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Bihar Assembly Election 2020: क्या इस चुनाव में बगहा सीट पर कांग्रेस की होगी वापसी

बगहा विधानसभा सीट पर 2015 के चुनाव में बीजेपी के राघव शरण पांडे ने जीत हासिल की थी. राघव ने जनता दल यूनाइटेड के भीष्म साहनी को 8,183 मतों के अंतर से हराया था. 

Updated on: 04 Nov 2020, 03:15 PM

बगहा:


बिहार विधान सभा चुनाव का विगुल बज चुका है. चुनाव आयोग ने इलेक्शन की तारीखों का ऐलान कर दिया है. सियासी पार्टियों ने अपने-अपने समीकरण सेट करने में चुनावी रणनीति बनाना शुरु कर दिया हैं. इस बार बिहार में 28 अक्टूबर को पहले चरण के लिए मतदान होगा, जबकि दूसरे चरण के लिए 3 नवंबर और सात नवंबर को तीसरे चरण की वोटिंग होगी. इस बार 10 नवंबर को चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे. बिहार चुनाव से पहले हम आपको बगहा विधानसभा क्षेत्र के बारे में बताने जा रहे हैं. 

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जानें बगहा सीट के बारे में-

बगहा भारत के बिहार प्रांत के पश्चिमी चंपारण जिले की एक नगरपालिका (कस्बा) है. यह बूढ़ी गण्डक जिसका प्राचीन नाम सदानीरा है,उसी के किनारे स्थित है. यहां शिक्षा एक समय में अंधेरे में थी. इस सीट पर कांग्रेस की मजबूत पकड़ है. सन् 1957 से लेकर 1985 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. बगहा सीट से नरसिंह भाटिया 6 बार चुनाव जीते थे. कांग्रेस ने इस सीट से कुल 9 बार चुनाव जीता है. लेकिन 1990 के बाद कांग्रेस की बगहा में वापसी नहीं हो सकी.

1990 में जनता दल के पूर्णमासी राम ने कांग्रेस इस सीट पर मात दी. 2005 तक वो अलग-अलग पार्टियों से लगातार 5 चुनाव जीतने में सफल रहे. 2010 में सामान्य वर्ग के लिए सीट खोल देने के बाद जनता दल यूनाइटेड के प्रभात रंजन सिंह ने सामान्य वर्ग से पहली जीत दर्ज की. लेकिन 2015 में यह सीट बीजेपी हाथ में चली गई. वहीं जनता दल यूनाइटेड लगातार 4 बार चुनाव जीत चुकी है और आरजेडी और बीजेपी को एक-एक बार जीत हासिल हुई है.

बगहा विधानसभा सीट पर 2015 के चुनाव में बीजेपी के राघव शरण पांडे ने जीत हासिल की थी. राघव ने जनता दल यूनाइटेड के भीष्म साहनी को 8,183 मतों के अंतर से हराया था. 

बगहा की खासियत-

बगहा को यदि पर्यटन की दृष्टि से देखा जाय तो बहुत ही मनोरम और सुंदर शाद्वल आध्यात्मिक स्थल यहां मौजूद है. माता दुर्गा का एक रूप चंडीस्थान है, जो रतनमाला के रास्ते मलपुरवा पुल के नजदीक स्थित है। वही माता दुर्गा का सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध मदनपुर स्थान है जो वाल्मीकि जंगल में स्थित है. यहां बिहार का एक मात्र राष्ट्रीय पार्क है जहां माता सीता ने वाल्मीकि आश्रम में अपने जीवन के अंतिम क्षणों को व्यतीत किया था. 

बगहा में पक्की बौली एक स्थान है जहां सावन में शिव भक्तों की अपार भीड़ लगती है और बोल बम के नारे के साथ नंगे पाँव कांवरियों की धूम मची रहती ह. वहीं जोड़ा मंदिर में कृष्ण और राधा की जीवंत प्रतिमा का दर्शन भी अद्वितीय है. रतनमाला गांव में जाल्पा माई का स्थान प्रसिद्ध है वहां से आज तक कोई खाली हाथ नहीं लौटा हर मनोकामना पूर्ण होती है. यदि कोई वहां हलवा और पूड़ी चढ़ाए तो माता प्रसन्न होती हैं.

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रतनमाल का छठ घाट भी बगहा का सबसे पुराना छठ माता का पूजा स्थल है, जो अप्रतीम सौन्दर्य से परिपूर्ण है. बगहा यदि आयें तो कालिस्थान की माता काली का दर्शन करना न भूलें क्योंकि शिव के सिने पर माता काली के पांव युक्त विकराल प्रतिमा है.

बगहा के कैलाश नगर में स्थित कैलाशवा बाबा से कोई अनभिज्ञ नहीं है जिसने मरे हुए मछलियों को जिंदा कर दिया था, वे चमत्कार के लिए एक समाय के प्रसिद्ध और सिद्ध व्यक्ति थे. बगहा के चखनी गांव में स्थित अंग्रेजों का बनवाया हुआ कैथोलिक चर्च अपने विशालता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है.इसके साथ ही बगहा में स्थित ओशो आश्रम के अनोखे दृश्य भी स्मरणीय हैं.