पांच राज्यों के चुनावों में हिंदुत्व मुद्दा उठाने से उलझन में कांग्रेसी, सता रहा ये डर
अब सवाल उठता है कि क्या हिंदू और हिंदुत्व की बहस चुनाव में कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगी ? इसे लेकर खुद पार्टी के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता इससे सहमत नहीं हैं.
highlights
- इस साल होने हैं सात राज्यों में विधानसभा चुनाव
- पांच राज्यों में चुनाव पहले छमाही में होंगे संपन्न
- हिंदुत्व मुद्दा उठाने को लेकर खुद कांग्रेसी महसूस कर रहे असहज
दिल्ली:
इस साल सात राज्यों में विधानसभा चुनाव (State Assembly Election) होने हैं. उनमें पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव शुरुआती छह महीने में संपन्न हो जाएंगे. इस बीच देश में हिंदू और हिंदुत्व पर बहस भी तेज हो गई है. अलग-अलग मंचों से हिंदुत्व (Hindutva) मुद्दों पर जोरदार बहस हो रही है. कांग्रेस (Congress) के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हिंदू और हिंदुत्व में फर्क समझाने के लिए आए दिन बयान दे रहे हैं. पार्टी भी सोशल मीडिया (Social Media) सहित तमाम प्रचार तंत्रों के जरिये इस मुद्दे पर भाजपा (BJP) को घेर रही है, लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस के भीतर ही एकमत राय नहीं दिख रही है. कई कांग्रेसी कार्यकर्ता खुद ये महसूस कर रहे हैं कि हिंदुत्व का मुद्दा उठाने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है.
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अब सवाल उठता है कि क्या हिंदू और हिंदुत्व की बहस चुनाव में कांग्रेस को फायदा पहुंचाएगी ? इसे लेकर खुद पार्टी के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता इससे सहमत नहीं हैं. पार्टी नेताओं का स्पष्ट मानना है कि इस तरह की बहस से पार्टी को खुद को दूर कर लेना चाहिए और मूलभूत समस्याओं जैसे महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे को उठाकर मतदाताओं के पास जाना चाहिए. राहुल गांधी कई माह से इन दोनों शब्दों का अंतर समझाने की कोशिश कर रहे हैं, पर पार्टी कार्यकर्ता इस बहस को लोगों के बीच ले जाने में विफल रहे हैं. यूपी कांग्रेस के एक जिला स्तर के पदाधिकारी कहते हैं कि यह अकादमिक मुद्दा है. इस मु्द्दे को लेकर कैसे लोगों के बीच जा सकते हैं. ऐसे में पार्टी कार्यकर्ता भी इस मुद्दे को लेकर खुद को असहज महसूस कर रहे हैं.
हिंदू और हिंदुत्व को परिभाषित करने से बचने की सलाह
पार्टी के वरिष्ठ नेता हरिकेश बहादुर कहते हैं कि हमें हिंदू और हिंदुत्व को परिभाषित करने ने बचना चाहिए और इससे समय नष्ट नहीं करना चाहिए. उनका कहना है कि कुछ लोग धर्म का प्रयोग अपनी ओछी राजनीति के लिए कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस को इससे दूर रहना चाहिए. कई दूसरे नेता भी मानते हैं कि इस बहस से कोई फायदा नहीं है.
आम मुद्दा ही कारगर
हिंदुत्व मुद्दे को लेकर कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि हमें इस तरह की अकादमिक बहस के बजाय उन मुद्दों को उठाना चाहिए, जिनसे जनता सीधे तौर पर जुड़ी हुई है. जनता संबंधित कई ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें उठाया जा सकता है. महंगाई, बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था और स्थानीय मुद्दों सहित कई ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर लोग बंटे हुए नहीं हैं. इन मुद्दों को लोगों के बीच ले जाना आसान होता है. सियासी तौर पर भी यह ज्यादा असरदार साबित होते हैं. पार्टी नेता मानते हैं कि पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर और यूपी में महिलाओं को चुनाव के केंद्र में लाकर पार्टी पूरी तरह मजबूत है. ऐसे में पार्टी को हिंदू और हिंदुत्व की बहस में पड़ने की बजाय इन सभी मुद्दों को और आक्रामकता के साथ लोगों के बीच रखना चाहिए.
पार्टी नेता का विचार- हिंदुत्व मुद्दे पर भाजपा पहले से मजबूत स्थिति में
पार्टी के नेता को लगता है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा पहले से मजबूत स्थिति में है. ऐसे में इस मुद्दे पर नए तर्क शायद ही लोगों के गले उतर पाएं. इस हिंदू और हिंदुत्व मुद्दे पर बहस करके पार्टी को कोई फायदा नहीं होने वाला है उल्टे भाजपा इस मुद्दे को उछालकर कांग्रेस को घेर सकती है.
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