बहुत ही रोचक है राजेवाल की किसान नेता से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तक का सफर

केन्द्र सरकार की ओर से पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन और आंदोलन से सुर्खियों में आए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव में अहम रोल अदा किया है.

केन्द्र सरकार की ओर से पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन और आंदोलन से सुर्खियों में आए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव में अहम रोल अदा किया है.

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Iftekhar Ahmed
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Balbir Singh Rajewal

बहुत ही रोचक है राजेवाल की किसान नेता से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार त( Photo Credit : News Nation)

केन्द्र सरकार की ओर से पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन और आंदोलन से सुर्खियों में आए किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने पंजाब विधानसभा चुनाव में अहम रोल अदा किया है. किसान आंदोलन से सुर्खियों में आए 78 साल के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने इस बार  'संयुक्त समाज मोर्चा' के नाम से पार्टी बनाकर चुनावी दंगल में भाग लिया था.  वह 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए संयुक्त समाज मोर्चा पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार भी हैं. गौरतलब है कि राजेवाल भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के संस्थापक और देश के एक अहम किसान नेता है. 

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ऐसा है राजेवाल का राजनीतिक जीवन
राजेवाल 60 एकड़ जमीन और दो चावल मिल के मालिक हैं. उन्होंने 1970 के दशक में ही  राजनीति के मैदान में कदम रख दिया था. तब वह खेती-बाड़ी यूनियन से जुड़े. इसके बाद वे पंजाब में किसानों की मांगों को लेकर लगातार आवाज उठाते रहे. फिर साल 1974 में जब सरकार ने किसानों को अपने गेहूं को राज्य के बाहर बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया  तो किसानों ने सरकार की इस नीति के खिलाफ आवाज उठाते हुए एक आंदोलन शुरू किया था. राजेवाल उस आंदोलन का भी हिस्सा थे. इस आंदोलन ने व्यापक रूप अख्तियार कर लिया था. लिहाजा, राजेवाल जेल भी गए. लिहाजा, बलबीर सिंह साल 1974 से 1988 तक भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के साथ थे. फिर बीकेयू (मान) का दामन थाम लिया. इसके बाद 2001 में राजेवाल ने खुद की जमीन तैयार की. इसके बाद बीकेयू (राजेवाल) की स्थापना की गई.

प्रारंभिक जीवन
राजेवाल का जन्म 20 अगस्त 1943 को हुआ था. उन्होंने अपना करियर डाक और टेलीग्राफ विभाग में एक टेलीग्राफिस्ट के रूप में शुरू किया था, लेकिन 1968 में उन्होंने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया.

किसान कार्यकर्ता
मई 1972 में राजेवाल ने चंडीगढ़ में 11 किसान समूह के विलय के साथ पंजाब खेतीबाड़ी यूनियन का गठन किया.

जब 1978 में पीकेयू भारतीय किसान संघ में तब्दील हो गया, तो उन्हें संघ के सचिव के रूप में नियुक्त किया गया. उन्हें बीकेयू का संविधान लिखने का भी श्रेय दिया जाता है. उन्होंने महेंद्र सिंह टिकैत और शरद अनंतराव जोशी के साथ भी काम किया है. 2009 में उन्होंने ड्राफ्ट फंड के तहत किसानों के लिए राहत की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर चले गए .

2020–2021 भारतीय किसान आंदोलन

वर्ष 2020 में भारत सरकार ने तीन कृषि अधिनियम पारित किए. पंजाब के 31 किसान संघों के साथ मिलकर राजेवाल ने विरोध शुरू किया. इस विरोध को आगे बढ़ाते हुए 
उन्होंने पंजाब के बाद हरियाणा और इसके बाद दिल्ली के सिंघु सीमा पर आंदोलन  किया.

राजनीतिक दल का किया गठन
राजेवाल अतीत में विभिन्न राजनीतिक दलों के करीबी रहे हैं, जिनमें शिरोमणि अकाली दल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और आम आदमी पार्टी शामिल हैं, लेकिन उन्होंने कोई आधिकारिक पद स्वीकार नहीं किया. गौरतलब है कि चुनावी मैदान में ताल ठोकने वाले राजेवाल 2020-2021 के किसान आंदोलन के दौरान वह किसी भी राजनीतिक भागीदारी के खिलाफ थे. लेकिन, नवंबर 2021 में भारत सरकार की ओर से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद, पंजाब के 22 किसान संगठनों ने संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) से नाता तोड़ लिया और 2022 पंजाब विधानसभा चुनाव में भाग लेने की घोषणा कर दी. संयुक्त समाज मोर्चा नाम की इस नई पार्टी ने बलबीर सिंह राजेवाल को प्रधानमंत्री चेहरा बनने की घोषणा की. 

Source : News Nation Bureau

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