बड़ी खबर : टिकटॉक गर्ल सोनाली फोगाट हारीं, कुलदीप बिश्नोई बड़े अंतर से जीते
Assembly Election 2019 Adampur Seat हरियाणा में वोटों की गिनती का काम इस वक्त तेजी के साथ चल रहा है. अभी तक मिले रुझानों के अनुसार भाजपा आगे चल रही है, हालांकि इसके बाद भी अभी तक बहुमत के करीब पहुंचती हुई नहीं दिख रही है.
New Delhi:
Assembly Election 2019 Adampur Seat result : (Kuldeep Bishnoi vs Sonali Phogat) हरियाणा में वोटों की गिनती का काम इस वक्त तेजी के साथ चल रहा है. अभी तक मिले रुझानों के अनुसार भाजपा आगे चल रही है, हालांकि इसके बाद भी अभी तक बहुमत के करीब पहुंचती हुई नहीं दिख रही है. अभी तक जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके मुताबिक भाजपा 36 और कांग्रेस 34 सीटों पर आगे है. वहीं जेजेपी भी 10 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. यहां विधानसभा की कुल 90 सीटें और सरकार बनाने के लिए कम से कम 46 सीटों की जरूरत है. भाजपा इस ओर बढ़ तो रही है, लेकिन अभी भी काफी पीछे बनी हुई है. ऐसे में मुकाबला दिलचस्प बना हुआ है.
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हरियाणा का सबसे मजेदार मुकबला आदमपुर सीट पर है. यहां से भाजपा ने टिकटॉक गर्ल के नाम से मशहूर सोनाली फोगाट (Tiktok girl Sonali Phogat) को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वे चुनाव हार गईं हैं. उन्हें कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई ने करारी मात दी. दरअसल आदमपुर सीट बिश्नोई का गढ़ मानी जाती है. पिछले 11 बार से यहां बिश्नोई परिवार का ही कोई न कोई सदस्य जीतता रहा है. इसे चुनौती देने के लिए भाजपा ने सोनाली पर दांव लगाया था, जो अब फेल होते हुए दिख रहा है. कभी हरियाणा की राजनीति में भजनलाल की तूती बोलती थी. दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे भजनलाल के परिवार में ही हिसार जिले के आदमपुर सीट रही. उनके परिवार को 1968 के बाद से कभी हार सा सामना नहीं करना पड़ा. अब इनके खिलाफ टिक-टॉक स्टार सोनाली फोगाट को बीजेपी ने मैदान में उतारा है. विधानसभा चुनाव में अपना पारिवारिक गढ़ बचाने के लिए भजनलाल के पुत्र कुलदीप विश्नोई कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे हैं.
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आपको बता दें कि कुलदीप बिश्नोई का जन्म साल 1968 में आदमपुर गांव में हुआ था. पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई एक वक्त अपने आप को सीएम के दावेदार के तौर पर पेश किया करते थे. 1998 में कुलदीप बिश्नोई ने राजनीति में कदम रखा और पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए आदमपुर से विधायक चुने गए. 2004 में कुलदीप बिश्नोई पहली बार संसद में पहुंचे. 2005 में उनके पिता भजनलाल मुख्यमंत्री नहीं बन पाए तो कुलदीप बिश्नोई बगावत पर उतर आए.
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दो साल बाद कुलदीप बिश्नोई ने हरियाणा में हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी बनाई. 2009 के विधानसभा चुनाव में हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी को 6 सीटें मिलीं. 40 सीट पाकर कांग्रेस बहुमत से दूर रही और सत्ता की चाबी कुलदीप बिश्नोई के हाथ में आ गई. लेकिन उनकी पार्टी के 5 विधायकों ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. पिछले चुनाव हरियाणा जनहित कांग्रेस पार्टी के तले चुनाव लड़े कुलदीप 17 हजार 249 वोटों से चुनाव जीते थे और उनकी पत्नी हांसी सीट से विधायक निर्वाचित हुई थीं. पार्टी को प्रदेश की 89 सीटों पर कुल 3.6 फीसदी वोट मिले थे और वह भाजपा, इनेलो, कांग्रेस के बाद चौथे नंबर पर रही थी.
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