुनिरका में देखने को मिला, जहां लोग शिवर सड़क पानी को लेकर शिकायत करते नजर आए.

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वहीं आरके पुरम जैसे सरकारी क्वार्टर्स के इलाके में लोगों की शिकायतें और मुद्दे बिल्कुल अलग है, लेकिन यहां केजरीवाल के पक्ष में ज्यादा लोग नजर आए सबसे आश्चर्य की बात कि जिस पानी को लेकर इतनी राजनीति होती है लेकिन कई ऐसे कॉलोनी है. खासतौर पर नेहरू एकता कॉलोनी और जेपी कॉलोनी यहां पानी की बहुत भीषण समस्या है लोग पानी नाले से भरने के लिए मजबूर हैं या फिर टैंकरों से पानी आता है, जो पीने के लायक नहीं होता है. इसके साथ ही कॉलोनियों की सड़कें भी जर्जर है जिसको लेकर बहुत ज्यादा शिकायतें हैं.