Maharashtra Assembly election result: कभी महाराष्‍ट्र की नंबर एक पार्टी थी कांग्रेस, जानें अर्श से फर्श तक का सफर

महाराष्‍ट्र में कभी नंबर वन पार्टी हुआ करती थी कांग्रेस. लगातार 15 साल शासन के बाद 2014 में झटका लगा तो आज तक नहीं उबर पाई.

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Drigraj Madheshia
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गांधी परिवार (Gandhi Family) प्रचार में नहीं उतरा तो विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में मुकाबले में आ गई कांग्रेस

प्रियंका, सोनिया और राहुल गांधी( Photo Credit : फाइल)

महाराष्‍ट्र में कभी नंबर वन पार्टी हुआ करती थी कांग्रेस. लगातार 15 साल शासन के बाद 2014 में झटका लगा तो आज तक नहीं उबर पाई. पिछले चुनाव में तीसरे नंबर थी. महराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव 2019 के ताजा रूझानों और कुछ परिणामों पर नजर डालें तो इस बार वह एनसीपी से भी पीछे चली गई. इसके पीछे भी पार्टी की अंदरूनी कलह ही सामने आई.

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अगर इस चुनाव की बात करें तो महाराष्ट्र (Maharashtra) में एनडीए (NDA) की सरकार बनना लगभग तय हो गया है. कांग्रेस की तरह बीजेपी का प्रदर्शन भी 2014 के मुकाबले गिरा है. पिछली बार बीजेपी अकेले दम पर 122 सीटें जीती थीं और इस बार 100 के आसपास सिमट रही है. वहीं शिवसेना 63 से 58 पर आ गई है. इस चुनाव में अगर सबसे ज्‍यादा कोई फायदे में है तो वो है शरद पवार की एनसीपी. वह 41 से बढ़कर 55 के आसपास पहुंच रही है.

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बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) का प्रदर्शन अनुमान के मुताबिक नहीं रहा. कुछ आंकड़े ऐसे भी थे जिन्होंने बीजेपी को चौंका दिया. पंकजा मुंडे (Pankaja Munde) चुनाव हार गई हैं. फडणवीस के पांच मंत्री भी मतगणना पीछे चल रहे हैं. कर्जत जमात से राम शिंदे, औरंगाबाद से अतुल सवे, मावल से बाला उर्फ संजय विश्वनाथ भिड़े, यवतमाल से मदन येरावर और पुरंदर से विजय शिवतारे काफी पीछे चल रहे हैं.

महाराष्‍ट्र के चाणक्‍य निकले शरद पवार

महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार को ऐसे ही चाणक्य नहीं कहा जाता है. इस चुनाव में शरद पवार ने जिस तरह से जमीनी लेवल पर काम किया अगर कांग्रेस भी वैसा ही करती तो परिणाम कुछ और होते. अगर शरद पवार के राजनीतिक सफर के बारे में बात करें तो शरद पवार की मां शारदा बाई 1936 में पूना लोकल बोर्ड की सदस्य थीं. इसी का नतीजा था कि शरद पवार 38 की उम्र में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए और चार बार सीएम रहे. कांग्रेस से राजनीतिक पारी शुरू करने वाले शरद पवार ने 1999 में एनसीपी का गठन किया. परिवार का सबसे ज्यादा राजनीतिक प्रभाव मराठवाड़ा इलाके के बारामती और ग्रामीण पुणे के आसपास के इलाकों में है.

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शरद पवार के सबसे बड़े भाई दिनकरराव गोविंदराव पवार ऊर्फ अप्पा साहेब पवार थे. वह पवार परिवार से राजनीति में उतरने वाले पहले सदस्य थे. महाराष्ट्र में किसानों और मजदूरों के हितों की लड़ाई लड़ने वाले बड़े नेता के तौर पर उन्होंने पहचान बनाई. बाद में अप्पा साहेब ने अपने छोटे भाई शरद पवार को कांग्रेस से जुड़ने के लिए राजी किया. 1999 में सोनिया गांधी से टकराव के बाद कांग्रेस से निकाले जाने के बाद शरद पवार ने नेशनल कांग्रेस पार्टी बनाई. इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार का दबदबा और कायम हुआ. बेटी सुप्रिया सुले पार्टी से सांसद बनती रहीं.

Source : न्‍यूज स्‍टेट ब्‍यूरो

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