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बचपन से संघ का रिश्ता आया काम, काबिलियत ने भाजपा में दिलाया ये मुकाम

अश्विनी कुमार शर्मा पंजाब भाजपा के अध्यक्ष हैं. इससे पहले वह 2012 में पंजाब विधानसभा के सदस्य थे और पठानकोट से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. सामाजिक कार्यों की उनकी इच्छा ने उन्हें प्रेरित किया और वे 9 साल की छोटी उम्र में आरएसएस में शामिल हो गए. अपने कॉ

Updated on: 09 Mar 2022, 02:59 PM

नई दिल्ली:

अश्विनी कुमार शर्मा पंजाब भाजपा के अध्यक्ष हैं. इससे पहले वह 2012 में पंजाब विधानसभा के सदस्य थे और पठानकोट से चुनकर विधानसभा पहुंचे थे. सामाजिक कार्यों की उनकी इच्छा ने उन्हें प्रेरित किया और वे 9 साल की छोटी उम्र में आरएसएस में शामिल हो गए. अपने कॉलेज के समय के दौरान उन्होंने एबीवीपी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, वह 1988 में भाजयुमो (पंजाब) के सदस्य बनकर सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए. 


प्रारंभिक जीवन
अश्विनी कुमार शर्मा का जन्म 23 जनवरी 1964 को एक निम्न-मध्यम वर्गीय पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था. उनके पिता पंडित उमा दत्त शर्मा गुरदासपुर जिले के एक प्रसिद्ध पंडित (पुजारी) और ज्योतिषी थे. उनका परिवार विभाजन के बाद सियालकोट से गुरदासपुर में आकर बस गया था. 

अश्विनी कुमार शर्मा ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा पठानकोट स्थित विवेकानंद मॉडल हाई स्कूल से की. वहीं, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से BA की पढ़ाई की.

शर्मा बचपन से ही आरएसएस आधारित समाज सेवा की गतिविधियों से जुड़ गए. उन्होंने एक लड़के के रूप में पड़ोस की शाखाओं में भाग लिया, जहां से उन्हें पूर्व में आरएसएस स्वयंसेवक बनने के लिए शामिल किया गया था. पठानकोट में अपने कॉलेज के दिनों में उन्होंने एबीवीपी के एक सक्रिय सदस्य के रूप में काम किया और सक्रिय भारतीय राजनीति में छात्रों के मुखर समर्थक रहे हैं.

राजनीतिक करियर
अपने संगठनात्मक और प्रबंधकीय कौशल के लिए जाने जाने वाले शर्मा को  2004 में पंजाब के भारतीय युवा मोर्चा का अध्यक्ष बनाया गया. भाजयुमो अध्यक्ष के रूप में उनकी सफलता के बाद उन्हें 2007 से 2010 तक  पंजाब भाजपा में महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया. इस दौरान वे जिला योजना बोर्ड गुरदासपुर के अध्यक्ष भी रहे. उनके प्रयासों और कार्यों को देखते हुए उन्हें 2010 में पंजाब भाजपा का राज्य अध्यक्ष का पद दिया गया. उनके नेतृत्व में पार्टी ने 2012 के विधानसभा चुनावों में जिले में भाजपा के लिए सभी विधानसभा सीटों पर जीत हासिल करके असाधारण प्रदर्शन किया. शिअद-भाजपा गठबंधन के निर्माण में बहुत योगदान दिया और 43 साल बाद पंजाब में गठबंधन सरकार को दोहराने में सफल रहे. इसके साथ ही वे 2012 में पठानकोट से चुनकर विधानसभा के सदस्य बने.