Jharkhand Poll : यहां सीट बंटवारे में महाराष्ट्र जैसा खतरा मोल नहीं लेना चाहती बीजेपी
महाराष्ट्र में चुनाव से पहले गठबंधन होने के बावजूद नतीजों के बाद जिस तरह से शिवसेना राजग से अलग हो गई, उससे सचेत बीजेपी ने झारखंड में सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे में नहीं झुकने का फैसला किया है.
रांची:
महाराष्ट्र में चुनाव से पहले गठबंधन होने के बावजूद नतीजों के बाद जिस तरह से शिवसेना राजग से अलग हो गई, उससे सचेत बीजेपी ने झारखंड में सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे में नहीं झुकने का फैसला किया है. बीजेपी के कड़े रुख के कारण राज्य में गठबंधन में साफ दरार पड़ती दिख रही है. बीजेपी से सीटों की बातचीत न सुलझने पर राजग के घटक दल आजसू और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर अलग डगर पकड़ने के संकेत दिए हैं. हालांकि, झारखंड में बीजेपी के प्रदेश महामंत्री अनंत ओझा ने कहा कि आजसू से पार्टी नेतृत्व की बात चल रही है. उम्मीद है कि सीटों पर सहमति बन जाएगी.
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बीजेपी सूत्रों का तर्क है कि महाराष्ट्र में चुनाव नतीजे आने के बाद जब शिवसेना विरोधी खेमे के साथ खड़ी दिख सकती है तो फिर झारखंड में आजसू और लोक जनशक्ति पार्टी की क्या गारंटी, मौका मिलने पर वे भी साथ छोड़ सकते हैं. इससे बेहतर कि पार्टी अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़े ताकि बाद में किसी तरह का मलाल न हो. इससे पहले बीजेपी से मनमाफिक सीटें न मिलने की स्थिति में आजसू ने भी जहां 12 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी, वहीं लोक जनशक्ति पार्टी ने भी 50 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. आजसू ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा की चक्रधरपुर सीट से भी प्रत्याशी खड़ा कर दिया है.
सुदेश महतो की पार्टी आजसू ने बीजेपी से 19 और लोक जनशक्ति पार्टी ने छह सीटें मांगीं थीं. मगर, बीजेपी ने इतनी सीटें देने से इनकार कर दिया. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी, आजसू को पिछली बार से महज दो सीट ज्यादा यानी 10 सीट देने को तैयार हुई, वहीं लोक जनशक्ति पार्टी से कह दिया गया कि उसे पिछली बार की तरह एक सीट ही मिलेगी. 2014 के चुनाव में एकमात्र सीट भी लोजपा ने गंवा दी थी, वहीं आजसू ने आठ में से पांच पर जीत दर्ज की थी.
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बीजेपी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने कहा, 'महाराष्ट्र की तरह झारखंड में बीजेपी इतनी सीटें सहयोगी दल को नहीं देना चाहती कि नतीजों के बाद उस पर निर्भरता बढ़े. जब शिवसेना का ईमान डोल सकता है तो फिर झारखंड में सहयोगी भी मौका मिलते ही दबाव की राजनीति कर सकते हैं. इस नाते पार्टी झारखंड में अधिक से अधिक सीटों पर लड़ना चाहती है. हालांकि सहयोगियों को मनाने की कोशिशें जारीं हैं.' बता दें कि झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच कुल पांच चरणों में 81 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 37 सीटें मिली थीं. झाविमो के छह विधायकों का पार्टी में विलय कराकर बीजेपी बहुमत की सरकार बनाने में सफल हुई थी.
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