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काफी उतार-चढ़ाव के बाद ममता ने नंदीग्राम से 1200 वोटों से सुवेंदु को हराया

पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट पर सीएम ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) और बीजेपी के उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है. इस सीट पर दिनभर उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. अंत में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 1200 वोटों से सुवेंदु अधिकारी को हराया दिया है.

Updated on: 02 May 2021, 05:01 PM

नई दिल्ली:

West Bengal CM Mamata Banerjee wins : देश के चार राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं. पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट पर सीएम ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) और बीजेपी के उम्मीदवार सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है. इस सीट पर दिनभर उतार-चढ़ाव देखने को मिला है. अंत में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 1200 वोटों से सुवेंदु अधिकारी को हराया दिया है. एक समय ऐसा आया था कि दोनों उम्मीदवारों के बीच सिर्फ 6 वोटों को अंतर देखने को मिला था.

आपको बता दें कि दोपहर एक बजे के बाद पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने अपने लिए राहत की सांस ली. यह पहली बार था कि नंदीग्राम (Nandigram) में वह भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी और कभी खास रहे सिपाहसालार शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) से मतों की गिनती में आगे निकली थीं. हालांकि इसके पहले रूझानों ने टीएमसी (TMC) को बहुमत से कहीं ज्यादा सीटें मिलने के संकेत दे दिए थे. मतगणना के अंतिम चरण में ममता बनर्जी ने नंदीग्राम से सुवेंदु अधिकारी को पराजित कर दिया.

बीजेपी विकास पर लगातार रहेगी घेरती

अगर जमीनी हकीकत की बात करें तो पश्चिम बंगाल में रोजगार, सड़क और अस्पतालों की स्थिति बहुत बुरी है. इसको लेकर लोगों में भी नाराजगी है. परिणामस्वरूप 2016 में महज तीन सीटों पर जीत हासिल करने वाली बीजेपी 2021 में बंगाल में बहुत मजबूत होती नजर आ रही है. फिलहाल बीजेपी 90 सीटों के आसपास है. ऐसे में इन मुद्दों पर ममता बनर्जी को कड़ा प्रतिरोध झेलना होगा. बीजेपी इस मसलों के बल पर डबल इंजन की सरकार समेत विकास का मुद्धा उठाती रहेगी.

नंदीग्राम की कमजोर जीत छोटा कर देगी कद

भले ही फिलहाल दो राउंड्स से नंदीग्राम विधानसभा सीट पर ममता बनर्जी अपने प्रतिद्वंद्वी शुभेंदु अधिकारी से आगे चल रही हों, लेकिन खुदा ना खास्ता यदि वह हार जाती हैं तो ममता बनर्जी का टीएमसी में अन्य नेताओं के बीच कद बहुत घट जाएगा. ऐसे में मुख्यमंत्री पद को लेकर भी टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है. ऐसी स्थिति अगर आती है तो बीजेपी यहां भी कर्नाटक दोहराना चाहेगी और टीएमसी को टूट का सामना करना पड़ सकता है.

केंद्रीय योजनाएं लगातार बनेंगी चुनौतियां

ममता बनर्जी भलीभांति जानती हैं कि इस जीत के बावजूद बीजेपी का बढ़ता कद बंगाल में उनके लिए कड़ी चुनौती का सबक होगा. बंगाल का हेल्थ सिस्टम कोरोना महामारी को देखते हुए बहुत कमजोर है. ऐसे में टीएमसी की सरकार बनने पर भी विपक्ष की ओर से ममता के सामने ढेरों सवाल होंगे. खासकर जब पीएम नरेंद्र मोदी औऱ गृह मंत्री अमित शाह लगातार आयुष्मान योजना को लेकर उन्हें कठघरे में खड़ा करते आए हों. 

बीजेपी का 90 के करीब आना यानी मतदाता हैं नाराज

बीजेपी का बीते विधानसभा चुनाव की तीन सीटों से नब्बे के आसपास पहुंचाना इशस बात को संकेत है कि ममता बनर्जी के प्रति लोगों में नाराजगी बढ़ी है. ऐसे में आगे चलकर यह नाराजगी कहीं भारी नहीं पड़ जाए यानी उसे दूर करना भी दीदी के लिए एक बड़ी औऱ दुरूह चुनौती होगा. नब्बे सीट पर बीजेपी का मतलब है कि अब ममता बनर्जी को एक मजबूत विपक्ष से दो-चार होना पड़ेगा. कांग्रेस और लेफ्ट के समक्ष यह चुनौती उनके सामने इतनी बड़ी नहीं थी. 

परिवारवाद का भूत तो खैर है ही पीछे

टीएमसी में अभिषेक बनर्जी के बढ़ते दखल का आरोप लगाते हुए कई नेताओं ने ममता बनर्जी से बगावत कर दी थी. बीजेपी के मजबूत होने की स्थिति में इसी आरोप के साथ कई ओर टीएमसी नेता नेतृत्व में अविश्वास को लेकर 'भगवा पार्टी' के साथ शामिल हो सकते हैं. इसे इस तरह भी देख सकते हैं कि परिवारवाद का आरोप भी उनका साथ छोड़ने वाला नहीं है.