चुनावी मौसम में कांग्रेस-बीजेपी के बीच एक-दूसरे के नेताओं को अपने पाले में लाने का खेल चल रहा है. इस कड़ी में बीजेपी ने कांग्रेस का एक और विकेट माधो सिंह दीवान के रूप में गिराया है. पांच बार के विधायक और कांग्रेस सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे माधो सिंह दीवान को मुख्यमन्त्री वसुंधरा राजे ने बीजेपी की सदस्यता दिलाई. माधो सिंह दीवान का परिचय अब कांग्रेस की बजाय बीजेपी नेता के रूप में होगा. नामांकन दाखिल होने का काम पूरा होते ही बीजेपी ने अपना खेमा मजबूत करने की कवायद करते हुए दीवान को पार्टी में शामिल कर लिया है. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, वे तो दीवान को पहले भी कई बार पहले भी यह कदम उठाने के लिए कह चुकी थीं. उन्होंने कहा, दीवान के आने से पार्टी को फायदा होगा.
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शिवचरण माथुर और अशोक गहलोत की सरकार में मंत्री रहे माधो सिंह दीवान पांच बार विधायक रहे. कभी दीवान और वसुंधरा राजे विधानसभा में एक दूसरे के सामने पक्ष-विपक्ष के रूप में बैठा करते थे, लेकिन अब दोनों एक ही खेमे में हो गए हैं. लम्बे समय से कांग्रेस से अलग चल रहे दीवान को कुछ समय पहले पीसीसी चीफ सचिन पायलट ने फिर से पार्टी में सक्रिय करते हुए उन्हें पीसीसी सदस्य के रूप में जगह दी थी. हालांकि माधो सिंह दीवान खुद इस बार सुमेरपुर सीट से भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन वहां से कांग्रेस ने सिरोही ज़िले से आने वाली पीसीसी सचिव रंजू रामावत को टिकट दिया है. दीवान ने कहा कि कांग्रेस में जिस तरह टिकटों की बंदरबांट हुई, उससे उनका मन बहुत खिन्न है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ नेताओँ ने कांग्रेस को अपनी जेबी पार्टी बना रखा है.
बीजेपी में आने के साथ ही दीवान ने सीएम वसुंधरा राजे के विज़न को भी सराहा. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि पिछले दिनों कुछ सर्वे जो हुए, वे बीजेपी के खिलाफ़ आ रहे थे, लेकिन कांग्रेस में टिकिट वितरण विवाद के बाद हालात में बड़ा बदलाव आया है. और बीजेपी मुकाबले में मजबूत हुई है.
सीरवी समाज के धर्म गुरू होने के नाते माधो सिंह दीवान का असर पाली ज़िले की सभी छह सीट के साथ जालोर सिरोही के बड़े हिस्से में माना जाता है. राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि बीजेपी का यह शॉट पश्चिमी राजस्थान में बड़ा बदलाव लाने वाला हो सकता है.
Source : लालसिंह फौजदार