logo-image

केरल के CM विजयन ने बीजेपी और कांग्रेस पर साधा निशाना, कही ये बड़ी बात

विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत से अपनी तीखी बयानबाजी रखते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार को दोहराया कि राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ और भाजपा के बीच घनिष्ठ संबंध अब एक प्रत्यक्ष (स्पष्ट) संबंध बन गया है.

Updated on: 29 Mar 2021, 06:35 PM

तिरुवनंतपुरम:

विधानसभा चुनाव प्रचार की शुरुआत से अपनी तीखी बयानबाजी रखते हुए केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार को दोहराया कि राज्य में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ और भाजपा के बीच घनिष्ठ संबंध अब एक प्रत्यक्ष (स्पष्ट) संबंध बन गया है. 140-सदस्यीय केरल विधानसभा के लिए 6 अप्रैल को मतदान होना है और वोटों की गिनती दो मई को होगी. कन्नूर में मीडिया से बातचीत में विजयन ने कहा कि कांग्रेस, लीग और भाजपा के बीच स्पष्ट स्पष्ट डील के दिन अब लद चुके हैं. उनके बीच जो भी डील हुआ था, वह आज सार्वजनिक हो चुका है. इस बात को हमने स्वयं भाजपा के नेता सुरेश गोपी से सुना है. विधानसभा चुनावों में वह प्रत्याशी भी हैं. 

विजयन ने कहा कि चूंकि उनके पास गुरुवयूर में अपना उम्मीदवार नहीं है, अतएव इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के उम्मीदवार को जीतना चाहिए. इसी तरह कन्नूर में थालास्सेरी में भी उनके उम्मीदवार नहीं हैं और इसलिए माकपा के ए.एन. शमशीर को हराया जाना चाहिए. गौरतलब है कि पिछले हफ्ते भाजपा नीत राजग को तब झटका लगा जब गुरुवयूर और थालास्सेरी में भाजपा के दो उम्मीदवारों के नामांकन पत्र और उनके सहयोगी- देविकुलम में अन्नाद्रमुक की उम्मीदवारी को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया था. इससे इन तीन निर्वाचन क्षेत्रों में चुनावी लड़ाई सीधी - लेफ्ट बनाम कांग्रेस हो गई है.

विजयन ने कहा कि अगर हम सारी कड़ियों को जोड़ते हुए चीजों को देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच कुछ समय पहले डील तय हुआ था. आप सभी को याद होगा कि जब राज्य में 2018 में सबसे विनाशकारी बाढ़ आई थी और केरल को विदेश से धन प्राप्त करने की मंजूरी नहीं दी गई थी तो कांग्रेस ने एक शब्द भी नहीं कहा था.

उन्होंने आगे कहा कि शासन के संघीय ढांचे में एक सेंध लग गई है, वैसे एक मजबूत केंद्र और एक खुशहाल राज्य होना चाहिए. लेकिन हम देख रहे हैं कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं की हिस्सेदारी में 15 प्रतिशत की कमी आई है. और, ऐसा 2015-16 से ही शुरू हो गया था. कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि यह केंद्र का नहीं, बल्कि राज्य के अधिकार हैं. इसी तरह, कई बार आग्रह किए जाने के बावजूद केरल में बाढ़ आने के बाद कोई विशेष पैकेज नहीं दिया गया. जब यह सब हुआ तो कांग्रेस ने कभी भी केंद्र के खिलाफ एक शब्द नहीं कहा.