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बीजेपी (BJP) के चाणक्‍य बन गए मोदी सरकार (Modi Sarkar) के खेवैया, नतीजा हरियाणा चुनाव (Haryana Election) के रूप में सामने है

Haryana-Maharashtra Assembly Election : अमित शाह मंत्री (Home Minister Amit Shah) बन गए. सरकार में नंबर 2 की हैसियत हासिल हो गई. जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu-Kashmir) से अनुच्‍छेद 370 (Article 370) का खात्‍मा हो गया, लेकिन वो पार्टी को समय नहीं दे पाए.

Updated on: 25 Oct 2019, 08:19 AM

नई दिल्‍ली:

मोदी सरकार 2.0 (Modi Government 2.0) के गठन के समय सभी के मन में सवाल उठ रहे थे कि अमित शाह (Amit Shah) मंत्री बनेंगे या नहीं. मंत्री बनेंगे तो पार्टी का क्‍या होगा. आगे कई अहम राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने हैं और सरकार में व्‍यस्‍त होने के बाद अमित शाह पार्टी को वो समय नहीं दे पाएंगे, जो अध्‍यक्ष होने के नाते दे रहे थे. खैर, अमित शाह मंत्री (Home Minister Amit Shah) बन गए. सरकार में नंबर 2 की हैसियत हासिल हो गई. जम्‍मू-कश्‍मीर (Jammu-Kashmir) से अनुच्‍छेद 370 (Article 370) का खात्‍मा हो गया, लेकिन वो पार्टी को समय नहीं दे पाए और बीजेपी (BJP) हरियाणा (Haryana) और महाराष्‍ट्र (Maharashtra) विधानसभा चुनावों में वो करिश्‍मा नहीं दिखा पाई, जो अमित शाह विपरीत परिस्‍थितियों में करके दिखाते थे.

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बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर सवाल इसलिए नहीं उठ रहे हैं. वो तो हर चुनाव में किसी पार्टी को कम सीट मिलती है तो किसी को अधिक. लेकिन यह चुनाव लोकसभा चुनाव के ठीक पांच माह बाद हुए, जिसमें हरियाणा और महाराष्‍ट्र दोनों ही राज्‍यों में बीजेपी ने अपने प्रदर्शन की बदौलत धाक जमाई थी. हरियाणा में तो बीजेपी ने क्‍लीन स्‍वीप किया था. दूसरी बात यह कि इस बार विपक्ष चुनाव में नदारद था और बीजेपी के लिए बल्‍लेबाजी करने को खुली पिच थी. तीसरी बात यह कि बीजेपी के पास ऐतिहासिक अनुच्‍छेद 370 हटाने के बाद इसे भुनाने का सबसे बड़ा मौका था. इसलिए बीजेपी के इस प्रदर्शन को कमतर आंका जा रहा है.

बीजेपी के लिए चुनौती यह नहीं है कि हरियाणा में सरकार कैसे बनेगी, बल्‍कि सबसे बड़ी मुश्‍किल दिल्‍ली और झारखंड और उसके बाद फिर बिहार जैसे प्रदेशों में आने वाले चुनाव को लेकर पैदा होगी. इन दो राज्‍यों के प्रदर्शन का असर बाकी राज्‍यों में भी होगा, इससे किसी को इनकार नहीं होना चाहिए. हरियाणा की पिच सपाट थी तो दिल्‍ली में राजनीति की पिच पर बल्‍लेबाजी करने में बीजेपी को अपेक्षाकृत अधिक मुश्‍किलें पेश आएंगी, वो भी तब जब सामने अरविंद केजरीवाल जैसे इन स्‍विंगर मौजूद होंगे. इसके अलावा बिहार में भी जेडीयू के नखरे बढ़ जाएंगे. ऐसे ही प्रदर्शन रहा तो नीतीश कुमार जैसे दिग्‍गज के सामने मोलभाव करना बीजेपी के लिए आसान नहीं रह जाएगा.

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पार्टी में अमित शाह की मदद को बनाए गए कार्यकारी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा इन दोनों राज्‍यों के विधानसभा चुनाव में वो करिश्‍मा नहीं दिखा पाए, जो उत्‍तर प्रदेश में बतौर महासचिव अमित शाह ने दिखा दिया था. अमित शाह की बदौलत 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 73 सीटें हासिल हुई थीं, जो मोदी सरकार का मार्ग प्रशस्‍त करने में कारगर साबित हुई थी. जबकि हरियाणा में उत्‍तर प्रदेश की तरह राजनीति उतनी जटिल नहीं है. कांग्रेस आलाकमान के नदारद होने के बाद भी बीजेपी वो करिश्‍मा नहीं दिखा सकी, जो राजनीतिक पंडित उम्‍मीद लगाए बैठे थे.

2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उसी साल जुलाई में अमित शाह को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. बतौर अध्यक्ष अमित शाह ने कई राज्यों में बीजेपी को ऐतिहासिक सफलता दिलाई. जहां पार्टी का कोई नाम लेने वाला नहीं था, वहां आज बीजेपी की सरकारें हैं. त्रिपुरा जैसे राज्‍य में बीजेपी की सरकार है. पश्‍चिम बंगाल में बीजेपी ममता बनर्जी की सरकार को सामने से टक्‍कर दे रही है. लेकिन सरकार में नंबर 2 पोजिशन हासिल होने के बाद अमित शाह पार्टी को पहले जैसा समय नहीं दे पा रहे हैं.