कांग्रेस (Congress) तब अच्छा चुनाव लड़ती है, जब गांधी परिवार निष्क्रिय पड़ा रहता है. पंजाब (Punjab) और अब हरियाणा (Haryana) इसके शानदार उदाहरण हैं. कांग्रेस तब और अच्छा चुनाव लड़ती है, जब वह बीजेपी से मुकाबले में आमने-सामने होती है. जहां-जहां कांग्रेस मुकाबले में बीजेपी के सामने होती है, मजबूती से चुनाव लड़ती है. हरियाणा (Haryana Assembly Electiion) इसका साक्षात उदाहरण है. हरियाणा में चुनाव से पहले बीजेपी के पक्ष में एकतरफा मुकाबला बताया जा रहा था, लेकिन मतगणना शुरू होने के डेढ़ घंटे के भीतर ही पूरी कहानी बदल गई और कांग्रेस शानदार तरीके से मुकाबले में आती दिखी. हालांकि दुष्यंत चौटाला (Dushyant CHautala) ने चुनाव को त्रिकोणात्मक बनाने की कोशिश की, लेकिन उनका प्रभाव कुछ ही सीटों पर दिखा.
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इससे पहले पंजाब के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने अकाली दल-बीजेपी गठबंधन की सरकार थी. मुकाबला तब भी आमने-सामने था और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस ने बाजी पलट दी थी. गुजरात के भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने अकेले बीजेपी थी और बहुमत पाने के लिए बीजेपी को नाकों चने चबाने पड़े थे. एक समय तो ऐसा लग रहा था कि गुजरात में भी बीजेपी सत्ता से वंचित हो जाएगी, लेकिन बीजेपी ने वापसी की और बहुमत पाने में कामयाब रही. हालांकि उसकी सीटों की संख्या काफी घट गई थी.
दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी के उभार से पहले तक कांग्रेस मुकाबले में बीजेपी पर भारी पड़ती थी. आम आदमी पार्टी के उभार के बाद से पार्टी का प्रभाव कम हुआ और उसके वोट छिटक गए. इसी तरह हिमाचल प्रदेश में जब-जब चुनाव होता है तो वहां हर 5 साल पर बीजेपी और कांग्रेस आपस में सत्ता परिवर्तन करते हैं.
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इसी तरह राजस्थान में भी हर 5 साल पर सरकार बदलने की परंपरा जनता ने कायम रखी है. बीजेपी के बाद कांग्रेस फिर बीजेपी की सरकार आती है. इस राज्य में भी कांग्रेस बीजेपी को जोरदार मुकाबला देती है. मध्य प्रदेश में भी पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता से बाहर कर दिया था. इसके अलावा छत्तीसगढ़ में भी पिछले साल कांग्रेस ने दो तिहाई बहुमत से सत्ता प्राप्त की थी.
दूसरी तस्वीर यह है कि जहां-जहां क्षेत्रीय पार्टियों ने जड़ें जमा रखी हैं, वहां कांग्रेस के लिए मुश्किलें आती हैं. उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा तो बिहार में राजद, जदयू, कर्नाटक में जेडीएस, आंध्र प्रदेश में तेलुगुदेशम, तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति, तमिलनाडु में द्रमुक, अन्नाद्रमुक और ओडिशा में बीजू जनता दल ने अपनी जड़ें जमा रखी हैं तो कांग्रेस की वहां दाल नहीं गलती है. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस को मुकाबले से बाहर कर रखा है. जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने कांग्रेस का वोट बैंक हथिया रखा है.
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इन राज्यों में चुनावी ट्रेंड पर नजर डालें तो यह साफ हो जाता है कि जब तक कांग्रेस वापस क्षेत्रीय पार्टियों का दखल नहीं खत्म करती, वहां उसका जीतना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन भी है. हालांकि कांग्रेस के लिए यह पहाड़ तोड़ने जैसा काम है.
Source : सुनील मिश्र