कांग्रेस (Congress) के साथ यही दिक्कत है. थोड़ी सी सफलता को भी पचाने में उसे इतना समय लग जाता है कि सामने वाला बाजी मार ले जाता है. गोवा (Goa), मणिपुर (Manipur) में वहीं हुआ था, जो अब हरियाणा (Haryana) में हुआ. हरियाणा में जरा सा सीटें क्या बढ़ीं, कांग्रेस और उसके कार्यकर्ता एक-दूसरे के उत्साहवर्द्धन में जुट गए. बंद कमरे में मीटिंग हुई, लेकिन कांग्रेस में फैसला लेने में समय लगता है. चाहे कांग्रेस की सरकार हो या फिर संगठन का मामला हो. वहां एक झटके में कुछ नहीं होता. यह स्थिति तब है, जब सामने अमित शाह (Amit Shah) जैसा कुशल रणनीतिकार और तुरंत फैसले लेने में माहिर राजनेता मौजूद है. जो हाथ से फिसली बाजी को भी जीतने की कूबत रखता है. नतीजा सामने है. हरियाणा में बीजेपी (BJP) ने पहले निर्दलीयों को साधा, बाद में गोपाल कांडा (Gopal Kanda) पर सवाल उठे तो किंगमेकर की भूमिका में आए जेजेपी (JJP) नेता दुष्यंत चौटाला (Dushyant CHautala) को भी एनडीए (NDA) का हिस्सा बना लिया.
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24 अक्टूबर को काउंटिंग के बाद बीजेपी को बहुमत नहीं मिली. त्रिशंकु विधानसभा के हालात बने तो सोनिया गांधी द्वारा भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फ्री हैंड मिलने की खबर आई, लेकिन कांग्रेस की दरबारी संस्कृति ने फ्री हैंड को भी बांधे रखा और हुड्डा कुछ न कर पाए. जबकि बीजेपी ने 24 अक्टूबर की देर शाम को ही निर्दलीयों को साध लिया. कुछ निर्दलीय तो चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली पहुंच भी गए और जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात भी हो गई. शुक्रवार को तो लगने लगा था कि बिना जेजेपी के समर्थन के बीजेपी सरकार बनाएगी, लेकिन गोपाल कांडा को लेकर सवाल उठे तो बीजेपी ने जेजेपी को भी अपने खेमे में शामिल कर लिया.
जातीय समीकरण को लेकर पहले यह माना जा रहा था कि किंगमेकर पार्टी जेजेपी किसी भी सूरत में बीजेपी के साथ नहीं जाएगी, क्योंकि यह जाटों की पार्टी है, जबकि बीजेपी गैरजाट राजनीति करती है. लेकिन शुक्रवार शाम को हालात बदल गए. जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ प्रेस कांफ्रेंस में साथ आए और समर्थन का ऐलान कर दिया. दूसरी ओर कांग्रेस और कांग्रेसी नेता हाथ मलते रह गए.
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पहले खबर आई थी कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने काउंटिंग के दो दिन पहले से जेजेपी प्रमुख दुष्यंत चौटाला से बातचीत की है. चुनाव परिणामों को देखकर एकबारगी लगा कि कांग्रेस की सरकार बन सकती है, लेकिन कांग्रेस की संस्कृति ने इस पर पानी फेर दिया. कांग्रेस जब तक पूरा सीन समझ पाती, बीजेपी ने सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया था. दूसरी ओर, अमित शाह को कहां चैन था. गुरुवार शाम से लेकर शुक्रवार शाम तक, अमित शाह मोहरा सेट करने में लगे रहे और शतरंज की बाजी पलटकर ही दम लिया.
त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एक्शन मोड़ में आ गए. उन्होंने अपना सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिया और हरियाणा का समीकरण फिट करने में जुट गए. 25 अक्टूबर की शाम तक किसी को पता नहीं था कि जेजेपी एनडीए का हिस्सा बनने जा रही है, लेकिन देर शाम होते-होते अमित शाह ने दुष्यंत चौटाला को साथ लेकर प्रेस कांफ्रेंस किया तो राजनीतिक पंडित भी चकित रह गए.