छत्तीसगढ़ चुनाव: इस समुदाय के बिना नहीं बनती सरकार, जिसके दम पर 15 साल सत्ता में रही बीजेपी
Chhattisgarh Assembly Elections 2023: पांच राज्यों के साथ छत्तीसगढ़ में भी अगले महीने चुनाव होने हैं. जहां दो चरणों में मतदान होगा. छत्तीसगढ़ में सत्ता में बने रहने के लिए कांग्रेस पूरी कोशिश कर रही है, जबकि बीजेपी सत्ता में वापसी की तैयारी कर रही है
highlights
- आदिवासियों का साथ माना जाता है जीत की गारंटी
- आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं 29 सीटें
- छत्तीसगढ़ में तीन बार सरकार बना चुकी है बीजेपी
New Delhi:
Chhattisgarh Assembly Elections 2023: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों 7 नवंबर और 17 नवंबर को मतदान होगा. जबकि 90 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में अन्य चार राज्यों के वोटों की गिनती से साथ ही 3 दिसंबर को मतगणना होगी और उसी दिन परिणाम भी जारी कर दिए जाएंगे. सभी पार्टियां जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रही हैं और वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रही हैं. छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय को जीत के लिए अहम माना जाता है. क्योंकि राज्य में करीब 32 फीसदी आदिवासी जनसंख्या है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस समुदाय के बिना छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने मुश्किल है. इसीलिए बीजेपी और कांग्रेस समेत सभी पार्टियां आदिवासी समुदाय को अपने पक्ष में लेने की कोशिश कर रही हैं.
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पुराने चुनावों के परिणाम बताते हैं कि राज्य में रह चुनाव में आदिवासी वोटर्स जिसके साथ रहे हैं उन्हें सस्ता मिली है. पिछले चुनावों (2018) में आदिवासी सीटों पर हारने की वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था. इसीलिए इस बार बीजेपी आदिवासी वोटर्स पर विशेष ध्यान दे रही है. चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा हाल ही में आदिवासी इलाकों में रैलियां की. साथ ही आदिवासी इलाकों से दो परिवर्तन यात्राओं की शुरूआत आदिवासी समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश है. बता दें कि 90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा में 29 सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं.
पिछले चुनाव में कांग्रेस ने जीती थीं 25 आरक्षित सीटें
बता दें कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी वर्ग की आरक्षित सीटों में से 25 पर जीत दर्ज की थी और सरकार बनाई थी. इस बार भी कांग्रेस को जीत की उम्मीद है. चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि राज्य में आदिवासी मतदाता चुनाव जीतने में अहम भूमिका निभाते हैं. वर्ष 2000 में राज्य बनने के बाद 2003 में पहली बार चुनाव हुआ. जिसमें बीजेपी ने उन आदिवासियों के बीज जगह बनाई जो कभी कांग्रेस के कट्टर समर्थक माने जाते थे.
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उसके बाद हुए चुनावों में बीजेपी की पकड़ आदिवासियों से कमजोर होती गई और पार्टी सत्ता से बाहर हो गई. बता दें कि 2003 के चुनाव में 90 में से 34 सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित थीं. जिनमें से बीजेपी ने 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी और अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने थे. राज्य में बीजेपी ने तब कुल 50 सीटों पर बहुमत पाया था. वहीं कांग्रेस सिर्फ 9 आदिवासी सीटें जीत पाई और हार गई.
ऐसे बीजेपी के हाथ से निकल गया छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में परिसीमन के बाद आदिवासियों के लिए 29 सीटें आरक्षित की गई. 2008 के चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर से 29 में से 19 सीटों पर जीत हासिल की और कुल 50 सीटें जीतकर सरकार बना ली. इस चुनाव में कांग्रेस को10 आदिवासी सीटों पर जीत मिली. इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासी वोटों में सेंध लगा ली और कांग्रेस को 29 आदिवासी सीटों में से 18 पर जीत हासिल की. हालांकि कांग्रेस सरकार बनाने में विफल रही. बीजेपी ने 11 आदिवासी सीटों पर जीत हासिल की और कुल 49 सीटें जीतकर तीसरी बार सरकार बनाई.
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2018 में बीजेपी ने लगाई आदिवासी वोटों में सेंध
2018 में कांग्रेस ने बीजेपी के 15 साल पुराने किले को ध्वस्त कर दिया और 90 में से 68 सीटें जीतकर सरकार बनाई. इस चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 15 सीटें मिलीं. जबकि जेसीसी (जे) और बसपा को क्रमशः पांच और दो सीटें हासिल हुईं. 2018 में 29 आरक्षित सीटों में से कांग्रेस ने 25 जीत ली जबकि बीजेपी सिर्फ तीन सीटें ही जीत पाई. वहीं जेसीसी (जे) ने एक सीट पर जीत हासिल की.
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