तेलंगाना में ओवैसी की AIMIM को बड़ा झटका, 9 में से 7 सीटों पर जीते, वोट शेयर कम हुआ
असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी को 2018 में आठ खंडों में 5,61,091 के मुकाबले सभी नौ निर्वाचन क्षेत्रों में 5,19,379 वोट प्राप्त हुए हैं.
नई दिल्ली:
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने विधानसभा में सिर्फ सात सीटें पर जीत दर्ज की है. यह पार्टी का गढ़ माना जाता है. यहां पर पार्टी का वोट शेयर कम हुआ है. एआईएमआईएम ने इस बार उन सीटों को अपने कब्जे में लिया जो वह 2009 जीती थी. बीआरएस की सहयोगी पार्टी ने इस बार 9 सीटों पर अपना चुनाव लड़ा. राज्य के बाकी हिस्सों में उसने बीआरएस साथ दिया था. पार्टी का वोट शेयर देखें तो 2018 में 2.71 प्रतिशत से घटकर इस बार यह 2.22 प्रतिशत रह गया. बीते चुनाव में आठ के मुकाबले पार्टी ने नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था. असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी को 2018 में आठ खंडों में 5,61,091 के मुकाबले सभी नौ निर्वाचन क्षेत्रों में 5,19,379 वोट प्राप्त हुए हैं.
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एमआईएम के कैंडिडेट कई राउंड में पीछे दिखाई दिए
पार्टी के उम्मीदवारों ने याकूतपुरा और नामपल्ली निर्वाचन क्षेत्रों में सफलता हासिल की है. पार्टी ने पुराने शहर याकूतपुरा को केवल 878 वोटों से बरकरार रखा. एआईएमआईएम के जाफर हुसैन को 46,153 वोट प्राप्त हुए. वहीं मजलिस बचाओ तहरीक (एमबीटी) के उम्मीदवार अमजेदुल्ला खान को 45,275 मत मिले. भाजपा के एन. वीरेंद्र बाबू यादव 22,354 के साथ तीसरी पोजिशन पर रहे. एमआईएम के कैंडिडेट कई राउंड में पीछे दिखाई दिए. एक वक्त पर ऐसा लगा कि पार्टी सीट हार जाएगी.
शहर के मध्य में निर्वाचन क्षेत्र में तनावपूर्ण लड़ाई को देखा गया
ग्रेटर हैदराबाद के पूर्व मेयर मोहम्मद माजिद हुसैन कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद फिरोज खान के विरुद्ध मात्र 2,037 मतों के अंतर से जीत पाए. माजिद हुसैन को 62,185 वोट मिले. फिरोज खान को 60,148 मत प्राप्त हुए. बीआरएस उम्मीदवार आनंद कुमार गौड़ को 15,420 वोट प्राप्त हुए. असदुद्दीन ओवैसी का आरोप था कि आरएसएस नेता कांग्रेस उम्मीदवार की जीत को लेकर प्रचार में जुटे थे. शहर के मध्य में निर्वाचन क्षेत्र में तनावपूर्ण लड़ाई को देखा गया. 2009 से नामपल्ली का चुनाव लड़ रहे फिरोज खान इस बार दूसरे स्थान पर रहे.
असदुद्दीन औवेसी के भाई की अकबरुद्दीन औवेसी की बात करें तो उन्होंने 81,668 वोटों के अंतर से चंद्रयानगुट्टा सीट को अपने कब्जे में रखा. वह 1999 से इस सीट पर जीत हासिल करते आ रहे हैं. चारमीनार से पूर्व मेयर मीर जुल्फेकार अली भाजपा की एम. रानी अग्रवाल से विरुद्ध 22,000 से ज्यादा मतों के अंतर से जीते.
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