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दिल्ली में अवैध मस्जिद-मदरसे और कब्रिस्तान गिराएगी बीजेपी, सरकार में आते ही होगा काम

सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने शनिवार को कहा कि अगर भाजपा दिल्ली में सत्ता में आती है तो शहर की सरकारी जमीनों को धार्मिक इमारतों के अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा.

Updated on: 18 Jan 2020, 02:52 PM

highlights

  • दिल्ली में 54 से ज्यादा मस्जिद, मदरसे सरकारी जमीन पर बने.
  • कोई भी मंदिर या गुरुद्वारा सरकारी जमीन पर बना हुआ नहीं.
  • सरकार बनते ही सरकारी जमीनों को खाली कराया जाएगा.

नई दिल्ली:

दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण कर बनाई गई मस्जिदों और कब्रिस्तानों का मसला एक बार फिर सिर उठा रहा है. लोकसभा चुनाव 2019 से ऐन पहले दिल्ली में केजरीवाल सरकार पर सरकारी जमीनों पर मस्जिद और कब्रिस्तानों को लेकर चुप्पी साधे रहने पर बड़ा हमला बोला गया था. ऐसे में अब विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने शनिवार को कहा कि अगर भाजपा दिल्ली में सत्ता में आती है तो शहर की सरकारी जमीनों को धार्मिक इमारतों के अतिक्रमण से मुक्त कराया जाएगा.

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54 से ज्यादा मस्जिद-मदरसे अवैध
पश्चिमी दिल्ली के सांसद ने कहा कि यहां सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाई गई मस्जिदों को निश्चित रूप से गिराया जाएगा. दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों के लिए मतदान आठ फरवरी को होगा और 11 फरवरी को चुनाव परिणाम की घोषणा होगी. वर्मा ने हिंदी में ट्वीट किया, 'दिल्ली में भाजपा की सरकार बनते ही उन सरकारी जमीनों को खाली कराया जाएगा जिन पर धार्मिक स्थलों का निर्माण किया गया है. दिल्ली में 54 से ज्यादा मस्जिद, मदरसे सरकारी जमीन पर बने होने की शिकायत अभी तक आई है. सूची दिल्ली के उपराज्यपाल को पहले ही दी जा चुकी है।.'

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लोकसभा चुनाव से पहले भी उठा था मसला
हालांकि उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें दिल्ली में किसी भी मंदिर या गुरुद्वारा द्वारा सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किए जाने की शिकायत मिलेगी तो वह इस मामले को प्रशासन के समक्ष उठाएंगे. उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'लेकिन कोई भी मंदिर या गुरुद्वारा सरकारी जमीन पर बना हुआ नहीं मिला. सिर्फ मस्जिद ही सरकारी जमीन पर बने हुए मिले हैं.' पिछले साल जून में वर्मा ने उप राज्यपाल अनिल बैजल को पत्र लिख कर कथित तौर पर सरकारी जमीनों पर बने मस्जिदों और क्रबिस्तानों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की थी. उन्होंने कार्रवाई के लिए 50 स्थलों का नाम भी गिनाया था. हालांकि वर्मा के दावे को संज्ञान में लेते हुए दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने एक तथ्य अन्वेषण समिति का गठन भी किया था जिसने जांच के बाद उनके दावे को 'झूठा' करार दिया था.