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Assembly Election 2023: बघेल का सियासी सफर... बेबाक बोली और दमदार योजनाओं से साधा जनमत

असल में भूपेश बघेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य और छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री हैं. पांच साल पहले, साल 2018 की तारीख 17 दिसंबर को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी.

Updated on: 03 Dec 2023, 06:55 AM

नई दिल्ली:

बेबाक बोली.. दमदार तेवर! छत्तीसगढ़िया के लिए यही हैं सूबे के मुखिया भूपेश बघेल. दरअसल जल्द ही छत्तीसगढ़ की सियासी गद्दी पर कौन राज करेगा, इसका फैसला आने वाला है.  इससे पहले सबके मन में सवाल है कि क्या बघेल सरी बार भी प्रदेश की सत्ता में काबिज हो पाएंगे, क्या भाजपा से कड़ी टक्कर के बीच अपना सियासी किला बचा पाएंगे? इसका जवाब तो जल्द मिल ही जाएगा, मगर इससे पहले चलिए जानते हैं उनके राजनीतिक सफर के बारे में, साथ ही प्रदेश में उनकी दमदार छवि को गौर से परखते हैं. 

तो चलिए शुरू से शुरू करते हैं, असल में भूपेश बघेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य और छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री हैं. पांच साल पहले, साल 2018 की तारीख 17 दिसंबर को उन्होंने मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली थी. बघेल छत्तीसगढ़ के जोरापाटन क्षेत्र से बतौर राज्य सभा सांसद भी चुने गए थे. इसके अतिरिक्त उन्होंने प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र के सलेका विधानसभा सीट में स्थित तीन बार विधायकी की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं. 

बता दें कि बघेल का कार्यकाल बतौर मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ के लिए काफी ज्यादा अहम रहा था. उन्होंने प्रदेश में विपन्नता, विप्रदेश, सामाजिक न्याय और गणितीय विकास सहित कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की शुरुआत की है. चाहे गरीब हो या फिर मजदूर या फिर दिव्यांग लोग, बघेल का दावा है कि उन्होंने हर वर्क के लिए काम किया है. 

उनके नेतृत्व में गरीबों को राहत देने के मद्देनजर न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर १०,००० रुपये प्रतिमाह करने का फैसला किया गया था. इसके अतिरिक्त जन सेवा के लिए उन्होंने दादरी-नौजवान, न्यूनतम आय योजना और गौणशक्ति न्यूनतम सम्पदा योजना जैसी कई योजनाओं की शुरुआत की. छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि इन सारी योजनाओं से गरीबों को काफी ज्यादा राहत मिली थी. 

न सिर्फ ये, बल्कि सरकार का दावा है कि उन्होंने किसान, विद्यार्थियों और उद्यमियों के लिए भी काफी काम किया है, जिसके मुताबिक बघेल की ओर से किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कमर्शियल उड़ान सेवाओं का आयोजन किया गया है. साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 2,500 रुपये प्रति क्विंटल भी किया गया. 

इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए भी उनकी ओर से तमाम तरह की नई योजनाएं शुरू की गई. साथ ही छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या में भी बड़ा इजाफा किया. वहीं ताकि बच्चे अच्छे ठीक तरह से शिक्षा पा सकें, प्रदेश में विद्यालयों के भर्ती प्रक्रिया को काफी ज्यादा आसान बना दिया गया. इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा अपने योजनाओं के मद्देनजर युवाओं के उद्यमिता को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया, जिसके लिए भी तमाम योजनाओं को शुरू किया गया.