स्वपन दासगुप्ता: दिल्ली-लंदन में पढ़कर शुरू की पत्रकारिता, अब BJP के लिए लड़ेंगे चुनाव
स्वपन दासगुप्ता का जन्म 3 अक्टूबर 1955 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता में हुआ था. स्वपन की पढ़ाई-लिखाई में काफी रूचि थी. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया.
highlights
- 3 अक्टूबर 1955 को कलकत्ता में हुआ था स्वपन दासगुप्ता का जन्म
नई दिल्ली:
इस साल भारत के 4 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने हैं. पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. 5 जगहों पर हो रहे चुनावों में पश्चिम बंगाल का चुनाव सबसे बड़ा माना जा रहा है क्योंकि यहां पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सीधी टक्कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से है. कभी बंगाल में राज करने वाली कम्यूनिस्ट पार्टी का इस बार कोई खास जलवा देखने को नहीं मिल रहा है, लिहाजा इस बार सभी की नजरें टीएमसी और बीजेपी पर ही टिकी हुई हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में बीजेपी नेता स्वपन दासगुप्ता एक बड़ा चेहरा हैं. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में स्वपन दासगुप्ता हुगली जिले के तारकेश्वर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. पश्चिम बंगाल की राजनीति में स्वपन दासगुप्ता का अच्छा दबदबा है. आइए जानते हैं, कैसा रहा स्वपन दासगुप्ता का राजनीतिक सफर.
जीवनी
स्वपन दासगुप्ता का जन्म 3 अक्टूबर 1955 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कलकत्ता में हुआ था. स्वपन की पढ़ाई-लिखाई में काफी रूचि थी. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. जिसके बाद उन्होंने SOAS University of London से मास्टर्स और पीएचडी की डिग्री हासिल की. साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अद्भुत योगदान के लिए साल 2015 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया. बताते चलें कि स्वपन दासगुप्ता ने देश के कई शीर्ष मीडिया कंपनी में एक उच्च दर्जे के पत्रकार के रूप में लंबे समय तक काम किया. इसके अलावा वे अभी भी स्वतंत्र पत्रकार के रूप में लेख लिखते हैं.
राजनीतिक सफर
पश्चिम बंगाल में एक बड़ी राजनीतिक पहचान रखने वाले स्वपन दासगुप्ता का राजनीति में नया प्रवेश हुआ है. हालांकि, वे लंबे समय से राजनीति पर पत्रकारिता करते आए हैं और एक दमदार राजनीतिक विश्लेषक के रूप में अपनी पहचान रखते हैं. साल 2016 में नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुना गया था. हालांकि, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी द्वारा टिकट दिए जाने के बाद विरोधी पार्टियों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया था. विरोधी पार्टी के विरोध के बाद उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
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