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दरौली सीट: क्या लेफ्ट पार्टी इस बार जीत को रख पाएगी बरकरार?

बिहार में चुनावी शोर मचा है. सिवान जिले के अंर्तगत आने वाले दरौली विधानसभा सीट पर भी चुनावी चर्चाएं जोरों पर हैं. दरौली सीट पर इस बार मुकाबला टक्कर का देखने को मिल सकता है.

Updated on: 07 Nov 2020, 05:50 PM

दरौली:

बिहार में चुनावी शोर मचा है. सिवान जिले के अंर्तगत आने वाले दरौली विधानसभा सीट पर भी चुनावी चर्चाएं जोरों पर हैं. दरौली सीट पर इस बार मुकाबला टक्कर का देखने को मिल सकता है. यहां मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है. एनडीए की ओर से बीजेपी ने रामायण मांझी और महागठबंधन की ओर से सीपीआई (एमएल, एल) ने सत्यदेव राम को टिकट दिया है. अभी यह सीट के लेफ्ट की पार्टी सीपीआई (एमएल, एल) खाते में है और सत्यदेव राम यहां से मौजूदा विधायक हैं. इस बार यहां लेफ्ट की पार्टी सीपीआई (एमएल, एल) के सामने जीत को बरकरार रखने की चुनौती होगी.

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2015 में लेफ्ट ने किया कब्जा

2015 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर लेफ्ट की पार्टी सीपीआई (एमएल, एल) ने कब्जा किया था. सीपीआई (एमएल, एल) उम्मीदवार सत्यदेव राम ने बीजेपी के रामायण मांझी को हराया था. सत्यदेव राम ने रामायण मांझी को 9,584 वोटों के अंतर से मात दी. लेफ्ट पार्टी के उम्मीदवार को 49,576 वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के प्रत्याशी के पक्ष में 39,992 वोट आए थे.

2010 में बीजेपी ने किया कब्जा

2010 के विधानसभा चुनाव में यह सीट बीजेपी के खाते में आई थी. बीजेपी के रामायण मांझी ने यहां से जीत हासिल की थी. 2010 के चुनाव में बीजेपी के रामायण मांझी ने सीपीआई (एमएल, एल) के उम्मीदवार सत्यदेव राम को 7,006 वोटों से मात दी थी. रामायण मांझी को 40,993 वोट मिले थे, जबकि सत्यदेव राम के पक्ष में 33,987 वोट आए थे.

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दरौली विधानसभा क्षेत्र में 2,87,505 मतदाता

दरौली विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की जनसंख्या की बात करें तो 2015 के चुनाव के अनुसार, इस क्षेत्र में कुल 2,87,505 मतदाता हैं. इनमें से 1,55,113 पुरुष मतदाता और 1,32,390 महिला वोटर्स हैं. पिछली बार यहां 5 नवंबर को मतदान हुआ था, जिसमें 51.4 फीसदी वोट पड़े थे.