जिसने नई दिल्ली सीट पर हासिल की जीत, वही बैठेगा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर

1993 से 2003 तक इस सीट का नाम गोल मार्केट हुआ करता था. 2008 में इसका नाम बदलकर नई दिल्ली कर दिया गया. 1998 से 2013 तक इस सीट पर कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का राज रहा.

1993 से 2003 तक इस सीट का नाम गोल मार्केट हुआ करता था. 2008 में इसका नाम बदलकर नई दिल्ली कर दिया गया. 1998 से 2013 तक इस सीट पर कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का राज रहा.

author-image
Vikas Kumar
एडिट
New Update
जिसने नई दिल्ली सीट पर हासिल की जीत, वही बैठेगा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर

जिसने नई दिल्ली सीट पर हासिल की जीत, वही बैठेगा मुख्यमंत्री की कुर्सी( Photo Credit : फाइल फोटो)

अगले महीने होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरो शोरों से चल रही हैं. नई दिल्ली विधानसभा सीट, दिल्ली की सबसे वीआईपी सीट मानी जाती है. दिल्ली विधानसभा को छह कार्यकाल में से पांच मुख्यमंत्री इसी सीट से मिले हैं. इसलिए ऐसा कहा जाता है नई दिल्ली सीट जीतने वाले प्रत्याशी की मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी पक्की हो जाती है. 1993 से 2003 तक इस सीट का नाम गोल मार्केट हुआ करता था. 2008 में इसका नाम बदलकर नई दिल्ली कर दिया गया. 1998 से 2013 तक इस सीट पर कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का राज रहा.

Advertisment

हालांकि नई दि्ल्ली की सीट पर शीला दीक्षित 2013 में अरविंद केजरीवाल के सामने हार गई थीं जिसके बाद इस सीट पर केवल अरविद केजरीवाल का ही कब्जा रहा है.

यह भी पढ़ें: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020: जनसभाओं में मिल रही 5 रुपये में चाय, 10 रुपये में 2 समोसे

इस हालत में हर पार्टी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने अपना सबसे ताकतवर कैंडिडेट उतारना चाहेगी. बीजेपी की ओर से सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी का नाम लिया जा रहा है जबकि कांग्रेस में अलका लांबा या शीला दीक्षित की बेटी लतिका दीक्षित को उतारने की चर्चा चल रही है. हालांकि अभी तक किसी भी पार्टी ने साफ फैसला नहीं लिया है.

पिछले चुनावी नतीजों को देखते हुए ये साफ कहा जा रहा है कि अगर आम आदमी पार्टी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट पर चुनाव जीतते हैं तो दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बनना निश्चित है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक नई दिल्ली की सीट पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अजेय ही रहे हैं. दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता शीला दीक्षित 2013 में केजरीवाल के सामने हार का सामना कर चुकी हैं. इसके बाद साल 2015 के चुनाव में कांग्रेस ने पूर्व मंत्री किरण वालिया को अपना उम्मीदवार बनाया था, वो भी केजरीवाल को टक्कर नहीं दे पाईं. इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस इस सीट को काफी गंभीरता से ले रही हैं. सूत्रों का कहना है कि इस सीट से लतिका के नाम की चर्चा की वजह शीला दीक्षित की बेटी होने के नाते उनके 15 साल के काम का भी कांग्रेस अपने फायदे में भुनाना चाहती है.

यह भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल के सामने कांग्रेस का कौन? अलका लांबा या लतिका दीक्षित

दिल्ली विधानसभा के पहले (1993) चुनाव में इस सीट पर बीजेपी की ओर से कीर्ति आजाद ने जीत दर्ज की थी. मौजूदा चुनाव में कीर्ति आजाद कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष रूप में चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.

HIGHLIGHTS

  • अगले महीने होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारियां जोरो शोरों से चल रही हैं.
  • नई दिल्ली विधानसभा सीट, दिल्ली की सबसे वीआईपी सीट मानी जाती है.
  • दिल्ली विधानसभा को छह कार्यकाल में से पांच मुख्यमंत्री इसी सीट से मिले हैं. 
BJP congress Assembly Election AAP delhi Delhi assembly Election
      
Advertisment